New Guideline: उत्तर प्रदेश में सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के लिए अब नियमों का पालन करना अनिवार्य हो गया है। अगर किसी स्कूल ने शासन के निर्देशों की अनदेखी की, तो उसकी एनओसी यानी अनापत्ति प्रमाणपत्र रद्द हो सकता है।
जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) राकेश कुमार ने इस बारे में सभी स्कूलों को साफ-साफ चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि नियमों और शर्तों का पूरी तरह पालन करना जरूरी है, नहीं तो स्कूल की मान्यता पर सीधा असर पड़ेगा।
शासन के अहम निर्देश जिनका पालन ज़रूरी
सोसायटी की वैधता बनी रहनी चाहिए: हर स्कूल को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी संचालन संस्था यानी सोसायटी समय-समय पर वैध तरीके से नवीनीकृत होती रहे।
प्रबंधन समिति में जरूरी सदस्य हों: स्कूल की प्रबंधन समिति में शिक्षा निदेशक द्वारा नामित सदस्य का होना जरूरी है। अगर यह शर्त पूरी नहीं की गई तो स्कूल पर कार्रवाई की जा सकती है।
आरक्षण नियमों का पालन: हर स्कूल को अपनी कम से कम 10% सीटें अनुसूचित जाति और जनजाति के होनहार छात्रों के लिए आरक्षित रखनी होंगी। इन छात्रों से वही फीस ली जाएगी जो राज्य बोर्ड के स्कूलों में तय है।
अनुदान से जुड़ी शर्तें: अगर कोई स्कूल पहले राज्य बोर्ड से मान्यता प्राप्त था और अब सीबीएसई या आईसीएसई से जुड़ चुका है, तो पुरानी मान्यता और उससे मिलने वाला कोई भी सरकारी अनुदान अब मान्य नहीं होगा।
कर्मचारियों को वेतन और रिटायरमेंट फायदे देना होगा
सरकार ने साफ कर दिया है कि निजी स्कूलों को अपने सभी शिक्षकों और कर्मचारियों को वही वेतन और भत्ते देने होंगे जो राज्य सहायता प्राप्त स्कूलों में दिए जाते हैं। इसके अलावा, उन्हें सेवा शर्तों के अनुसार रिटायरमेंट पर मिलने वाले सारे लाभ भी देने होंगे।
एक हफ्ते में जमा करनी होगी रिपोर्ट
सभी स्कूलों को अपनी मान्यता से जुड़े दस्तावेज जैसे कि एनओसी की कॉपी, बोर्ड की संबद्धता की प्रति और शासन के सभी नियमों के पालन की शपथ-पत्र एक हफ्ते के अंदर डीआईओएस कार्यालय में जमा करना होगा। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो स्कूल की एनओसी रद्द हो सकती है, जिससे उसकी मान्यता भी खतरे में पड़ जाएगी।