लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा के लिए 5 फरवरी हो वोटिंग हुई। 3 लाख 70 हजार से अधिक मतदाताओं ने 10 उम्मीदवारों की भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद कर दिया। मतदान के बाद कुछ न्यूज चैनल और पत्रकारों ने अपने-अपने एक्जिट पोल जारी किए हैं। जिसमें समाजवादी पाटी के गढ़ मिल्कीपुर में कमल का फूल खिलने का दावा किया जा रहा है। पत्रकारों ने अपने सर्वे में बताया है कि करीब 57 हजार पासी वोटर्स जो कई चुनाव में अखिलेश यादव के साथ रहा। वह इसबार बीजेपी के साथ चला गया। जिसके कारण यहां समाजवादी पार्टी का पीडीए फॉर्मूला काम नहीं आया।
बीजेपी-सपा के बीच सीधी टक्कर
उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए वोटिंग पूरी हो चुकी है। यहां 65.35 फीसदी मतदान हुआ है। इस सीट पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच मुकाबला है। कांग्रेस और बसपा ने अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं। कांग्रेस ने सपा को समर्थन दिया है। नगीना लोकसभा सीट से सांसद चंद्रशेखर आजाद की पार्टी ने अपना उम्मीदवार उतारा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिल्कीपुर में बीजेपी का पलड़ा भारी है। यहां समाजवादी पार्टी का पीडीए फॉर्मूला काम नहीं आया है। एक अखबार को दिए इंटरव्यू के दौरान वरिष्ठ पत्रकारों ने दावा किया है कि बीजेपी ने जिस तरह से चंद्रभान पासवान को टिकट दिया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कमान संभाली और कार्यकर्ताओं की फौज को जमीन पर उतारा। इसी के कारण उपचुनाव में बीजेपी का पलड़ा भारी दिख रहा है।
मिल्कीपुर में 10 उम्मीदवार चुनाव के मैदान में
मिल्कीपुर विधानसभा सीट फैजाबाद लोकसभा सीट में आती है। 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में फैजाबाद सीट पर सपा के अवधेश प्रसाद ने बीजेपी के लल्लू सिंह को 7,733 वोट से हराया था। अवधेश प्रसाद को 95,612 और लल्लू सिंह को 87,879 वोट मिले थे। इसके बाद अवधेश प्रसाद सांसद बने और मिल्कीपुर विधानसभा सीट खाली हो गई। सीट खाली घोषित होने के करीब 8 महीने बाद उपचुनाव कराए गए। सपा ने इस सीट पर अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को प्रत्याशी बनाया। जबकि बीजेपी चंद्रभानु पासवान को मैदान में उतारा। नगीना लोकसभा क्षेत्र से सांसद चंद्रशेखर आजाद की पार्टी आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने सपा के बागी संतोष उर्फ सूरज चौधरी को मौका दिया। कुल मिलाकर मिल्कीपुर उपचुनाव में 10 उम्मीदवार चुनाव के मैदान में हैं।
जहां बीजेपी नहीं जीती थी ऐसे में इस बार
मिल्कीपुर उपचुनाव की वोटिंग के बाद एक न्यूज चैनल के साथ 5 पत्रकारों ने बातचीत की। पत्रकार निमिष गोस्वामी ने दावा किया कि यह सीट बीजेपी के खाते में जा सकती है। इसके पीछे वजह बताते हुए गोस्वामी ने कहा कि चंद्रभानु पासवान पहले से राजनीति में सक्रिय हैं। वहीं अजीत प्रसाद का यह पहला चुनाव था। इसके अलावा ब्राह्मण बाहुल्य सीट होने की वजह से भी बीजेपी को फायदा मिला है। वहीं पत्रकार अजय कुमार ने कहा कि मिल्कीपुर सीट बीजेपी के खाते में जा सकती है। साल 2022 के चुनाव परिणामों का जिक्र करते हुए अजय ने कहा कि अयोध्या जनपद की यह इकलौती सीट थी, जहां बीजेपी नहीं जीती थी। ऐसे में इस बार पार्टी ने पूरी ताकत लगा दी, जिसका परिणाम 8 फरवरी को देखने को मिल सकता है।
