कानपुर ऑनलाइन डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान फतेहपुर में एक जनसभा के दौरान कहा था कि अब देश में ‘खटाखट…खटाखट’ विकास हो रहा। बिना रूके फाइलों पर ‘खटाखट…खटाखट’ साइन हो रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के ये शब्द सच में कानपुर में देखने को मिल रहे हैं। जिस दिन से आईएएस जीतेंद्र प्रताप सिंह ने जिलाधिकारी की कमान संभाली, तब से रूके हुए कार्य ‘खटाखट…खटाखट’ हो रहे हैं। लापरवाह और करप्ट सरकारी बाबुओं पर ‘खटाखट…खटाखट’ एक्शन भी हो रहे। जिले के बड़े साहब के ऑपरेशन को देख कनपुरिए भी मुस्कराते हुए कह रहे हैं कि ‘साहब हो तो जीतेंद्र प्रताप सिंह जैसे’।
पानी के बोतलों पर चलवाया था बुलडोजर
आईएएस जितेंद्र प्रताप सिंह बागपत के डीएम थे। जितेंद्र प्रताप सिंह के सामने एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई, जिसकी हर तरफ चर्चा हुई थी। असल में डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह बागपत तहसील के संपूर्ण समाधान दिवस के बाद जिले की पुलिस चौकी निवाड़ पहुंचे थे, जहां उन्हें पीने के लिए नकली बोतल दी गई। इसे देखकर वह हैरान रह गए। इस पर फूड लाइसेंस नंबर भी नहीं था। इसके बाद उन्होंने नकली पानी बनाने वालों के खिलाफ कड़ा एक्शन लेते हुए खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम से बुलडोजर चलवाकर दो हजार से अधिक नकली पानी की बोतलों को नष्ट करवा दिया था।
अब जानें कानपुर के डीएम के बारे में
15 मार्च 1972 को जन्मे जितेंद्र प्रताप सिंह मूल रूप से फर्रुखाबाद के रहने वाले हैं।एमए तक पढ़ाई करने वाले जितेंद्र प्रताप सिंह का चयन यूपीपीएससी के माध्यम से स्टेट प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में पीसीएस अधिकारी के रूप में हुआ था। वह वर्ष 2013 में पीसीएस अधिकारी बने, बतौर पीसीएस अधिकारी, वह प्रदेश में कई जगहों पर तैनात रहे। इसी बीच 31 मई 2019 को उनका प्रमोशन आईएएस पद पर हुआ। इससे पहले 28 अप्रैल 2017 से 12 जुलाई 2019 तक मंडी परिषद, लखनऊ में एडिशनल डायरेक्टर के पद पर रहे। जितेंद्र प्रताप सिंह 12 जुलाई 2019 से 2 मार्च 2021 तक राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद, लखनऊ के डायरेक्टर रहे।
बनाए गए थे कानपुर देहात के डीएम
आईएएस जीतेंद्र जितेंद्र प्रताप सिंह को कानपुर देहात का डीएम बनाया गया, जहां वह 14 अप्रैल 2022 तक इस पद पर रहे। इसके बाद उनका तबादला देवरिया के लिए हुआ, जहां वह 2 जून 2023 तक डीएम के पद पर तैनात रहे। यहां से उनका ट्रांसफर बागपत के लिए हुआ था। अब उन्हें कानपुर की जिम्मेदारी दी गई है। कानपुर के पदभार गृहण करने के बाद डीएम जीतेंद्र प्रसाद सिंह ऑफिस के बजाए जमीन पर उतर विकास कार्यो को देखते हैं। अस्पताल, स्कूल और गांवों में जाकर लोगों से सीधे मिलते हैं। लापरवाह अधिकारियों की क्लास लगाने के साथ ही निलंबन तक की कार्रवाई करते हैं। डीएम के एक्शन से कानपुर के लोग गदगद हैं। डीएम ने एक ऑटो चालक को 26 जनवरी में गेस्ट बनाया और तिरंगा भी उसी के हाथों से फहरवाया था।
तब ऐसे दागे सवाल
