लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। यूपी के खूंखार माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए तत्कालीन सरकार ने 1998 में यूपी एसटीएफ का गठन किया। इसके बाद यूपी एसटीएफ ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। श्रीप्रकाश को ठोका और अतीक एंड बदमाश कंपनी का सफाया किया। कानपुर के विकास दुबे ने जब सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों को शहीद कर दिया, तब एसटीएफ ने पलटवार किया। विकास दुबे समेत उनकी पूरी गैंग का जांबाज फोर्स ने सफाया कर दिया। स्वतंत्रता दिवस पर यूपी एसटीएफ के दो डिप्टी एसपी दीपक कुमार सिंह और धर्मेश कुमार शाही के अलावा 15 अन्य जवानों को गैलेंट्री मेडल से सम्मानित किए जानें का ऐलान किया। ऐसे में हम आपको इन दो जांबाज अफसरों के बारे में बताने जा रहे हैं।
पहले जानते हैं यूपी एसटीएफ के डीएसपी दीपक कुमार सिंह के बारे में। दीपक कुमार सिंह को 2024 में गोरखपुर के माफिया विनोइ कुमार उपाध्याय को दबोचने का टॉस्क दिया गया। डीएसपी दीपक कुमार सिंह, इंस्पेक्टर हेमंत भूषण सिंह और हेड कांस्टेबल विनोद कुमार की टीम ने पांच जनवरी 2024 को सुलतानपुर में मुठभेड़ में माफिया गोरखपुर निवासी विनोद कुमार उपाध्याय मुठभेड़ में मार गिराया था। उस पर सुपारी लेकर हत्या, लूट, व्यापारियों से रंगदारी वसूलने के 45 मामले दर्ज थे। पुलिस ने एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। विनोद के मारे जानें के बाद डीएसपी दीपक कुमार सिंह चर्चा में आए। अब सरकार ने डीएसपी समेत इस साहसिक मुठभेड़ में शामिल तीनों पुलिसकर्मियों को गैलेंट्री मेडल से सम्मानित किए जानें की घोषणा की है।
एसटीएफ के दूसरे डिप्टी एसपी धर्मेश शाही, एसआई यशवंत सिंह और हेड कांस्टेबल नीरज कुमार पांडेय को बलिया के रसड़ा थानाक्षेत्र में तीन सितंबर 2021 को तीन राज्यों के वांछित शहाबुद्दीन व मुख्तार अंसारी गिरोह के शूटर व एक लाख के इनामी हरीश पासवान को मुठभेड़ में मार गिराया। उसके खिलाफ बलिया में हत्या कर दो कैश वैन की लूट, जिला पंचायत सदस्य की हत्या समेत 33 मामले दर्ज थे। यूपी एसटीएफ के डीएसपी शाही ने इस ऑपरेशन को लीड किया था। ऐसे में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति ने गैलेंट्री अवॉर्ड का ऐलान किया है। साल 2023 में भी डीएसपी शाही को वीरता के लिए पुलिस पदल मिल चुका है।
धर्मेश कुमार शाही यूपी एसटीएफ के जाने माने पुलिस अधिकारी हैं। वह एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम से लोगों के बीच फेमस हैं। वह यूपी के ही देवरिया जिसे के रहने वाले हैं। डीके शाही एक ऐसा नाम हैं, जिससे माफिया और अपराधी थर-थर कांपते हैं। जानकारी के मुताबिक वह अब तक 50 से ज्यादा एनकाउंटर कर चुके हैं। धर्मेश कुमार शाही या डीके शाही देवरिया के रहने वाले हैं। वह लखनऊ यूनिवर्सिटी से एलएलबी हैं। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई अपने जिले से ही की थी। जिसके बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से उन्होंने एमए किया था। फिर लॉ की पढ़ाई करने वह लखनऊ चले गए थे।
धर्मेश शाही ने पुलिस में अपनी नौकरी की शुरुआत साल 2001 में बातौर सब इंस्पेक्टर की थी। उनकी पहली तैनाती गोंडा जिले में हुई। इसके बाद वह लखनऊ गए। लखनऊ में पोस्टिंग होते ही उन्होंने अपराधियों के खिलाफ मुहिम शुरू कर दी। वह पहली बार साल 2004 में चर्चा में आए, जब उन्होंने दो पुलिसकर्मियों की हत्या मामले में फरार चल रहे 1 लाख के इनामी देवेंद्र उर्फ सुल्तान को अमरोहा से धर दबोचा था। इसके बाद एनकाउंटर का ये सिलसिला चलता गया। हालांकि जमशेदपुर में हुए एनकाउंटर के दौरान वह खुद भी गोली लगने से घायल हो गए थे। धर्मेश शाही को दो बार यूपी सरकार से आउट ऑफ टर्न प्रमोशन भी मिल चुका है।