SP rebel MLA Fired: उत्तर प्रदेश की राजनीति में 23 जून 2025 को बड़ा भूचाल आ गया जब समाजवादी पार्टी (SP) ने अपने तीन बागी विधायकों—अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह और मनोज कुमार पांडेय—को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इन विधायकों पर 2024 में हुए राज्यसभा चुनाव में पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने का आरोप था। सपा का कहना है कि ये विधायक लंबे समय से पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त थे और भाजपा की नीतियों का परोक्ष समर्थन कर रहे थे। पार्टी ने इन्हें सांप्रदायिक राजनीति को बढ़ावा देने और किसानों, महिलाओं व युवाओं के हितों के खिलाफ काम करने का दोषी ठहराया।
बागी विधायकों पर गिरा गाज
SP ने जिस कड़े फैसले की लंबे समय से तैयारी कर रखी थी, वह आखिरकार 23 जून को सामने आ गया। पार्टी ने गोसाईगंज (अयोध्या) से विधायक अभय सिंह, गौरीगंज (अमेठी) से विधायक राकेश प्रताप सिंह और ऊंचाहार (रायबरेली) से विधायक मनोज कुमार पांडेय को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इन विधायकों ने 2024 के राज्यसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी, जिससे सपा को बड़ा नुकसान हुआ था। SP प्रमुख अखिलेश यादव ने इन्हें सुधारने का मौका दिया था, लेकिन बार-बार चेतावनी के बावजूद इनकी गतिविधियां नहीं बदलीं, जिसके बाद पार्टी ने यह सख्त फैसला लिया।
संगठन में अनुशासन का संदेश
अखिलेश यादव का यह फैसला पार्टी के भीतर अनुशासन कायम रखने के लिए कड़ा संदेश माना जा रहा है। SP सूत्रों के अनुसार, ये तीनों विधायक काफी समय से बीजेपी के संपर्क में थे, हालांकि इनके क्षेत्रों में बीजेपी को लोकसभा चुनाव में बहुत फायदा नहीं हुआ। इसके बावजूद सपा नेतृत्व ने पार्टी की एकता और विचारधारा को मजबूत रखने के लिए इन पर कार्रवाई करना जरूरी समझा। यह कदम सपा कार्यकर्ताओं के बीच यह संदेश भी देता है कि पार्टी अनुशासन से किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा।
उपचुनाव की तैयारी में सपा
तीनों विधायकों के निष्कासन के बाद सपा अब विधानसभा अध्यक्ष से इनकी सदस्यता रद्द करने की मांग करने वाली है। यदि सदस्यता रद्द होती है, तो गोसाईगंज, गौरीगंज और ऊंचाहार में उपचुनाव की संभावना बन जाएगी। यह उपचुनाव सपा और बीजेपी के बीच सीधे मुकाबले का मंच बन सकते हैं। माना जा रहा है कि बीजेपी इन बागी विधायकों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर सकती है, जिससे क्षेत्रीय समीकरण और भी दिलचस्प हो जाएंगे।
यूपी की सियासत में नया मोड़
इस पूरे घटनाक्रम से यूपी की राजनीति में हलचल मच गई है। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या ये विधायक बीजेपी में शामिल होंगे या निर्दलीय के तौर पर अपने राजनीतिक करियर को आगे बढ़ाएंगे? सपा का यह कड़ा रुख जहां पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में सहायक हो सकता है, वहीं बीजेपी के लिए यह अवसर भी बन सकता है। आने वाले समय में यह मामला सपा और बीजेपी के बीच सियासी टकराव को और तेज कर सकता है।