I LOVE MOHAMMED controversy: कानपुर से शुरू हुई तकरार उत्तर प्रदेश के कई और शहरो में पहुंची जानिए अब कहां हुआ पुलिस पर पथराव

ललितपुर में धोखाधड़ी के मामले में जेल भेजे गए शिवम राठौर के पिता ने बेटे पर लगे आरोपों से आहत होकर आत्महत्या कर ली। बेटे को हथकड़ियों में ही अंतिम संस्कार में लाया गया, जिससे लोग भावुक हो उठे।

Lalitpur Tragedy: ललितपुर में रविवार को ऐसी घटना हुई जिसने हर किसी का दिल दहला दिया। बजाज फाइनेंस में 1.71 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के आरोप में जेल में बंद शिवम राठौर पर केस दर्ज किया गया था। बेटे पर लगे आरोपों से आहत होकर उसके पिता लक्ष्मी नारायण राठौर ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। परिवार का कहना है कि ये आरोप झूठे हैं और शिवम को जानबूझकर फंसाया गया है।

परिजनों और व्यापारियों का गुस्सा

पिता की मौत के बाद परिजन और स्थानीय व्यापारी आक्रोश में आ गए। वे मृतक का शव लेकर शहर के इलाइट चौराहे पर पहुंच गए और वहां जाम लगा दिया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की और आरोप लगाया कि पुलिस की गलत कार्रवाई ने लक्ष्मी नारायण को आत्महत्या के लिए मजबूर किया। लोगों की मांग थी कि शिवम को जेल से बाहर लाया जाए और अंतिम संस्कार में शामिल होने दिया जाए।

पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तनाव

स्थिति बिगड़ते देख कई थानों की पुलिस और वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। परिजनों और व्यापारियों का गुस्सा शांत करना आसान नहीं था। काफी बातचीत और समझाने के बाद अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि शिवम को पैरोल पर लाकर पिता के अंतिम संस्कार में शामिल कराया जाएगा। इसके बाद धीरे-धीरे भीड़ शांत हुई और अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू की गई।

हथकड़ियों में बेटे की बेबसी

जब शिवम को जेल से लाया गया तो उसके हाथों में हथकड़ियां लगी हुई थीं। पिता का शव सामने देखते ही वह जोर-जोर से रो पड़ा। आंखों में आंसू और हाथों में हथकड़ी के बीच उसका दर्द हर किसी ने महसूस किया। वहां मौजूद लोग यह मंजर देखकर भावुक हो उठे। कई लोगों की आंखों से भी आंसू छलक पड़े। सोशल मीडिया पर जब उसकी तस्वीरें वायरल हुईं तो आम जनता के बीच भी पुलिस की संवेदनहीनता पर सवाल उठने लगे। हालांकि, बाद में अंतिम संस्कार के बाकी कर्मकांड के दौरान शिवम के हाथों से हथकड़ी हटा दी गई।

लोगों का आक्रोश और सवाल

इस घटना ने पूरे शहर को हिला कर रख दिया। व्यापारियों और आम नागरिकों ने कहा कि पुलिस की लापरवाही और मनमानी ने एक पिता की जान ले ली। एक बेटा, जो खुद बेगुनाही साबित होने की लड़ाई लड़ रहा है, उसे समाज के सामने हथकड़ियों में खड़ा कर दिया गया। यह नजारा न्याय व्यवस्था और पुलिस की संवेदनशीलता दोनों पर सवाल उठाता है।

रिश्ते की वेदना

पिता और बेटे का रिश्ता बहुत गहरा होता है। बेटे पर लगे आरोपों ने पिता का मन तोड़ दिया और उन्होंने आत्महत्या का कदम उठाया। वहीं, बेटे को अपने ही पिता की चिता में आग देते समय हथकड़ियों से जूझना पड़ा। यह मंजर सिर्फ एक परिवार का नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए सोचने का विषय है

Exit mobile version