Lucknow News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मॉल एवेन्यू स्थित दरगाह मियां में रोजा इफ्तार का आयोजन किया गया। इस इफ्तार पार्टी में रोजेदारों के साथ-साथ बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। समाजवादी पार्टी (Lucknow News) के विधायक रविदास मेहरोत्रा ने भी इस आयोजन में शिरकत की और रोजेदारों के साथ नमाज पढ़कर इफ्तारी की। उनके इस कदम के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है।
हिंदू-मुस्लिम एकता ही असली भारत -सपा विधायक
रविदास मेहरोत्रा ने इस मौके पर कहा कि हिंदू और मुस्लिम समुदाय को एकजुट होकर रहना चाहिए। उन्होंने जी न्यूज से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि इस दुनिया का मालिक दो नहीं बल्कि एक है.. जिसे अलग-अलग धर्मों के लोग अपने-अपने तरीके से मानते हैं। हम होली साथ खेलते हैं.. नमाज साथ पढ़ते हैं.. यही असली भारत है। उन्होंने आगे कहा कि जो लोग नफरत फैलाकर भाई को भाई से लड़ाना चाहते हैं उनके लिए यह संदेश है कि हर धर्म का सम्मान होना चाहिए।
सपा विधायक ने अपने जीवन के अनुभव साझा करते हुए कहा की मैं मंदिर, चर्च, गुरुद्वारा और इफ्तारी में जाता हूं। जो लोग सुबह से पानी की एक बूंद पिए बिना ईश्वर की आराधना करते हैं और नमाज पढ़ते हैं.. उनके साथ नमाज पढ़ने में बीजेपी को क्या आपत्ति है? बीजेपी चाहती है कि हिंदू-मुस्लिम दंगे हों और भ्रष्टाचार, महंगाई, विकास जैसे मुख्य मुद्दों से जनता का ध्यान हटाया जाए। मैं इन मुद्दों को लेकर 250 से ज्यादा बार जेल गया हूं।
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नमाज का वीडियो मैंने शेयर नहीं किया
रविदास मेहरोत्रा ने यह भी साफ किया कि नमाज पढ़ने का वीडियो उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर नहीं किया। उन्होंने कहा कि मेरे पास 50 ऐसे वीडियो हैं जहां मैं जागरण और गुरुद्वारे में नजर आऊंगा। मेरा मकसद हर धर्म के लोगों को साथ लाना है। उनका कहना है कि वह धार्मिक एकता में विश्वास रखते हैं और इसे बढ़ावा देना चाहते हैं।
मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति -बीजेपी
वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने रविदास मेहरोत्रा के इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। बीजेपी ने इसे “मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति” और “वोटबैंक की खातिर किया गया ढोंग” करार दिया। पार्टी का आरोप है कि सपा हमेशा से ऐसी गतिविधियों के जरिए एक खास समुदाय को लुभाने की कोशिश करती रही है जबकि असल मुद्दों से ध्यान भटकाती है। बीजेपी नेताओं ने कहा कि यह सपा की पुरानी रणनीति का हिस्सा है जिसे जनता अब समझ चुकी है।
राजनीतिक गलियारों में छिड़ी बहस
इस घटना के बाद लखनऊ सहित पूरे प्रदेश के राजनीतिक हलकों में बहस छिड़ गई है। जहां सपा इसे धार्मिक सौहार्द और एकता का प्रतीक बता रही है वहीं बीजेपी इसे वोट की राजनीति से जोड़कर सवाल उठा रही है। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है। कुछ लोग रविदास मेहरोत्रा के कदम की सराहना कर रहे हैं तो कुछ इसे दिखावा करार दे रहे हैं। यह आयोजन और इसके बाद का विवाद एक बार फिर धर्म और राजनीति के बीच की महीन रेखा को उजागर करता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह घटना राजनीतिक परिदृश्य पर कितना असर डालती है।