UP News : उत्तर प्रदेश के सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की सुरक्षा एवं गरिमा सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा विभाग ने अहम कदम उठाए हैं। अब किसी भी शिक्षक या स्कूल स्टाफ को छात्र-छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार, मारपीट या मानसिक प्रताड़ना करने की अनुमति नहीं होगी। विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि बच्चों को न तो डांटना, न ही थप्पड़ मारना, चिकोटी काटना या शारीरिक दंड देना वैध होगा।
बेसिक शिक्षा विभाग ने यह आदेश जारी करते हुए कहा है कि अब स्कूलों, छात्रावासों, जेजे होम्स और बाल संरक्षण गृहों में किसी भी बच्चे को शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित नहीं किया जा सकता। महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने प्रदेश के सभी बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) को निर्देशित किया है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के दिशानिर्देशों के अनुसार हर संस्थान में शिकायत निवारण की व्यवस्था अनिवार्य रूप से की जाए। इसके तहत हर स्कूल व बाल संरक्षण संस्थान में शिकायत पेटिका लगाना अनिवार्य होगा ताकि बच्चों की आवाज़ सुनी जा सके। यदि जरूरत पड़ी तो इस कार्य में गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) की भी मदद ली जा सकती है।
बच्चों के लिए टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर जारी
बच्चों को यह जानकारी भी दी जाएगी कि वे किसी भी प्रकार के उत्पीड़न की स्थिति में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इसके लिए शिक्षा विभाग ने एक निःशुल्क हेल्पलाइन नंबर 1800-889-3277 जारी किया है, जिस पर बच्चे या उनके अभिभावक अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी और दोषियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
शिक्षा के अधिकार का सम्मान
नई व्यवस्था के अंतर्गत अब छात्रों को चिकोटी काटना, थप्पड़ मारना, अपमानजनक तरीके से डांटना, मैदान में दौड़ाना या घुटनों के बल बैठाना जैसे दंड देना पूरी तरह वर्जित होगा। इसके अतिरिक्त किसी भी छात्र को कक्षा में बंद करना, यौन उत्पीड़न, बिजली का झटका देना या जाति, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव करना पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया गया है।
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शिक्षा विभाग ने कहा है कि इन निर्देशों का पालन न केवल सभी स्कूलों में अनिवार्य होगा, बल्कि इसके उल्लंघन पर कठोर कार्रवाई भी की जाएगी। इसका उद्देश्य बच्चों को एक सुरक्षित, समान और सम्मानजनक शैक्षणिक वातावरण प्रदान करना है, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास सुचारु रूप से हो सके और शिक्षा का अधिकार बाधित न हो।