Siddharthnagar: जिले में नहरों की अभी तक सिल्ट सफाई का कार्य नहीं हो सका हैं। माह नवंबर तक नहरों का हर हाल में संचालन कराए जाने के कड़े निर्देश हैं। बावजूद इसके 20 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक नहरों का संचालन तो दूर अभी तक नहरों की सिल्ट सफाई का कार्य नहीं हो सका है। इस समय दिन का तापमान अधिक होने से किसान बिना पलेवा के रवि की फसल बुआई की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। नहरों के संचालन में विलंब होता देख किसान चिंतित हैं।
225 किलोमीटर नहरों का जाल, फिर भी किसान बेहाल
Siddharthnagar जिले के भारत – नेपाल सीमा पर स्थित जमींदारी साग़रों से लगभग 225 किलोमीटर की नहरें संचालित हैं। जिनसे जिले के सदर व शोहरतगढ़ तहसील के हजारों हेक्टेयर क्षेत्रफल में सिंचाई की जाती है। विभाग की हीला हवाली के चलते अभी तक नहरों की सिल्ट सफाई तक नहीं हो सकी है। बढ़ते तापमान के चलते जमीन की नमी सूख रही है। ऐसे में बिना पलेवा के फसलों की बुआई करना व खाद बीज की बर्बादी करना है।
सिंचाई विभाग के अधिकारी रो रहे धन का रोना
बजहा क्षेत्र में बजहा सागर से निकली नहर को 3 भागों में बांटा गया है। जिसमें बर्डपुर नहर व अलीदापुर पूर्वी तथा अलीदापुर पश्चिमी नहर बनाए गए हैं। मझौली सागर से मझौली लाल सरैया नहर से दर्जनों गांव के किसानों के खेतों के लिए पानी मुहैया कराया जाता है। इस संबंध में अधिशासी अभियंता रामराज का कहना है कि शासन द्वारा धन न मिलने के कारण सिल्ट सफाई का कार्य अभी नहीं हो पाए हैं, जैसे ही शासन से धन मिल जाएगा कार्य शुरू हो जाएगा।
सिल्ट सफाई के नाम पर हर बार बहाना
जब भी सील्ड सफाई को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों से बात की जाती है, तब वह Siddharthnagar शासन का हवाला देकर अपना पल्लू झाड़ लेते हैं। वहीं जब किसानों को अपने खेतों की सिंचाई के लिए पानी की जरूरत पड़ती हैं तब नहरों की सफाई न होने के कारण उनके खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाता है, तब किसानों को मजबूर होकर अपने निजी संसाधनों से सिंचाई करनी पड़ती है। अब देखना होगा कब तक सिल्ट सफाई के लिए शासन से धन अवमुक्त होता है और कब नहरों की सिल्ट की सफाई की की जाती है।