कानपुर ऑनलाइन डेस्क। शहर से करीब 17 किमी की दूरी पर बिठूर कस्बा है। जिसे धार्मिक और क्रांतिकारियों की नगरी भी कहा जाता है। तेत्रायुग में इस धरा पर मां सीता ने कई बरस बिताए थे। लव-कुश का जन्म भी यहीं पर हुआ था। नानाराव पेशवा और तात्या टोपे ने अंग्रेजों के खिलाफ जंग-ए-आजादी का बिगुल भी बिठूर से फूंका था। यहीं पर भगवान श्रीराम की सेना और लव-कुश के बीच युद्ध भी लड़ा गया था। तब लव-कुश ने हनुमान जी को बंधक बना लिया और महार्षि वाल्मीकि आश्रम स्थित बंदीगृह में बंद कर दिया था। आज भी सैकड़ों वर्ष पूरानी जेल मौजूद है, जिसके अंदर बजरंगबली की मुर्ति विराजमान हैं। हरदिन सैकड़ों की संख्या में भक्त आते हैं और हनुमान जी के दर्शन कर पुण्ण कमाते हैं।
बिठूर में हुआ था लव-कुश का जन्म
बिठूर में महर्षि वाल्मीकि आश्रम है, जिसे लव-कुश की जन्म स्थली के नाम से जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रेता युग में जब लंका पर विजय प्राप्त कर भगवान श्रीराम अयोध्या आये तो उसके बाद उन्हें माता सीता का परित्याग करना पड़ा। श्रीराम के निर्देश पर लक्ष्मण जी माता सीता को रथ से परिहरि नामक स्थान जो बियाबान जंगल सा था, वहीं वट वृक्ष के निकट माता सीता को छोड़ कर लौट गए। इसी जंगल में महार्षि वाल्मीकि का आश्रम था। माता को जंगल में भटकते हुए देख वाल्मीकि जी ने माता को अपने आश्रम में शरण दी और यहां माता ने दो पुत्र लव कुश को जन्म दिया। राम जानकी मंदिर में लव-कुश के बाण आज भी रखे हुए हैं। सीता रसोई भी बनी हुई है। उस समय उपयोग किए गए बर्तन भी सीता रसोई में मौजूद हैं।
तब हनुमान जी को बनाया था बंधक
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि भगवान श्रीराम ने जब अश्वमेघ यज्ञ कराया था, तो कोई भी राजा उनके घोड़े को नहीं पकड़ पाया था। पुजारी बताते हैं कि, वाल्मीकि रामायण में उल्लेख है कि जब वो घोड़ा बिठूर पहुंचा तो लव-कुश ने उसे पकड़ कर बांध लिया था। इसकी जानकारी भगवान श्रीराम को हुई तो उन्होंने घोड़े को छुड़वाने के लिए हनुमान जी को बिठूर भेजा था। लव-कुश और हनुमान जी के बीच युद्ध हुआ। जब हनुमान जी को लव-कुश के बारे में जानकारी हुई तो उन्होंने खुद को दोनों भाईयों के सामने सरेंडर कर दिया। तब लव-कुश ने उन्हें बंधक बना लिया। आज भी यहां पर वो स्थल बना हुआ है जहां भगवान हनुमान को कैद किया गया था। कारागार के अंदर हनुमान जी की मुर्ति विराजमान हैं।
परिहरि में लड़ा गया था युद्ध
पौराणिक कथाओं के अनुसार, परिहरि जंगल में लव कुश और भगवान श्रीराम की सेना के बीच युद्ध लड़ा गया था। सबसे पहले लव-कुश ने हनुमान जी को यहीं पर बंधक बनाया था और वटवृक्ष में बांध दिया था। परियर में आज भी विशालकाय वटवृक्ष त्रेता युग की गवाही दे रहा है। यह वही विशालकाय वट वृक्ष बताया जाता है, जिसमें लव कुश ने हनुमान जी को बांधा था, जैसा कि कथाओं में वर्णित है। यहां वट वृक्ष के दर्शन करने के लिए देश से लोग आते हैं। बिठूर आने वाले भक्त परियर में आकर वटवृक्ष के दर्शन जरूर करते हैं। बता दें, कथाओं में जिस परिहरि का उल्लेख है वो बिठूर में गंगा पार के स्थित है, जो अब परियर के नाम से जाना जाता है।