SP disaffiliated MLAs: उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा उलटफेर हुआ है। समाजवादी पार्टी (सपा) के तीन बागी विधायकों गोसाईगंज से अभय सिंह, गौरीगंज से राकेश प्रताप सिंह और ऊंचाहार से मनोज पांडेय को यूपी विधानसभा में असंबद्ध घोषित कर दिया गया है। ये विधायक पहले ही जून 2025 में पार्टी से निष्कासित किए जा चुके थे। फरवरी 2024 के राज्यसभा चुनावों में पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर भाजपा को समर्थन देने के कारण यह सख्त कार्रवाई की गई है, जो आगामी 2027 चुनावों से पहले सपा के लिए एक चेतावनी के रूप में देखी जा रही है।
पार्टी विरोधी गतिविधियों का नतीजा
तीनों SP विधायकों को फरवरी 2024 में राज्यसभा चुनाव के दौरान पार्टी के खिलाफ जाकर भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने के कारण निष्कासित किया गया था। इस घटना ने सपा को बड़ा राजनीतिक नुकसान पहुँचाया, क्योंकि इसका सीधा असर उनके तीसरे राज्यसभा उम्मीदवार की हार के रूप में सामने आया। भाजपा के सभी आठ उम्मीदवार उस चुनाव में विजयी रहे। पार्टी ने इन विधायकों पर केवल वोटिंग लाइन तोड़ने का ही नहीं, बल्कि भाजपा की “विभाजनकारी नीतियों” का समर्थन करने का भी आरोप लगाया था। सपा का दावा था कि उन्हें सुधारने के पर्याप्त मौके दिए गए, लेकिन वे अपने रुख पर कायम रहे।
विधानसभा का फैसला और नई स्थिति
9 जुलाई को विधानसभा द्वारा जारी आदेश में इन तीनों विधायकों को असंबद्ध घोषित किया गया, जिसका मतलब है कि अब वे किसी पार्टी के खेमे में नहीं बैठेंगे। हालांकि सपा ने इनकी सदस्यता पूरी तरह समाप्त करने की मांग की थी, लेकिन फिलहाल उन्हें स्वतंत्र विधायक का दर्जा दिया गया है। विधानसभा के इस कदम ने यह स्पष्ट कर दिया कि पार्टी अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, विशेष रूप से जब मामला सदन के भीतर पार्टी लाइन के उल्लंघन का हो।
विधायकों की प्रतिक्रिया और संभावनाएं
निष्कासन के बाद राकेश प्रताप सिंह ने इसे “घुटन से आज़ादी” करार दिया। वहीं अभय सिंह ने कहा था कि वे सपा की वर्तमान नीतियों से असहमत हैं, लेकिन अब भी मुलायम सिंह यादव के प्रति श्रद्धा रखते हैं। मनोज पांडेय ने भी भाजपा के लिए झुकाव जताया है। यह भी चर्चा है कि ये विधायक जल्द भाजपा में औपचारिक रूप से शामिल हो सकते हैं, जिससे आगामी उपचुनाव और 2027 विधानसभा चुनाव में समीकरण बदल सकते हैं।
राजनीतिक असर और आगे की राह
SP प्रमुख अखिलेश यादव ने इस कार्रवाई को पार्टी की विचारधारा की रक्षा का साहसिक कदम बताया है, जबकि भाजपा नेताओं ने इसे सपा की “अंदरूनी कलह” का परिणाम कहा है। यह घटनाक्रम उन चुनाव क्षेत्रों में भी हलचल मचा सकता है जहां उपचुनाव की संभावनाएं बन सकती हैं। सपा पहले ही 6 सीटों पर उपचुनावों के लिए प्रत्याशी घोषित कर चुकी है, और अब पार्टी को इस नई स्थिति के अनुरूप रणनीति बनानी होगी।
SP के बागी विधायकों को असंबद्ध घोषित करने की विधानसभा की कार्रवाई उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक अहम मोड़ बन सकती है। यह निर्णय पार्टी अनुशासन को पुनः स्थापित करने का प्रयास भी है, जो आने वाले चुनावी मौसम में सपा की छवि और ताकत को तय करेगा।
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