Sambhal Shahi Jama Masjid: मथुरा और काशी को लेकर चल रही मुकदमेबाजी के बीच अब संभल की शाही जामा मस्जिद पर भी हिन्दू पक्ष ने दावा ठोंक दिया है। हिन्दू पक्ष का दावा है कि ये प्राचीन हरिहर मंदिर था जिसे तोड़कर मस्जिद बना दिया गया। इस मामले में हिन्दू पक्ष की ओर से याचिका दायर की गई जिस पर जिला अदालत ने सर्वे का आदेश दिया है जिसके एक चरण का सर्वे हो भी चुका है। इस मामले को लेकर जारी अदालती कार्रवाई के बीच सियासत भी तेज हो गई है। वोट बैंक की चिन्ता में तथ्यों पर बात ना करके इसे उकसाने की कार्रवाई करार दिया जा रहा है। सवाल उठता है कि क्या वाकई हिन्दू पक्ष का दावा हवा हवाई है या फिर वाकई इसमें दम है।
सियासी बयानबाजी जारी, तथ्यों को कर रहे अनदेखा
संभल में शाही जामा मस्जिद को लेकर बयानबाजी का दौर तेज हो गया है। समाजवादी पार्टी और बीएसपी ने तो खुलकर इसका विरोध किया है। वहीं मौलाना भी (Sambhal) भड़के हुए हैं। सवाल उठता है कि अगर मस्जिद वाकई मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई तो सर्वे का विरोध क्यों। क्या ज्ञानवापी की तरह यहां भी कुछ छिपाने की कोशिश हो रही है। क्योंकि अगर मस्जिद का दावा सही है तो सर्वे होने देना चाहिए। लेकिन नहीं अब कोशिश इस पर सियासी बखेड़ा खड़ा करने की है सवाल उठता है कि आखिर इस विवाद की सच्चाई क्या है।
फिरंगियों की रिपोर्ट बन गई ढाल
हिन्दू पक्ष ने जिस एएसआई की रिपोर्ट पर मंदिर का दावा किया है, वो रिपोर्ट साल 1879 की रिपोर्ट है जिसमें जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया है, रिपोर्ट उस वक्त के एएसआई अधिकारी एसीएल कारले ने तैयार की थी, इसका टाइटिल है Tours in the Central Doab and Gorakhpur 1874–1875 and 1875–1876। रिपोर्ट में इस मस्जिद के मंदिर होने का दावा किया गया। बताया गया कि मस्जिद के अंदर और बाहर के खंभे पुराने हिन्दू (Sambhal) मंदिर के हैं।
इन्हें प्लास्टर लगाकर छिपा दिया गया था। एएसआई ने खंभों के रंग को देखकर हिन्दू मंदिर होने की बात कही ।मस्जिद के गुंबद को लेकर एएसआई ने इसे पृथ्वीराज चौहान के द्वारा निर्मित बताया। रिपोर्ट में मस्जिद के एक शिलालेख का भी हवाला दिया गया। जिसमें लिखा था कि इसका निर्माण 933 हिजरी साल में पूरा हुआ। मंदिर से मस्जिद के रुप में परिवर्तन बाबरी के दरबारी हिन्दू बेग ने किया
याचिका में बाबरनामा के हवाले से भी दिए सबूत
हिन्दू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने अपनी याचिका में बाबरनामा का भी जिक्र किया है। जिसमें हिन्दू मंदिर के मस्जिद में परिवर्तन की बात भी लिखी गई है। ये कौन नहीं जानता कि मुगलों के भारत में आने के बाद बड़ी संख्या में मंदिरों को तोड़ा गया और उन्हें मस्जिदों में बदल दिया गया। ऐसे में संभल के इस जामा मस्जिद पर एकतरफा कुछ भी मान लेना ठीक नहीं होगा। लेकिन मुस्लिम पक्ष की राय इसमें कुछ और है
अदालती जल्दबाजी से मुस्लिम पक्ष को एतराज
मुस्लिम पक्ष कोर्ट की जल्दबाजी पर हैरानी जता रहा है, मुस्लिम पक्ष के मुताबिक यहां मस्जिद काफी पहले से आबाद है, मुस्लिम पक्ष ने मंदिर होने के दावों पर भी सवाल उठाए हैं। मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड इसे सामाजिक सौहार्द्र बिगाड़ने वाला कदम करार दे रहा है
सच से भाग क्यों रहे, सर्वे से क्या परेशानी ?
सच क्या है ये तो सर्वे के बाद ही पता चलेगा। मंगलवार को पहले चरण का सर्वे हो (Sambhal) चुका है जिसके बाद आगे भी सर्वे होगा क्योंकि आदेश कोर्ट से आया है। लेकिन सवाल उठता है कि ज्ञानवापी की तरह ही यहां भी सर्वे का विरोध करने वाले आखिर सच जानने से भाग क्यों रहे हैं। हिन्दू पक्ष ने जिस तैयारी के साथ याचिका दायर की है उसके बाद मुस्लिम पक्ष को भी अदालती लड़ाई लड़नी चाहिए। लेकिन हैरानी की बात है कि कोर्ट में दलीलें देने के बजाय सड़कों पर दलीलें दी जा रही हैं।