लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले को लेकर पूरे देश में आक्रोश है। लोग सड़क पर पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हिंदू संघर्ष समिति के तत्वावधान में जन आक्रोश रैली का आयोजन किया गया। इसी रैली में किसान नेता राकेश टिकैत भी शामिल हुए थे। तभी धक्का-मुक्की हुई और राकेश टिकैत की पगड़ी गिर गई। . इस घटना से नाराज बीकेयू अध्यक्ष नरेश टिकैत ने शनिवार को मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में आपातकालीन महापंचायत बुलाने की घोषणा की है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में मुजफ्फरनगर में हिंदू संघर्ष समिति के तत्वावधान में जन आक्रोश रैली का आयोजन किया गया। रैली में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी शामिल हुए। राकेश टिकैत की उपस्थिति का कुछ लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया। उन्हें जनसभा को संबोधित करने से रोका गया। सैकड़ों लोग मंच के पास पहुंच गया और राकेश टिकैत गोबैक के नारे लगाने लगे और भीड़ का एक हिस्सा उत्तेजित हो गया। जिसके कारण राकेश टिकैत वहां से चले गए। जब वह जा रहे थे, तभी हाथापाई हुई और उनकी पगड़ी जमीन पर गिर गई।
हाथापाई का लगाया आरोप
किसान नेता राकेश टिकैत ने घटना की निंदा करते हुए इसे किसान आंदोलन को दबाने के लिए एक विशेष राजनीतिक दल की साजिश बताया है। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ कुछ युवकों को भेजा गया था और जो लोग परेशान कर रहे थे, उनमें से कुछ शराब के नशे में थे और उन्हीं लोगों ने हमारे साथ हाथापाई की और हमारी पगड़ी को भी हाथ लगाया। पुलिस अधीक्षक (नगर) सत्यनारायण प्रजापत ने घटना पर सफाई देते हुए बताया कि रैली में कुछ लोगों ने भाकियू नेता का विरोध किया और उन्हें परेशान किया और धक्का-मुक्की के दौरान उनकी पगड़ी गिर गई। एसपी ने कहा कि राकेश टिकैत पर डंडों से हमला करने की खबरें गलत हैं।
आपातकालीन महापंचायत
राकेश टिकैत के साथ हुई धक्का-मुक्की के बाद उनके आवास पर बड़ी संख्या में किसान एकत्र हो गए। घटना से नाराज बीकेयू अध्यक्ष नरेश टिकैत ने शनिवार को मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में आपातकालीन महापंचायत बुलाने की घोषणा की। उन्होंने इसे किसान समाज के ’सम्मान की रक्षा’ का विषय बताया और कहा कि यह महापंचायत किसी पार्टी, मजहब या व्यक्ति विशेष से जुड़ी नहीं, बल्कि किसानों की अस्मिता से जुड़ा निर्णय स्थल होगा। नरेश टिकैत ने कहा, घटना को अंजाम देने वाले लोग कहीं के भी हो सकते हैं, पर हम अपने इतिहास पर दाग नहीं लगने देंगे। हम कमजोर नहीं हैं, पर जिम्मेदारी बड़ी है। महापंचायत में सब सामने आ जाएगा। यह किसी संगठन या दल के खिलाफ नहीं, बल्कि किसान-मजदूर की गरिमा बचाने की सभा है।
विरोध को ’प्री-प्लांड’ साजिश बताया
नरेश टिकैत ने साफ किया कि महापंचायत में कोई विशेष आमंत्रण नहीं भेजा जाएगा। जो लोग किसान आंदोलन, सम्मान और एकता के साथ हैं, वे स्वयं पहुंचे। टिकैत ने कहा कि अगर जिले में हमारे घर तक ऐसी घटनाएं होंगी, तो फिर किसान कैसे सुरक्षित रहेगा। राकेश टिकैत ने इस विरोध को ’प्री-प्लांड’ साजिश बताया और इशारों-इशारों में कुछ राजनीतिक दलों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि किसानों की एकता को तोड़ने की कोशिश हो रही है। अब हम महापंचायत में आगे की रणनीति पर विचार करेंगे। सरकार और प्रशासन किसानों की आवाज नहीं दबा सकता। ये किसानों के सम्मान की लड़ाई है।
अखिलेश यादव ने इस घटना की निंदा
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटना की निंदा करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि बीजेपी ने किसी एक किसान नेता की ही नहीं बल्कि हर एक किसान की पगड़ी उछाली है। परम आदरणीय चौधरी चरण सिंह जी ने जीवन भर किसानों के मान-सम्मान की जो लड़ाई लड़ी, ये हमला उनकी उन ऐतिहासिक कोशिशों पर भी हुआ है। आगे लिखा कि इससे ग़ाज़ीपुर बार्डर से ग़ाज़ीपुर तक उप्र का हर किसान आंदोलित है। कोई और भले लाठी का वार और तिरस्कार भूल जाए, सच्चा किसान कभी नहीं भूलेगा। निंदनीय! किसान कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा!। सपा के कई नेता राकेश टिकैत से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की और महापचांयत में आने का आश्वासन भी दिया।
चंद्रशेखर आजाद ने प्रतिक्रिया दी
राकेश टिकैत के साथ हुई घटना को लेकर नगीना सांसद और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के नेता चंद्रशेखर आजाद ने प्रतिक्रिया दी है। सोशल मीडिया साइट एक्स पर नगीना सांसद ने लिखा, मुजफ्फरनगर में किसान नेता राकेश टिकैत जी के साथ जो व्यवहार हुआ, पगड़ी उतारना, सिर पर लाठी मारना, ये न केवल एक किसान नेता का अपमान है, बल्कि हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों और किसान आंदोलनों के सम्मान पर भी हमला है। उन्होंने लिखा, टिकैत के किसी बयान को लेकर असहमति हो सकती है, लेकिन उसका जवाब हिंसा नहीं हो सकता। पगड़ी किसी की पहचान और गरिमा का प्रतीक होती है। इस तरह की घटनाएं न केवल समाज में नफरत फैलाती हैं, बल्कि लोकतांत्रिक संवाद की जगह टकराव को बढ़ावा देती हैं।