‘गजब’ 103 साल बाद नवंबर का महिना रहा सबसे गर्म, बारिश के क्या हैं आसार और जानिए कब से पड़ेगी ठंड

UP Weather News of December 2024: नवंबर 2024 का महीने ने 103 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। साल 2024 का नवंबर महीना सबसे गर्म रहा।

कानपुर ऑनलाइन डेस्क। पता नहीं मौसम को क्या हो गया है। क्यों पिछले एक दशक से मौसम कर रहा बेवफाई। जिसकी सबसे ज्यादा मार हमारे देश का अन्नदाता उठा रहा। दिसंबर का माह आते ही प्रचंड सर्दी पड़ने लगती थी। सुबह से आसमान में बादल मंडराने लगते थे। किसान भी मुस्कराता और खेत में गेंहू से लेकर आलू की फसल पर खाद-पानी देता। लेकिन दिसंबर 4 तारीख बीत गई, लेकिन राजधानी लखनऊ के अलावा आसपास के जनपदों में अभी भी गर्मियों का अहसास हो रहा है। पिछले महीने यानी नवंबर में भी मौसम का यही हाल रहा। 103 साल बाद नवंबर का यूपी के लिए सबसे गर्म रहा। सुबह-शाम भले ही तापमान कम हुआ हो, लेकिन अधिकतम तापमान 30 डिग्री के आसपास रहा। इस साल देशभर के ज्यादातर हिस्सों में दिसंबर से फरवरी तक तापमान सामान्य से ज्यादा रहने के आसार हैं।

1921 में नवंबर रहा था गर्म

साल 1921 के बाद यूपी के लिए नवंबर महीना दूसरा सबसे गर्म रहा। नवंबर माह में औसत तापमान लखनऊ समेत यूपी के सभी जनपदों से सामान्य से अधिक रहा। मौसम विभाग ने पूर्वानुमान जारी किया है कि दिसंबर भी न्यूनतम और अधिकतम तामपान सामान से ज्यादा रह सकता है। खासतौर पर लखनऊ, कानपुर, अयोध्या और बस्ती में तापमान सामान्य से काफी अधिक जा सकता है। दरअसल मॉनसून के जाने के बाद से ही यूपी में अब तक बारिश नहीं हुई। सितबंर की शुरुआत से ही मौसम शुष्क बना हुआ है। भले ही अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में कम ही बारिश होती है, लेकिन इसकी वजह से ठंड जरूर बढ़ जाती है।

ऐसे में बारिश की संभावना बहुत कम

अमौसी स्थित मौसम केंद्र के अनुसार दिसंबर माह शीतलहर के दिन भी सामान्य से कम रहेंगे। औसत रूप से माना गया है कि दिसंबर के दौरान 6 दिन शीतलहर चलती है। इस लिहाज से दो से तीन दिन तक की कमी आने का पूर्वानुमान है। शीतलहर के इस माह दिन घटकर दो य तीन हो सकते हैं। मौसम केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल सिंह के अनुसार नवंबर देश के उत्तर पश्चिम हिस्से में सबसे गर्म रहा। बीते 103 वर्षों के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार माह के दौरान अलग-अलग दिनों में अधिकतर और न्यूनतम तापमान ने सर्वाधिक स्तर को छुआ है। दिसंबर में पश्चिमी विक्षोभ आएगा भी तो यूपी तक असर कम रहेगा। ऐसे में बारिश की संभावना बहुत कम हैं। तूफान फेंगल के कारण हल्की-फुल्की उत्तर-पश्चिमी हवाएं चल रही हैं। इसके कारण दिन और रात के तापमान में वृद्धि दर्ज की गई है।

आलू पर पड़ रही मौसम की मार

वहीं बतुके मौसम से आलू किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। बढ़े तापमान के चलते आलू का जमाव नहीं हो पा रहा है, तो वहीं आलू के बीच सड़ने से आर्थिक चोट भी किसानों को लग रही है। 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच दिन और रात में सामान्य से ज्यादा गर्मी रही। इसके चलते कानपुर मंडल में 10 से 25 फीसदी तक आलू का जमाव घट गया। इस अवधि में अधिकतम तापमान 30 से 32 तो रात का 24 से 26 डिग्री सेल्सियस रहा। यही वजह रही की बोया गया आलू सड़ गया। इसबार आलू का जमाव 10 से 25 फीसदी तक कम हुआ है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक वर्ष 2025 में आलू उत्पादन 20 फीसदी तक कम होने की उम्मीद है। आलू बुआई के दौरान दिन का तापमान अधिकतम 22 से 24 और रात्रि का 20 से 22 डिग्री रहना चाहिए। इससे उत्पादन बेहतर होगौ।

पहाड़ों पर कमजोर वेस्टर्न डिस्टरबेंस

बारिश न होने की पीछे वजह है वेस्टर्न डिस्टरबेंस। इस साल पहाड़ों पर कमजोर वेस्टर्न डिस्टरबेंस आ रहे हैं। इसकी वजह से दिल्ली समेत उत्तर भारत पर कोई प्रभाव नहीं पहुंच रहा। इसकी वजह से कड़ाके की ठंड के आगाज में देरी हो रही है। दूसरी वजह है पहाड़ों से आने वाली ठंडी हवाएं। लेकिन नवंबर से ही यूपी और दिल्ली में तेज हवाएं नहीं चली हैं। आम तौर पर अक्टूबर महीने के बाद पहाड़ों से बर्फीली हवाएं उत्तर भारत की ओर आती हैं। जिसकी वजह से तेजी से तापमान कम होता है और ठंड बढ़ने लगती है। इस साल अभी तक बर्फीली हवाएं और शीतलहर शुरू नहीं हो पाई हैं। मौसम विभाग का कहना है कि दिसंबर के पहले महीने में तो मौसम सामान्य ही बना रहेगा। कुछ बड़े बदलाव के आसार नहीं है।

Exit mobile version