Milkipur by-election: कौन है वो उम्मीदवार.. जिसको भाजपा ने अजित प्रसाद के खिलाफ टिकट दिया,

उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने चंद्रभान पासवान को सपा के अजित प्रसाद के खिलाफ उम्मीदवार बनाया है। यह उपचुनाव क्षेत्रीय राजनीति, जातीय समीकरण और आगामी लोकसभा चुनावों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

Milkipur by-election

Milkipur by-election: उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की हलचल तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने इस सीट पर अपना उम्मीदवार घोषित करते हुए चंद्रभान पासवान को चुनावी मैदान में उतारा है। वह समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार अजित प्रसाद के खिलाफ मुकाबला करेंगे। यह उपचुनाव क्षेत्रीय राजनीति के साथ-साथ जातीय और सामाजिक समीकरणों को लेकर भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भाजपा ने इस टिकट के माध्यम से अपने वोटबैंक को मजबूत करने की रणनीति बनाई है, जबकि सपा अपनी पारंपरिक राजनीति और परिवारवाद के बल पर चुनावी लड़ाई में उतरी है। मिल्कीपुर उपचुनाव उत्तर प्रदेश की राजनीतिक दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है।

मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र की राजनीति पिछले कुछ वर्षों में जटिल हो चुकी है। यह अयोध्या लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जिसका धार्मिक और राजनीतिक महत्व अब पहले से कहीं ज्यादा बढ़ चुका है। 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) के अवधेश प्रसाद ने यहां जीत दर्ज की थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए उनके चयन के कारण यह सीट खाली हो गई है, जिस पर अब उपचुनाव हो रहे हैं।

भा.ज.पा. ने चंद्रभान पासवान को इस सीट पर उम्मीदवार बनाया है, जो दलित समुदाय से आते हैं। इस क्षेत्र में दलित मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और भाजपा ने इस वर्ग के वोटों को अपने पक्ष में लाने की रणनीति बनाई है। चंद्रभान पासवान की उम्मीदवारी से भाजपा को उम्मीद है कि वह इस वोटबैंक को अपनी ओर आकर्षित कर सकेगी, जो इस चुनाव को निर्णायक बना सकता है।

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वहीं, सपा ने अपने उम्मीदवार के तौर पर अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद को मैदान में उतारा है। अजित के पास अपने पिता की राजनीतिक विरासत का फायदा है, जो उन्हें इस चुनाव में एक मजबूत स्थिति प्रदान करता है। सपा ने अजित के माध्यम से स्थानीय मुद्दों और जनता के साथ सीधे संपर्क को प्रमुखता दी है। उनका अभियान समाजवादी विचारधारा, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर आधारित है, जिनका पार्टी ने हमेशा समर्थन किया है।

भा.ज.पा. के लिए यह Milkipur by-election केवल मिल्कीपुर की सीट पर जीत हासिल करने का सवाल नहीं है, बल्कि यह आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संकेत होगा। यदि भाजपा मिल्कीपुर में जीत हासिल करती है, तो यह पार्टी के लिए एक बड़ी रणनीतिक सफलता मानी जाएगी। इसके विपरीत, सपा के लिए यह चुनाव अपनी राजनीतिक स्थिति को पुनः स्थापित करने का अवसर है।

चुनाव अभियान के दौरान दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच तीखी बहस और आरोप-प्रत्यारोप भी देखने को मिल रहे हैं। भाजपा ने क्षेत्र में विकास परियोजनाओं को लेकर जनता को आकर्षित करने का प्रयास किया है, जबकि सपा ने अपने पारंपरिक राजनीतिक आधार और स्थानीय जुड़ाव पर जोर दिया है। दोनों पक्षों के दावे और वादे जनता के सामने हैं, और अब यह मिल्कीपुर के मतदाताओं पर निर्भर करेगा कि वे किसे अपना समर्थन देते हैं।

यह Milkipur by-election न केवल मिल्कीपुर के लिए, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए भी एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है, जो आने वाले चुनावों में दोनों दलों के लिए महत्वपूर्ण संकेतक होगा।

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