लखनऊ– उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हर महीने दो तीन अज्ञात लाशें मिल जाती है। अक्सर यह लाशे गोमती के किनारे पाई जाती है। जिसके बाद पुलिस को सूचना दी जाती है और पुलिस मौके पर पहुंचती है। लाशों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज देती है लेकिन सवाल यह उठता है कि अज्ञात जो लाशें से मिलती है उनकी शिनाख्त नहीं हो पाती है।
पुलिस की बड़ी लापरवाही
जिसके कारण अज्ञात लाशों के वारदात से पर्दा नहीं उठता है। कहीं ना कहीं इसमें पुलिस की भी बड़ी लापरवाही सामने आती है जिसकी वजह से हत्या कर लाशों को ठिकाने लगाने वाले लोग बस जाते हैं। कई ऐसे पहलू है अगर पुलिस उन पर ध्यान दें तो अज्ञात लाश के मर्डर मिस्ट्री से पर्दा उठाया जा सकता है। अज्ञात शव तो मिलने पर सबसे पहले उनका फिंगरप्रिंट लेना चाहिए लेकिन कई मामलों में देखा गया कि पुलिस पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम करा देती है लेकिन फिंगरप्रिंट नहीं लेती है।
पोस्टमार्टम में नहीं लिया डीएनए
अज्ञात मिलने वाली लाशों का डीएनए सैंपल कराना जरूरी होता है। लाशों के पास से मिलने वाले सामान व कपड़ों को भी लंबे समय तक संभाल कर रखना चाहिए और आसपास के प्रदेशों में भी शिनाख्त के लिए लाशों का बेवरा आदान-प्रदान होना चाहिए। जिससे हत्यारों का पर्दाफाश किया जा सके। डीएनए इंसान के शरीर के कई रहस्यों का पर्दाफाश करता है ऐसे में डीएनए संभाल कर रखना बेहद जरूरी होता है लेकिन अधिकांश मामलों में पोस्टमार्टम के समय डीएनए तक नहीं लिया जाता है।
लावारिस लाश के अंतिम संस्कार का बढ़ा बजट
पुलिस को लावारिस लाशों के लिए एक बजट दिया जाता है। पहले लावारिस लाश का अंतिम संस्कार कराने के लिए ₹2700 दिया जाता था अब बजट बढ़ाकर ₹3400 कर दिया गया है। लखनऊ पुलिस ने लावारिस लाश पर कहा कि जब कहीं भी इस तरीके से अज्ञात शव मिलता है उसकी शिनाख्त के लिए बरकत प्रयास किए जाते है। संबंधित शव की जिला के लिए जिले के थानों व प्रदेश के सभी जिलों को जानकारी शेयर की जाती है।