Sultanpur News: सुल्तानपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद रामभुआल निषाद के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है। यह वारंट 2015 के एक पुराने मामले से जुड़ा है, जिसमें निषाद पर नेशनल हाईवे को जाम करने का आरोप है। कोर्ट द्वारा नोटिस भेजने के बावजूद वे पेश नहीं हुए, जिसके बाद यह वारंट जारी किया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए यह कानूनी कदम उठाया गया है। घटना के दौरान, मृतक के शव को लेकर प्रदर्शनकारियों ने हाईवे पर जाम लगाया था, जिसके चलते यातायात बुरी तरह बाधित हुआ था। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव की स्थिति भी देखी गई थी। इस खबर से राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मच गई है।
2015 का मामला-हाईवे पर जाम और टकराव
यह मामला 2015 का है, जब रामभुआल निषाद और उनके समर्थकों ने एक मृतक के शव को नेशनल हाईवे पर रख कर प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन का उद्देश्य प्रशासन पर दबाव बनाना था, लेकिन इस घटना ने यातायात को बुरी तरह प्रभावित किया। सैकड़ों लोग सांसद के नेतृत्व में हाईवे पर जमा हो गए थे, जिसके चलते पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। पुलिस की कोशिशों के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने हाईवे को जाम रखा, जिससे यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जब पुलिस ने जाम को हटाने की कोशिश की, तो दोनों पक्षों में टकराव हो गया। इस घटना के बाद सांसद पर मामला दर्ज किया गया था।
कोर्ट की कार्रवाई, नोटिस और वारंट
घटना के कई साल बाद, कोर्ट ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए रामभुआल निषाद को पेश होने का नोटिस भेजा। हालांकि, Sultanpur सांसद ने अदालत के निर्देशों की अनदेखी की और पेश नहीं हुए। इसके बाद कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया। विशेष न्यायाधीश MP/MLA ज्ञानेन्द्र कुमार ने इस वारंट को जारी किया, जो अब सांसद की कानूनी मुश्किलों को और बढ़ा सकता है। साथ ही, बड़हलगंज के एसएचओ के खिलाफ भी कोर्ट ने नोटिस जारी किया है, क्योंकि उनके द्वारा मामले में उचित कार्रवाई न करने के आरोप लगाए गए हैं।
सांसद की राजनीतिक पृष्ठभूमि
रामभुआल निषाद समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेता हैं और उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी को Sultanpur से हराकर एक बड़ी जीत दर्ज की थी। इससे पहले, वे कौड़ीराम विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं। इसके अलावा, उन्होंने 2007 में बसपा के शासनकाल में मत्स्य राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया है। राजनीतिक करियर में निषाद का अनुभव व्यापक रहा है और उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मैदान में
रामभुआल निषाद ने 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भी चुनाव लड़ा था। हालांकि, उन्हें इस चुनाव में सफलता नहीं मिली और वे तीसरे स्थान पर रहे। इसके बावजूद, उन्होंने राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते हुए 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की। निषाद का राजनीतिक सफर कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है और वे इन मुद्दों पर विशेष ध्यान देते रहे हैं।
निषाद की संपत्ति और राजनीतिक प्रभाव
2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान सामने आई जानकारी के अनुसार, रामभुआल निषाद के पास लगभग 3 करोड़ रुपये की संपत्ति है। उनकी राजनीतिक और सामाजिक प्रतिष्ठा ने उन्हें Sultanpur क्षेत्र में एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया है। हालांकि, वर्तमान मामले के कारण उनकी छवि को गंभीर धक्का लगा है, और इस कानूनी कार्रवाई के परिणामस्वरूप उनके राजनीतिक भविष्य पर भी असर पड़ सकता है।
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कानूनी लड़ाई और भविष्य की राजनीति
गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद, रामभुआल निषाद के लिए कानूनी समस्याएं बढ़ गई हैं। उन्हें अब इस मामले में कोर्ट के सामने पेश होना होगा, और यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस मामले का असर उनकी आगामी राजनीतिक योजनाओं पर भी पड़ सकता है। वहीं, समाजवादी पार्टी की ओर से इस मुद्दे पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
यह मामला यह भी दर्शाता है कि सांसद और विधायक जैसे बड़े पदों पर बैठे नेताओं को भी कानून का पालन करना आवश्यक है। अगर रामभुआल निषाद इस मामले को हल करने के लिए जल्दी से कोई कदम नहीं उठाते, तो उनकी राजनीतिक छवि को नुकसान हो सकता है।