J&K Assembly Elections 2024: जम्मू-कश्मीर में हालिया विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी (सपा) का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। अखिलेश यादव की पार्टी ने यहां 20 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा, लेकिन 16 सीटों पर उसके उम्मीदवारों को 500 वोट भी हासिल नहीं हुए। यह चुनावी नाकामी सपा के लिए एक बड़ा झटका है, खासकर तब जब पार्टी ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2024 में शानदार सफलता हासिल की थी। पिछले चुनाव में सपा ने 37 सीटें जीती थीं, लेकिन जम्मू-कश्मीर में उसकी रीलॉन्चिंग ने निराशा ही दी।
पार्टी का चुनावी सफर
सपा ने J&K में 20 प्रत्याशियों को टिकट दिए, लेकिन इनमें से 8 के नामांकन को खारिज कर दिया गया। पार्टी ने मुस्लिम बहुल सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे, फिर भी स्थिति यह रही कि सपा के कई उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। केवल बांदीपोरा में सपा का एक उम्मीदवार 1,695 वोट पाने में सफल रहा, जबकि अन्य 16 सीटों पर उसके उम्मीदवार 500 वोट भी नहीं जुटा सके।
वोटिंग के आंकड़े
सपा को कुल 20 सीटों पर सिर्फ 8,198 वोट मिले, जो कुल वोटों का मात्र 0.14% है। कुछ क्षेत्रों जैसे ईदगाह, हब्बाकदल और नगरोटा में पार्टी को 100 से 144 वोट ही मिले। यह स्थिति तब और चिंताजनक हो गई जब 1.44% वोटर ने NOTA (None of the Above) को प्राथमिकता दी, जो सपा से ज्यादा लोकप्रिय साबित हुआ।
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खराब प्रदर्शन के कारण
सपा के इस खराब प्रदर्शन का मुख्य कारण पार्टी के प्रचार अभियान से नेताओं की दूरी रही। अखिलेश यादव और अन्य बड़े नेता चुनाव प्रचार में सक्रिय नहीं रहे। J&K प्रदेश इकाई ने प्रचार के लिए 13 नेताओं की सूची चुनाव आयोग को दी थी, लेकिन इनमें से कोई भी प्रमुख नेता चुनावी रैलियों में शामिल नहीं हुआ। इससे पार्टी के उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में कठिनाई का सामना करना पड़ा और उनका प्रदर्शन कमजोर हो गया।
इस चुनावी नाकामी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सपा को जम्मू-कश्मीर में अपनी रणनीति में सुधार करने की आवश्यकता है यदि वह भविष्य में सफलता प्राप्त करना चाहती है।