Prayagraj के महाकुंभ से लौटे श्रद्धालुओं की आस्था ने रामलला के खजाने को समृद्ध कर दिया है। मकर संक्रांति से शुरू हुआ महाकुंभ जैसे-जैसे आगे बढ़ा, वैसे-वैसे राम मंदिर में चढ़ावा बढ़ता गया। खासतौर पर मौनी अमावस्या के आसपास श्रद्धालुओं की भीड़ ने मंदिर में भारी चढ़ावा अर्पित किया।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अयोध्या शाखा के मुख्य प्रबंधक जीपी मिश्र ने बताया कि 26 जनवरी से प्रतिदिन औसतन एक करोड़ रुपये का चढ़ावा आ रहा है। इस तरह 34 दिनों में श्रद्धालुओं ने करीब 34 करोड़ रुपये मंदिर में समर्पित किए हैं।
मंदिर में रोज होती है चढ़ावे की गिनती
राम मंदिर में चढ़ावे की गिनती और प्रबंधन के लिए 9 स्थायी कर्मचारियों के साथ 36 आउटसोर्सिंग कर्मियों को भी लगाया गया है। ये कर्मचारी रोजाना चढ़ावे के नोटों और सिक्कों की गिनती करके उनका हिसाब-किताब रखते हैं। गिनती के बाद ये रुपये बैंक में जमा किए जाते हैं।
सिक्कों की गिनती भी मशीन से होती है
एसबीआई के अधिकारियों के अनुसार, सिक्कों की गिनती विशेष मशीनों से की जाती है। यह मशीन 1, 2, 5 और 10 रुपये के सिक्कों को अलग-अलग कर देती है। गिनती के बाद सौ-सौ सिक्कों के पैकेट बनाकर दो-दो हजार के बंडल तैयार किए जाते हैं। छोटे मूल्य के सिक्के बैंक में जमा कर दिए जाते हैं, जबकि बड़े मूल्य के सिक्के मंदिर में ही इस्तेमाल होते हैं।
सोने-चांदी के आभूषणों से बन रहे बिस्किट
रामलला को चढ़ाए गए सोने-चांदी के आभूषणों की वैज्ञानिक विधि से शुद्धता जांच कर धातु को अलग किया जाता है। इसके बाद इन धातुओं के बिस्किट बनाए जाते हैं।
इस कार्य के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने भारत सरकार की अर्ध-शासकीय संस्था सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SPMCIL) से अनुबंध किया है। संस्था का कार्यालय लखनऊ में स्थित है।
पहले मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए गए आभूषणों को इकट्ठा कर जांच के लिए भेजा जाता था। अब धातुओं की शुद्धता की जांच के बाद इन्हें बिस्किट में बदला जा रहा है।
रामलला की सेवा में भक्तों का योगदान
श्रद्धालु अपनी भक्ति और आस्था के रूप में बड़ी मात्रा में चढ़ावा अर्पित कर रहे हैं। यह न केवल मंदिर की सेवा में काम आ रहा है, बल्कि मंदिर के विकास कार्यों में भी सहायक साबित हो रहा है।