कानपुर। गर्मी में तपने वाली मई इसबार पाकिस्तान और बांग्लादेश के विक्षामों के चलते ठंडी पड़ गई। पिछले 29 दिनों में 19 विक्षोमों के बाद मौसम ने जमकर कहर ढाया। शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी के कानपुर से जाते ही आंधी-बारिश ने धावा बोल दिया। कच्चे घर, बिजली के पोल, टेलीफोन एक्सचेंज और सैकड़ों पेड़ जमींदोज हो गए। जिसके कारण अब भी कई गांव और मोहल्लों में ब्लैक आउट जैसे हालात बने हुए हैं। फिलहाल यूपी और दिल्ली एनसीआर में बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। वहीं किसानों का कहना है कि पहली बार नौतपा नहीं तपे, जिससे इस वर्ष फसल की पैदावार कम हो सकती है।
बारिश वाला प्री-मानसून सीजन
मई का महिना इस वर्ष तबिश गायब रही। आखिरी सप्ताह में दिल्ली एनसीआर से लेकर यूपी में आंधी-बारिश ने जमकर कहर ढाया। कुछ ऐसा ही हाल जून का रहा। शुरुआत में ही यूपी के कई जनपदों में बारिश हुई। भारतीय मौसम विभाग ने पूर्वोत्तर राज्यों में अगले 2 दिनों तक भारी से बहुत भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। इसके अलावा दिल्ली-एनसीआर, यूपी, राजस्थान के भी कई इलाकों में बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। इस साल प्री-मानसून सीजन में रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई, जिसमें मार्च से मई तक 185.5 मिमी बारिश दर्ज की गई। यह 1991 के बाद से सबसे अधिक बारिश वाला प्री-मानसून सीजन बन गया है।
दिल्ली में आंधी बारिश का अलर्ट
देश के ज्यादातर हिस्सों में बारिश का सिलसिला अगले कुछ दिनों तक जारी रहने की संभावना है। मौसम विभाग ने अगले 3 दिनों के लिए दिल्ली-एनसीआर और यूपी में बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। यहां आंधी, बिजली चमकने और तेज हवाएं चलने की भी संभावना जताई गई है। आईएमडी के मुताबिक दिल्ली और आसपास के इलाकों में 60 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं। दिल्ली के बाद अब बात उत्तर प्रदेश की कर लेते हैं। 3 जून को पश्चिमी और पूर्वी हिस्सों में तेज आंधी, गरज-चमक और बारिश के आसार है। इस दौरान 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं भी चल सकती हैं।
इन जिलों में जारी हुआ अलर्ट
आईएमडी के मुताबिक, बांदा, चित्रकूट, मऊ, आजमगढ़, सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बलिया, कौशाम्बी, प्रयागराज, फतेहपुर, प्रतापगढ़, सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली, वाराणसी, संत रविदास नगर, जौनपुर, गाजीपुर, बागपत, मेरठ, आगरा, इटावा, औरैया, बिजनौर, मुरादाबाद, जालौन, हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुर, कानपुर नगर में तेज रफ्तार से हवा चलने के साथ बारिश हो सकती है। आईएमडी के मुताबिक, कानपुर परिक्षेत्र में बारिश के साथ आंधी चल सकती है। ऐसे में घर से बाहर न निकलें। पेड़ के नीचे नहीं खड़ें। आईएमडी के मुताबिक, 3 जून की शाम बारिश के साथ वज्रपात के भी आसार हैं। किसानों को खेतों पर नहीं जानें की सलाह दी गई है। फिलहाल अगले चार से पांच दिनों तक कुछ ऐसे ही हालात रहेंगे।
इस वजह से हो रही बारिश
मौसम विभाग के अनुसार, इस बारिश का मुख्य कारण निचले क्षोभमंडल में मध्य पाकिस्तान पर बना एक चक्रवाती परिसंचरण है। यह चक्रवाती परिसंचरण हवाओं को अपनी ओर खींचता है, जिससे एक द्रोणी (ट्रफ लाइन) हरियाणा तक फैली हुई है। यह द्रोणी अरब सागर से नम हवाओं को पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड के इलाकों तक खींच रही है। इन नम हवाओं का मिलन उत्तरी पाकिस्तान पर से आगे बढ़ रहे एक पश्चिमी विक्षोभ से हो रहा है। जब ये तीनों मौसमी घटक- चक्रवाती परिसंचरण, ट्रफ लाइन और पश्चिमी विक्षोभ आपस में मिलते हैं, तो इनके परिणामस्वरूप गरज-चमक के साथ छिटपुट बारिश की गतिविधियां शुरू हो जाती हैं। मौसम विभाग का कहना है कि यह बारिश का दौर धीरे-धीरे पूर्व की ओर भी बढ़ सकता है, जिससे आगामी दिनों में प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी मौसम का मिजाज बदल सकता है।
जानें क्यों नहीं तपे नौपता
यूपी के अलावा बुंदेलखंड की पठारी धरती पर इस बार नौतपा में कम तपी। नौतपा के नौ दिन में किसी भी दिन तापमान 40 डिग्री के पार नहीं पहुंचा सका। बंगाल की खाड़ी में बने कम दवाब के क्षेत्र व पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने से इस दौरान गर्मी का असर कम रहा। इस वर्ष 25 मई से नौतपा शुरू हुए थे। सोमवार को नौपता का अंतिम दिन था लेकिन अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। प्रतिदिन आसमान में बादल छाए रहे और कभी बूंदा-बांदी तो कभी रिमझिम बारिश होती रही। रात के समय तो मौसम पूरी तरह सामान्य रहा। इससे हवा में नमी (आर्द्रता) बढ़ी है। दोपहर के समय ही गर्मी व उमस का अहसास हुआ लेकिन नौतपा के दौरान पूर्व के वर्षों में जिस तरह की गर्मी पड़ती रही उस तरह अहसास इस वर्ष नहीं हुआ।
बारिश कम होने के बढ़े आसार
वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस साल नौतपा नहीं तपता उस बार मानसून तो जल्दी आ जाता है लेकिन बारिश बेहतर नहीं होती। इससे पहले वर्ष 2022 से वर्ष 2024 तक नौतपा में 40 से 44 डिग्री सेल्सियस तापमान रहा लेकिन वर्ष 2021 में नौतपा में इसी तरह का मौसम था और बारिश भी हुई थी। उस वर्ष मानसून सत्र के दौरान कम बारिश देखने को मिली थी। यही हाल वर्ष 2025 का नजर आ रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि गर्मी पड़ने से बारिश अधिक होती है। फिलहाल मई में तापमान में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई। जून में भी हालात कुछ ऐसे हैं। जून में भी बारिश हो रही है। जिसके कारण बारिश पर इसका प्रभाव पड़ सकता हे।