UP News: उत्तर प्रदेश के निलंबित IAS अधिकारी और इन्वेस्ट यूपी के पूर्व सीईओ अभिषेक प्रकाश की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। भ्रष्टाचार के एक मामले में लखनऊ की स्पेशल कोर्ट ने पुलिस को सख्त निर्देश दिए हैं कि गोमतीनगर थाने में दर्ज FIR में कमीशन मांगने वाले इन्वेस्ट यूपी के वरिष्ठ अधिकारी का नाम स्पष्ट किया जाए। इस मामले में गिरफ्तार मध्यस्थ निकांत जैन की ज्यूडिशियल कस्टडी रिमांड को 7 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया है और अब पुलिस को कोर्ट के आदेश के बाद अभिषेक प्रकाश का नाम FIR में शामिल करना पड़ सकता है।
कोर्ट का सख्त आदेश
भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम (UP News) की विशेष अदालत ने सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी को निर्देश दिया कि वह निकांत जैन के जरिए कमीशन मांगने वाले इन्वेस्ट यूपी के अधिकारी का नाम साफ करे। कोर्ट ने यह भी कहा कि जिस अधिकारी ने निकांत जैन का नंबर देकर उद्यमी को उससे मिलने की सलाह दी थी उसका नाम भी सामने लाया जाए। इसके अलावा कमीशन में शामिल लोक सेवक का नाम, मांगी गई रकम और उस रकम के लिए की गई कोशिशों व दी गई राशि के बारे में वादी का स्पष्ट बयान दर्ज करने का आदेश दिया गया है।
मामला सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट से जुड़ा
यह पूरा मामला गोमतीनगर थाने में सोलर एनर्जी पावर प्लांट के बिजनेस डेवलपर विश्वजीत दत्ता की ओर से दर्ज कराई गई FIR से शुरू हुआ। शिकायत में कहा गया था कि सोलर प्रोजेक्ट की मंजूरी के लिए इन्वेस्ट यूपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने निकांत जैन के जरिए 5% कमीशन की मांग की थी। हालांकि शुरुआती FIR में किसी भी अधिकारी का नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिखा गया था बल्कि केवल “इन्वेस्ट यूपी के सीनियर अफसर” का उल्लेख था। शिकायत के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार ने अभिषेक प्रकाश को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था।
निकांत जैन की गिरफ्तारी और पूछताछ
इस मामले में मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले निकांत जैन को लखनऊ पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया था। अब कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस निकांत जैन से दोबारा पूछताछ करने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार पुलिस को यह साबित करना होगा कि कमीशन की मांग किस अधिकारी की ओर से की गई थी। कोर्ट के निर्देश के बाद कानूनी रूप से अभिषेक प्रकाश का नाम FIR में शामिल करना अब लगभग तय माना जा रहा है।
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यूपी सरकार की कार्रवाई
उत्तर प्रदेश सरकार (UP News) ने सोलर एनर्जी पावर प्लांट लगाने वाली कंपनी SAEL सोलर P6 प्राइवेट लिमिटेड की शिकायत पर त्वरित कार्रवाई करते हुए अभिषेक प्रकाश को 20 मार्च 2025 को निलंबित कर दिया था। कंपनी ने आरोप लगाया था कि प्रोजेक्ट की मंजूरी के लिए निकांत जैन ने 5% कमीशन की मांग की थी और मना करने पर फाइल को रोका गया। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जांच शुरू हुई जिसमें गड़बड़ियों की पुष्टि हुई थी।
अभिषेक प्रकाश का नाम आने की संभावना
हालांकि शुरुआती FIR में अभिषेक प्रकाश का नाम नहीं था लेकिन अब कोर्ट के सख्त रुख और जांच की दिशा को देखते हुए पुलिस को उनका नाम स्पष्ट करना होगा। इससे निलंबित IAS अधिकारी की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। इसके साथ ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी इस मामले में जांच शुरू कर दी है जिससे अभिषेक प्रकाश पर कानूनी शिकंजा और सख्त होने की संभावना है।
सिफारिश में कौन-कौन था शामिल
लखनऊ पुलिस अब निकांत जैन से पूछताछ कर यह पता लगाने की कोशिश करेगी कि कमीशन की मांग और उसकी सिफारिश में कौन-कौन शामिल था। कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले में नए खुलासे होने की उम्मीद जताई जा रही है। यह मामला उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति को भी कठघरे में ला सकता है। फिलहाल सभी की निगाहें पुलिस की अगली कार्रवाई और जांच की रिपोर्ट पर टिकी हैं जो अभिषेक प्रकाश के भविष्य को तय करेगी।