Siddharthnagar News: उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले की इटवा तहसील स्थित अल फारूक इंटर कॉलेज के प्रबंधक मौलाना शब्बीर अहमद को धर्म परिवर्तन के गंभीर आरोपों के चलते पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। शिकायतकर्ता अखंड प्रताप सिंह ने आरोप लगाया कि मौलाना ने उन्हें नौकरी के बहाने धर्म बदलने के लिए मजबूर किया और लाखों रुपये का लालच भी दिया। मामले में मौलाना की गिरफ्तारी गोल्हौरा थाना क्षेत्र के करही गांव से हुई है। हालांकि, स्कूल के अन्य शिक्षक इन आरोपों को पूरी तरह नकार रहे हैं। वहीं Siddharthnagar पुलिस ने मामले की जांच उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 के तहत शुरू कर दी है, जिसे लेकर क्षेत्र में गहमागहमी बनी हुई है।
धर्म परिवर्तन का आरोप और एफिडेविट की कहानी
अखंड प्रताप सिंह ने बताया कि वर्ष 2020 में वे अल फारूक इंटर कॉलेज में बाबू की नौकरी के लिए पहुंचे थे। नौकरी मिलने के कुछ समय बाद, कॉलेज प्रबंधक मौलाना शब्बीर अहमद ने उनसे सादे स्टांप पेपर पर दस्तखत कराए और कथित तौर पर धर्म परिवर्तन का दबाव डाला। उन्होंने दावा किया कि मौलाना ने अरब के किसी व्यक्ति से फोन पर भी बात कराई और रुपये का लालच दिया। अखंड ने आरोप लगाया कि उनके नाम को नोटरी में बदलकर “इमरान खान” कर दिया गया, जिसकी कॉपी उनके पास है।
शिक्षकों ने लगाए आरोपों को खारिज
Siddharthnagar कॉलेज से जुड़े हिंदू और मुस्लिम शिक्षकों ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा कि स्कूल 1992 से संचालन में है और कभी किसी पर धर्म परिवर्तन का दबाव नहीं डाला गया। कुछ हिंदू शिक्षकों ने साफ कहा कि वे वर्षों से यहां कार्यरत हैं और कभी इस तरह की घटना नहीं घटी। उनका मानना है कि यह मामला स्कूल की छवि को खराब करने की साजिश हो सकता है।
पुलिस की कार्रवाई और छांगुर बाबा कनेक्शन
23 जुलाई 2025 को पुलिस ने मौलाना शब्बीर को गिरफ्तार किया और इटवा थाने में दर्ज मामले में उत्तर प्रदेश धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू की। FIR में आरोप है कि नौकरी के बहाने साजिश रची गई। शिकायतकर्ता ने मौलाना को छांगुर बाबा का एजेंट भी बताया है, जिन पर हरियाणा और यूपी में धर्म परिवर्तन कराने के गंभीर आरोप हैं।
सोशल मीडिया पर बहस, जांच पर नजर
सोशल मीडिया पर लोग इस केस को लेकर बंटे हुए हैं। कुछ इसे धर्मांतरण की बड़ी साजिश बता रहे हैं, तो कुछ मौलाना की गिरफ्तारी को असंवैधानिक बता रहे हैं। खास बात यह है कि घटना चार साल पुरानी है, और अब जाकर रिपोर्ट दर्ज की गई है, जिससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं। पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है।
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