बीजेपी के पक्ष में जाने की संभावना
पत्रकार प्रवेश पांडेय ने कहा कि इस सीट पर बीजेपी आगे है। हालांकि जीत और हार के सवाल पर पांडेय ने कहा कि दोनों दलों के बीच 65-35 फीसदी का अनुपात है। मुकाबला इतने कांटे का था कि हार जीत का आंकलन करना आसान नहीं है। पत्रकार सत्य प्रकाश ने मिल्कीपुर सीट बीजेपी के खाते में जाने की संभावना जताते हुए कहा कि जिस तरह की सियासी गोलबंदी साल 2022 के विधानसभा चुनाव में हुई थी, वह सपा की ओर से इस चुनाव में नहीं दिखी. सपा कुछ मोर्चों पर कमजोर रही। पत्रकार भानु प्रताप सिंह ने भी मिल्कीपुर सीट को बीजेपी के पक्ष में जाने की संभावना जताई।
सपा की चुनावी तैयारी बहुत फीकी नजर आई
वरिष्ठ पत्रकार अनिल सिंह कहते हैं, वोटों के रुझान से मिल्कीपुर में भाजपा को बढ़त मिलती दिख रही है। अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद भी लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार मिल्कीपुर की जनता को भी अच्छी नहीं लगी थी। मिल्कीपुर की जनता इस बार उसका प्रायश्चित भी करना चाहेगी। सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में जिस तरह बीजेपी ने बीते 6 महीने में चुनाव की तैयारी की है। उसके आगे सपा की चुनावी तैयारी बहुत फीकी नजर आई है। पत्रकार पवन श्रीवास्तव बताते हैं कि इसबार मिल्कीपुर का वोटर्स का झुकाव बीजेपी की तरफ दिखा। पासी समाज का वोटर्स बड़ी संख्या में बीजेपी की तरफ शिफ्ट हुआ है। ब्राम्हण पहले से ही बीजेपी के साथ था। ऐसे में कह सकते हैं कि मिल्कीपुर में बीजेपी की जीत हो सकती है।
65 फीसदी हुई वोटिंग
अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में 65.25 फीसदी वोटिंग हुई। 2022 के विधानसभा चुनाव से यह 5 फीसदी ज्यादा है। तब 60.2 फीसदी वोटिंग हुई थी। वोटिंग के रुझान संकेत दे रहे हैं कि मिल्कीपुर के वोटर्स ने 2022 और 2024 में लिए गए निर्णय को बदलने के लिए वोटिंग की है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी के रूठे हुए नेताओं को मनाने में कामयाब रहे। बीजेपी कैंडिडेट चंद्रभानु की साफ छवि का फायदा भी बीजेपी को मिलता दिखा। बीजेपी के बूथ लेवल कार्यकर्ता अपने कोर वोटर को मतदान केंद्र तक लाने के लिए ताकत झोंकते हुए दिखे। पवन श्रीवास्त्व बताते हैं कि मुस्लिम वोटर्स इकतरफा सपा के साथ गया। यादव के अलावा कुछ जातियां सपा कैंडीडेट के साथ खड़ी दिखाई दीं। पर जीत-हार में पासी और ब्राम्हण मतदाताओं की सीधी दखल रहती है और इन दोनों जातियों का बड़ा वोटबैंक बीजेपी के साथ रहा।
अब तक जीते विधायक