कनपुर डीएम ने स्वास्थ्य समिति की बैठक की। इस मौके पर उन्होंने पूछा ‘कहां गए थे डॉक्टर साहब, कितने मरीज देखे’। डीएम साहब ने जिस अंदाज में सवाल किए, उससे फिल्म शोले की फिल्म की याद ताजा हो गई। दरअसल, न डीएम ने चौबेपुर के मेडिकल ऑफिसर इन चार्ज से पूछा कि आज उनकी आरबीएसके टीम फील्ड में कहां गई थी। उन्होंने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम से संबंधित टीम के मूवमेंट के बारे में पूछा। रजिस्टर में अंकित नाम के आधार पर उन्होंने संबंधित डॉक्टर से पूछा कि कहां गए थे। जवाब संतोषजनक ना मिलने पर डीएम ने पूछा कितने मरीज देखे, तब पता चला कि डॉक्टर साहब गांव गए ही नहीं थे।
इस पर डॉक्टर ने चुप्पी साध ली
समीक्षा के दौरान डीएम ने चौबेपुर के मेडिकल ऑफिसर इन चार्ज से पूछा कि आज उनकी आरबीएसके टीम फील्ड में कहां गई थी। साथ ही कहा कि टीम के मूवमेंट रजिस्टर भी प्रस्तुत किया जाए। मूवमेंट रजिस्टर में लिखा हुआ था कि डा प्रतीक श्रीवास्तव दोपहर 12ः10 का समय रजिस्टर में अंकित कर फील्ड में चले गए थे। डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने डॉ प्रतीक श्रीवास्तव के मोबाइल पर फोन मिलाया और पूछा कि वे किस गांव में गए थे। इस पर डॉक्टर ने चुप्पी साध ली। इसके बाद डीएम ने पूछा कि अपने कितने मरीज देखे। इसका भी कोई जवाब डॉक्टर प्रतीक श्रीवास्तव नहीं दे पाए। ऐसे में जब डीएम ने फटकार लगाई तो डॉक्टर प्रतीक ने बताया कि वह आज गांव गए ही नहीं थे।
एमओआईसी चौबेपुर को प्रतिकूल प्रविष्टि
इस पर जिलाधिकारी ने एमओआईसी चौबेपुर को प्रतिकूल प्रविष्टि देते हुए आरबीएसके टीम डा प्रतीक श्रीवास्तव का वेतन रोकने के निर्देश मुख्य चिकित्सा अधिकारी को दिए। जलाधिकारी ने सभी अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित करते हुए कहा कि सप्ताह में 2 बार समस्त चिकित्सालय का रात्रि निरीक्षण किया जाए, जिसकी समस्त अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी वार निरीक्षण आख्या जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में प्रस्तुत की जाए। डीएम के इस एक्शन से डॉक्टर्स सकते में आ गए। डीएम की बैठक के बाद अब स्वास्थ्य महकमा फूल स्पीड से मरीजों का इलाज करने में जुट गया है।
डॉक्टर के फर्जीवाड़े का किया पर्दाफाश
कानपुर के डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है। जिसमें खुद डीएम ने एक अर्बन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंच कर एक डॉक्टर के फर्जीवाड़े का पर्दाफाश कर दिया। इसके बाद उन्होंने आरोपी डॉक्टर और चिकित्सा अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को संस्तुति भेज दी है। दरअसल, ये वीडियो रविवार का बताया जा रहा है। जब डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह अचानक बिरहाना रोड पर मौजूद अर्बन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर जा पहुंचे। डीएम साहब को अचानक वहां देखकर स्टाफ के होश उड़ गए। डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह सीधे अंदर दाखिल हुए और वहां पहले कमरे में मौजूद दो महिलाकर्मियों से पूछा कि आप कौन हैं। इसके बाद सीधे डॉक्टर के कमरे में पहुंचे।
सीधे मरीजों को मिलाया फोन
