जंगल में घेराबंदी, फायरिंग के दौरान मारा गया शूटर
मेरठ एसटीएफ को खुफिया सूचना मिली थी कि शाहरुख पठान छपार क्षेत्र में सक्रिय है और किसी बड़ी वारदात की योजना बना रहा है। सूचना के आधार पर एसटीएफ की टीम ने कमांडर संजय वर्मा और घुले सुशील चंद्रभान के नेतृत्व में सघन तलाशी अभियान शुरू किया। देर रात करीब दो बजे बिजोपुरा चौराहे के पास जंगल में संदिग्ध गतिविधि देख टीम ने घेराबंदी की। खुद को घिरता देख शाहरुख पठान ने पुलिस टीम पर फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में वह गोली लगने से मौके पर ही ढेर हो गया। पुलिस ने उसके कब्जे से एक ब्रेजा कार, एक पिस्टल, दो रिवॉल्वर, जिंदा व खोखा कारतूस बरामद किए।
मुख्तार गैंग से था गहरा नाता, इलाके में फैला था आतंक
शाहरुख पठान Muzaffarnagar के खालापार इलाके का निवासी था और संजीव जीवा व मुख्तार अंसारी गैंग का सक्रिय सदस्य था। उस पर हत्या, लूट, रंगदारी और अवैध हथियार जैसे संगीन मामलों में एक दर्जन से अधिक केस दर्ज थे। वह लंबे समय से फरार चल रहा था और कई जिलों की पुलिस को उसकी तलाश थी। इलाके में वह लोगों में दहशत का कारण बन चुका था। स्थानीय लोगों के अनुसार, शाहरुख की मौजूदगी से व्यापारी और आम लोग डरे रहते थे। एनकाउंटर की खबर मिलते ही लोगों ने पुलिस की कार्रवाई को सराहा।
योगी सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ का असर
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के कार्यकाल में अपराधियों के खिलाफ जारी सख्ती का यह ताजा उदाहरण है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले आठ वर्षों में राज्य में 12,000 से ज्यादा एनकाउंटर हुए हैं, जिनमें 228 से अधिक कुख्यात अपराधी मारे गए हैं। एसटीएफ और मुजफ्फरनगर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित किया है कि कानून तोड़ने वालों के लिए यूपी की जमीन अब सुरक्षित नहीं रही। पुलिस ने बताया कि इलाके में तलाशी अभियान अभी भी जारी है ताकि शाहरुख के अन्य साथियों को भी गिरफ्तार किया जा सके।
शाहरुख पठान का मारा जाना उत्तर प्रदेश पुलिस की त्वरित और निर्णायक कार्रवाई का प्रतीक बनकर सामने आया है। यह Muzaffarnagar मुठभेड़ न केवल गैंगवार के खिलाफ एक मजबूत संदेश देती है, बल्कि आम जनता के बीच सुरक्षा की भावना को भी मजबूत करती है।