Government doctors private practice ban : उत्तर प्रदेश में सरकारी डॉक्टरों को अब प्राइवेट प्रैक्टिस करना महंगा पड़ सकता है। योगी सरकार ने ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का फैसला किया है। इसके लिए हर जिले में एक खास कमेटी बनाई जाएगी जो इन मामलों पर नजर रखेगी। साथ ही, स्वास्थ्य निदेशालय ने सभी सरकारी डॉक्टरों से हलफनामा मांगा है, जिसमें उन्हें बताना होगा कि वे कहीं और प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर रहे हैं।
वाराणसी से शुरू हुआ मामला
हाल ही में वाराणसी में सरकारी डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस से जुड़ा एक मामला सामने आया था। इसके बाद राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए सभी जिलों के सीएमओ (चीफ मेडिकल ऑफिसर) से इस मुद्दे पर रिपोर्ट मांगी।
आदेश दिए गए हैं कि अगर किसी सरकारी डॉक्टर को प्राइवेट प्रैक्टिस करते हुए पाया गया, तो न सिर्फ डॉक्टर बल्कि संबंधित सीएमओ के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी।
डॉक्टरों से मांगा गया हलफनामा
स्वास्थ्य निदेशालय ने सभी सीएमओ और सीएमएस (चीफ मेडिकल सुपरिंटेंडेंट) को आदेश दिया है कि जिला अस्पताल, सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र), और पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) में तैनात डॉक्टरों से हलफनामा लिया जाए। इस हलफनामे में डॉक्टरों को यह जानकारी देनी होगी कि वे मुख्यालय पर ही तैनात हैं और कहीं और प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर रहे। अगर कोई डॉक्टर इस नियम का उल्लंघन करता पाया गया, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
स्वास्थ्य महानिदेशक का बयान
डॉ. रतनपाल सिंह सुमन ने कहा कि सरकारी सेवा में रहते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस करना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। उन्होंने कहा कि सभी डॉक्टरों से हलफनामे मांगे गए हैं और अगर किसी डॉक्टर पर नियम तोड़ने का आरोप सही पाया गया, तो उस पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
प्रयागराज में हुई बड़ी कार्रवाई
prayagraj के दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में सीएमएस डॉ. दिग्विजय सिंह समेत छह डॉक्टरों पर प्राइवेट प्रैक्टिस का आरोप लगा था। जांच में यह आरोप सही पाया गया। इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी सेवा में रहते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों पर कार्रवाई के निर्देश दिए। नतीजतन, डॉ. दिग्विजय सिंह और पांच अन्य डॉक्टरों को हटा दिया गया।
सरकार का सख्त रुख
योगी सरकार ने साफ कर दिया है कि सरकारी डॉक्टरों का ध्यान केवल अपने सरकारी काम पर होना चाहिए। इस कदम का मकसद सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुधारना और मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराना है।