लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारत में आज भी 70 फीसदी लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। इन्हीं अंचलों के युवाओं के अंदर शिक्षा की लौ जलाने का काम सरकारी स्कूल के टीचर्स करते हैं। इन्हीं पाठशालाओं से पढ़कर अब भी सबसे ज्यादा आईएएस, आईपीएस, सांइटिस्ट और डॉक्टर्स निकलते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने इन स्कूलों के शिक्षकों के सपनों को चकनाचूर कर दिया। कोर्ट के आदेश के चलते करीब 10 लाख शिक्षकों की नौकरी जानें का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में यूपी के मुखिया सीएम योगी आदित्यनाथ ने टीचरों के पक्ष में उतर आए हैं। यूपी के करीब 2 लाख शिक्षकों के लिए यूपी सरकार कोर्ट में मुकदमा लड़ेगी।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता पर बेसिक शिक्षा विभाग को रिवीजन दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय के आधिकारिक सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा गया है कि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग के सेवारत शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता पर उच्चतम न्यायालय के आदेश का रिवीजन दाखिल करने का विभाग को निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि प्रदेश के शिक्षक अनुभवी हैं और समय.समय पर सरकार द्वारा उन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया जाता रहा है। ऐसे में उनकी योग्यता और सेवा के वर्षों को नजरअंदाज करना उचित नहीं है।
बता दें, मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब टीईटी की अनिवार्यता को लेकर शिक्षकों का प्रदेशव्यापी विरोध जारी था। शिक्षक सभी जिलों में जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन देने वाले थे। शिक्षकों की मांग थी कि टीईटी की अनिवार्यता खत्म की जाए। यूपी टीचर्स फेडरेशन ने सीएम के इस निर्णय का स्वागत किया है। फेडरेशन के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री का निर्णय स्वागत योग्य एवं शिक्षक हित में है। उन्होंने अनुरोध किया है कि विभाग द्वारा रिवीजन में जाने से पूर्व एनसीटीई द्वारा यह भी स्पष्ट कराया जाए कि आरटीई 2009 के सेक्शन 23-2 का संशोधन आरटीई लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों पर लागू नहीं होता है। सीएम का एक्स पर पोस्ट आने के बाद शिक्षकों के चेहरों पर मुस्कान आ गई।
बता दें, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग में काम कर रहे देश के लाखों शिक्षकों के लिए बड़ा फैसला लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अब सभी शिक्षकों को टीईटी परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया था कि जिन शिक्षकों की सेवा अभी 5 साल ओर है, उन्हें भी टीईटी परीक्षा पास करनी होगी। अगर वह ये परीक्षा पास नहीं कर पाते तो उन्हें या तो सेवा से इस्तीफा देना होगा या उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति यानी कंपल्सरी रिटायरमेंट लेनी पड़ेगी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि नए शिक्षकों को भी नियुक्ति से पहले ये परीक्षा पास करनी होगी और शिक्षकों को अपने प्रमोशन के लिए भी टीईटी परीक्षा पास करनी होगी। ऐसे में यूपी में करीब 2 लाख टीचर्स के सामने जॉब जानें की खता मंडरा रहा है।