डीएम साहब ने महिला डॉक्टर से पूछा कि सुबह से कितने मरीज आए हैं। ये कहते हुए वो मरीजों के पंजीकरण का रजिस्टर खोलते हैं, उसमें उस दिन 25 मरीजों के नाम दर्ज होते हैं। डीएम पूछते हैं कि आज 25 मरीज आएं हैं। डॉक्टर हां में सिर हिला देती हैं। इसके फौरन बाद डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह अपने पीए से एक मरीज का नंबर डायल करने के लिए कहते हैं, जो लगता नहीं। फिर दूसरा नंबर मिलाने के लिए कहते हैं। पीएम नंबर मिलाता है। दूसरी तरफ से एक शख्स की आवाज़ आती है। पीए फोन सीधे डीएम साहब को थमा देता है। डीएम खुद बात करते हुए कहते हैं कि मैं जिलाधिकारी बोल रहा हूं। क्या आप आज अर्बन पीएचसी आए थे। डॉक्टर साहब ने आपका नाम लिखा हुआ है।
कागजों में चल रहा था इलाज
फोन पर दूसरी ओर से बात कर रहे शख्स ने कहा कि साहब हम बीमार नहीं हैं, तो अस्पताल क्यों जाएंगे। इसके बाद डीएम साहब ने रजिस्टर में दर्ज तीन चार मरीजों के नंबर पर कॉल की। सबकी कहानी एक जैसी निकली। मतलब साफ था कि डॉक्टर ने जिन मरीजों के नाम रजिस्टर में चढ़ाए थे, वो फर्जी थे. और उनका इलाज केवल कागज़ों में हो रहा था। इसके बाद डीएम साहब को पूरा माजरा समझ आ गया। इस बात से डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह काफी नाराज दिखाई दिए। इसके बाद उन्होंने अर्बन पीएचसी पर चल रहे इस पूरे फर्जीवाड़े की जांच रिपोर्ट बनाते हुए दोषी महिला डाक्टर और चिकित्सा अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए शासन को संस्तुति पत्र भेज दिया।
डीएम ने मौके पर पकड़ी गड़बड़ी
डीएम ने महाराजपुर मार्ग पर चल रहे निर्माण कार्यों का औचक निरीक्षण किया। वर्तमान में फुटपाथ और नाली का निर्माण चल रहा है। निरीक्षण में पाया गया कि नाली निर्माण में पीली ईंटों का प्रयोग किया जा रहा था। साथ ही प्लास्टर में सीमेंट-मौरंग का अनुपात भी मानकों के अनुसार नहीं था। डीएम ने इस गंभीर लापरवाही पर कार्यदायी संस्था को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। उन्होंने अधिशासी अभियंता को निर्देश दिए हैं कि वे तत्काल कार्यों का भौतिक सत्यापन करें। साथ ही सड़क निर्माण की गुणवत्ता जांच के लिए एक त्रिसदस्यीय समिति का गठन किया गया है।
स्कूल का किया निरीक्षण
कानपुर में तहसील दिवस के बाद जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने प्राथमिक विद्यालय का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान पता चला कि छह दिन से स्कूल में कोई शिक्षक नहीं है, जबकि 37 बच्चे पंजीकृत हैं। दोनों शिक्षक छुट्टी पर चले गए हैं। डीएम ने पूछा कि अभी तक यहां कोई शिक्षक क्यों नहीं तैनात किया गया। खंड शिक्षक अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है। साथ ही, निरीक्षण में और कई खामियां मिली हैं। जिलाधिकारी के द्वारा कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए गए है। इस मौके पर डीएम ने बच्चों के साथ बातचीत की। उनसे प्रश्न किए। मिड-डे मिल को चखा।
डीएम ने ऑटो चालक का किया सम्मान
कानपुर कलक्ट्रेट में आयोजित जनता दर्शन में एक ऑटो चालक ने जिलाधिकारी जितेंद्र सिंह से 26 जनवरी को इच्छा मृत्यु की अनुमति देने की बात कही, तो वे हतप्रभ हो गए थे। डीएम ने कारण पूछा, तो ऑटो चालक ने बताया कि ट्रैफिक प्रभारी ने बिना वजह उन्हें मारा और अपमानित किया है। इस पर डीएम ने पुलिस कमिश्नर को मामले की जांच करने के आदेश दिए थे। साथ ही, ऑटो चालक को गणतंत्र दिवस पर होने वाले कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि आमंत्रित किया। 26 जनवरी को ऑटो चालक राकेश कुमार सोनी गणतंत्र दिवस पर पहुंचा और तिरंगा फहराया।