Kasganj News: योगी सरकार ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई, लेकिन कासगंज जिले में रिश्वतखोरी की जड़ें गहरी हैं। एंटी करप्शन टीम की हालिया कार्रवाइयां इसकी गवाही दे रही हैं। छोटे-बड़े कामों के लिए रिश्वत का बोलबाला है, जिससे किसान, ठेकेदार, शिक्षक, व्यापारी और सेवानिवृत्त कर्मचारी तक परेशान हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर अधिकारी और कर्मचारी रिश्वत लेकर काली कमाई कर रहे हैं।
पिछले डेढ़ महीने में एंटी करप्शन टीम ने दो रिश्वतखोरों को रंगे हाथ पकड़ा। 21 मार्च 2025 को विकास भवन के डीडीओ कार्यालय में तैनात वरिष्ठ लिपिक प्रवीण कुमार को ग्राम पंचायत (Kasganj News) ऑडिट के लिए 25,000 रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया। इस कार्रवाई ने जिले में हड़कंप मचा दिया।
दूसरी कार्रवाई 1 मई 2025 को हुई जब पचलाना सिरावली में तैनात लेखपाल वीरेंद्र को एक किसान से जमीन की पैमाइश के लिए 15,000 रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया। लेखपाल ने शुरू में 30,000 रुपये की मांग की थी। जमीन सीमांकन, नामांतरण और पैमाइश जैसे कामों के लिए लेखपालों का रिश्वत लेना आम हो गया है। सरकारी योजनाओं की सब्सिडी और लाभ के लिए भी तय रेट चल रहे हैं। इन कार्रवाइयों ने कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों को बेनकाब किया लेकिन रिश्वतखोर अब सतर्क हो गए हैं।
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एंटी करप्शन संगठन के गठन के बाद कासगंज में पहली बार ऐसी कार्रवाइयां हुईं जिससे जनता में जागरूकता बढ़ी है। लोग अब रिश्वतखोरों के खिलाफ शिकायत करने को तैयार हैं। स्थानीय निवासी रमेश यादव ने कहा, “रिश्वत के बिना कोई काम नहीं होता। अब कार्रवाई से उम्मीद जगी है।”