बाबा सिद्दीकी की हत्या से गर्माएगा यूपी उपचुनाव? CM योगी की कड़ी परीक्षा

बाबा सिद्दीकी हत्याकांड यूपी उपचुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकता है, जिससे सीएम योगी आदित्यनाथ की अग्निपरीक्षा होने वाली है। मुस्लिम बहुल इलाकों में विपक्ष सहानुभूति बटोरने की कोशिश में है, जबकि बीजेपी और उसके सहयोगी दल चुनौतीपूर्ण सीटों पर मजबूती से डटे हुए हैं।

Yogi govt

UP By-Poll 2024: उत्तर प्रदेश में इस बार के उपचुनाव न सिर्फ सीटों की लड़ाई हैं, बल्कि सियासी दांवपेंचों और कानून-व्यवस्था के मुद्दे भी इसमें प्रमुख भूमिका निभाने वाले हैं। कुल 10 सीटों पर होने जा रहे इस उपचुनाव में बीजेपी 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, जबकि मीरापुर सीट पर RLD से प्रत्याशी उतारा जा सकता है। वहीं, मुंबई में हुए बाबा सिद्दीकी हत्याकांड से यह चुनाव और भी संवेदनशील हो गया है। विपक्ष, खासकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस, इस हत्याकांड को लेकर बीजेपी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार पर निशाना साध सकते हैं। यूपी की मुस्लिम आबादी और अन्य अल्पसंख्यक समूहों के बीच इस मुद्दे से सहानुभूति उत्पन्न हो सकती है, जो सपा और कांग्रेस को फायदा पहुंचा सकती है।

बाबा सिद्दीकी की हत्या: चुनाव में बनेगा बड़ा मुद्दा?

मुंबई में एनसीपी (अजित गुट) नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या ने न केवल महाराष्ट्र की राजनीति को हिला कर रख दिया है, बल्कि इसका प्रभाव यूपी के उपचुनाव पर भी पड़ सकता है। यूपी की करीब 19% मुस्लिम आबादी होने के चलते यह मामला सीधे तौर पर चुनावी नैरेटिव का हिस्सा बनता दिख रहा है। विपक्ष, खासकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस, इस हत्याकांड को मुद्दा बनाकर बीजेपी की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर सकते हैं। UP की मुस्लिम बहुल सीटों पर यह मुद्दा वोटरों को प्रभावित कर सकता है, जहां बीजेपी के लिए चुनौती और बढ़ सकती है।

सीएम योगी के लिए अग्निपरीक्षा

इन UP उपचुनावों को सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए एक बड़ी परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है। 5 सीटें ऐसी हैं जहां बीजेपी कमजोर स्थिति में दिखाई दे रही है। करहल सीट, जो सपा की परंपरागत सीट मानी जाती है, सवा लाख यादव वोटरों के समर्थन से बीजेपी के लिए मुश्किल साबित हो सकती है। इसके अलावा, कुंदरकी और सीसामऊ सीटें, जहां मुस्लिम मतदाता क्रमशः 60% और 45% हैं, बीजेपी के लिए एक और बड़ी चुनौती होंगी। मिल्कीपुर और फूलपुर में दलित और यादव मतदाता भी बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ा सकते हैं।

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PDA की ताकत पर सपा का भरोसा

समाजवादी पार्टी ने PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए अपने 6 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इनमें 2 अल्पसंख्यक, 3 पिछड़ा और 1 दलित उम्मीदवार शामिल हैं। सपा की यह रणनीति बीजेपी को चुनौती दे सकती है, खासकर उन सीटों पर जहां अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

बीजेपी की रणनीति और गठबंधन

बीजेपी अपने 9 उम्मीदवारों के साथ मैदान में उतरेगी, जबकि मीरापुर सीट पर उसके सहयोगी RLD से उम्मीदवार उतारने की चर्चा है। निषाद पार्टी भी कटेहरी और मंझवा सीटों पर दावेदारी कर रही है, जिससे बीजेपी गठबंधन को मजबूती मिल सकती है।

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