Milkipur By-Election 2025: अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट का उपचुनाव इस बार बेहद रोमांचक हो गया है। 8 फरवरी को नतीजे आने हैं, लेकिन इससे पहले ही एग्जिट पोल और फलोदी सट्टा बाजार ने दलों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। इस सीट पर पहली बार रिकॉर्ड 65.25% मतदान हुआ, जो पारंपरिक उपचुनावों की तुलना में काफी अधिक है। समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर चल रही है। ज़ी न्यूज के एग्जिट पोल के अनुसार, भाजपा को 52% और सपा को 48% वोट मिलने की संभावना जताई गई है। वहीं, फलोदी सट्टा बाजार में भी भाजपा को थोड़ी बढ़त मिलती दिख रही है। ऐसे में अब सवाल यही है कि क्या सपा अपने गढ़ को बचा पाएगी या भाजपा इतिहास बदल देगी?
सपा के लिए मुश्किलें, बीजेपी की राह भी आसान नहीं
Milkipur सीट पर समाजवादी पार्टी का वर्चस्व रहा है, लेकिन इस बार मुकाबला आसान नहीं दिख रहा। चंद्रशेखर आजाद की पार्टी से सूरज चौधरी के मैदान में उतरने से सपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कभी सपा के करीबी रहे सूरज चौधरी के चुनाव लड़ने से समाजवादी वोट बैंक में सेंध लग रही है। वहीं, भाजपा के लिए भी स्थिति पूरी तरह अनुकूल नहीं है। पार्टी के उम्मीदवार चंद्रभानु पासवान को कुछ स्थानीय नेताओं की नाराजगी झेलनी पड़ रही है। टिकट वितरण को लेकर असंतोष की खबरें आई थीं, जिससे बीजेपी को नुकसान हो सकता है।
जातीय समीकरण तय करेंगे हार-जीत?
Milkipur सीट पर जातीय समीकरण निर्णायक भूमिका निभाएंगे। यहां 1.60 लाख दलित मतदाता हैं, जिनमें पासी समुदाय की संख्या सबसे अधिक है। बसपा इस चुनाव से बाहर है, जिससे पासी वोटों में बिखराव हो सकता है। भाजपा इस बार ब्राह्मण, ठाकुर, ओबीसी और गैर-पासी दलित वोटों पर ज्यादा फोकस कर रही है। सपा अपने पारंपरिक यादव-मुस्लिम गठजोड़ के साथ चुनाव लड़ रही है, लेकिन पासी वोट किसके पक्ष में जाते हैं, यह देखना अहम होगा।
इतिहास क्या कहता है?
Milkipur विधानसभा सीट पारंपरिक रूप से समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है। पिछले पांच चुनावों में चार बार सपा ने जीत हासिल की, जबकि सिर्फ एक बार बीजेपी को जीत मिली। यही कारण है कि सपा उम्मीदवार अजीत प्रसाद को फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। लेकिन इस बार समीकरण बदले हुए हैं और मतदान प्रतिशत भी ऐतिहासिक है। अब देखना यह होगा कि क्या भाजपा यहां कमल खिला पाएगी या सपा अपने किले को बचाने में कामयाब होगी? नतीजे 8 फरवरी को सामने आएंगे।