2022 में हुए विधानसभा चुनाव में मिल्कीपुर सीट पर सपा के अवधेश प्रसाद ने बीजेपी के गोरखनाथ बाबा को 13,338 मतों से चुनाव हराया था। अवधेश प्रसाद को 1,03,905 वोट और बाबा गोरखनाथ को 90,567 वोट मिले थे। 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के बाबा गोरखनाथ को 86,960 और सपा के अवधेश प्रसाद को 58684 वोट मिले थे। बाबा गोरखनाथ ने अवधेश प्रसाद को 28276 मतों से हराया था। 2012 में अवधेश प्रसाद जीते 2012 में अवधेश प्रसाद ने चुनाव जीता था। सपा को 73,803 वोट मिले थे। वहीं बीजेपी के रामू प्रियदर्शी 32,972 वोट पर सिमट गए थे। इस चुनाव में बसपा दूसरे पायदान पर रही। उसके कैंडिडेट पवन कुमार को 39,566 वोट मिले थे। दलित वोटर के सपोर्ट से 2007 का चुनाव बसपा ने जीता था। आनंद सेन को 60,515 वोट मिले थे। सपा के राज चंद्र यादव को 51,136 वोट मिले थे। बीजेपी के मथुरा प्रसाद को 14,767 वोट मिले, वह तीसरे पायदान पर रहे थे।
जानिए मिल्कीपुर के जातीय आंकड़े
अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट के आंकड़ों की बात करें तो यहां कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख 70 हजार है। ऐसा माना जाता है कि इसमें सबसे अधिक अनुसूचित जाति और फिर दूसरे नंबर पर पिछड़े वर्ग के वोटर हैं। यहां अनुसूचित जाति वर्ग में पासी समाज और ओबीसी में यादव सबसे प्रभावी हैं। यहां सवा लाख दलित हैं, जिनमें पासी बिरादरी के वोट ही करीब 57 हजार हैं। इसके अलावा 30 हजार मुस्लिम और 55 हजार यादवों की तादाद है। इसके साथ ही मिल्कीपुर में सवर्ण बिरादरी में ब्राह्मण समाज के 60 हजार मतदाता हैं। क्षत्रियों और वैश्य समुदाय की तादाद क्रमशः 25 हजार और 20 हजार है। अन्य जातियों में कोरी 20 हजार, चौरसिया 18 हजार हैं। साथ ही पाल और मौर्य बिरादरी भी अहम हैं।
चुनाव आयोग पर बड़ा हमला बोला
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मिल्कीपुर उपचुनाव को लेकर चुनाव आयोग पर बड़ा हमला बोला है। अखिलेश यादव ने कहा, ’यह भाजपा का चुनाव लड़ने का तरीका है। चुनाव आयोग मर गया है, सफेद कपड़ा हमें भेंट करना पड़ेगा। मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा सरकार के इशारे पर लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया की धज्जियां उड़ायी गई। भाजपा और प्रशासन ने कई जगहों पर फर्जी वोटिंग की और जमकर धांधली की। अखिलेश यादव ने कहा कि मिल्कीपुर में वोटिंग के दौरान पुलिस-प्रशासन का रवैया अलोकतांत्रिक रहा। दर्जनों बूथों पर समाजवादी पार्टी के बूथ एजेंटों को डराया-धमकाया गया।
जनता अब सपा की हकीकत जान गई
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा मिल्कीपुर में सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार और संगठन ने समन्वय से चुनाव प्रचार किया। मिल्कीपुर की जनता अब सपा की हकीकत जान गई है। कार्यकर्ताओं ने दिन-रात चुनाव में जीत के लिए मेहनत की है। सभी जाति और समाजों का समर्थन बीजेपी को मिला है। जनता ने बीजेपी प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान के पक्ष में मतदान किया है। बीजेपी रिकार्ड मतों से चुनाव जीतेगी। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने अखिलेश यादव के सारे आरोप निराधार हैं। जब चुनाव जीतते हैं तो चुनाव आयोग ईवीएम ठीक होती हैं। चुनाव हारने के बाद सरकारी एजेंसियों पर सपा, कांग्रेस अक्सर सवाल खड़ा करती है।