Uttar Pradesh electricity privatization उत्तर प्रदेश सरकार ने बिजली वितरण के निजीकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। राज्य के 42 जिलों में बिजली आपूर्ति को निजी हाथों में सौंपने के लिए तकनीकी सलाहकार चुनने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसके तहत सरकार ने फाइनेंशियल बिड खोली है। इस प्रक्रिया में ग्रांट थॉर्नटन को सबसे कम बोली लगाने के कारण सलाहकार बनने का सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा है। हालांकि, इस फैसले को लेकर विवाद भी खड़ा हो गया है, और कर्मचारियों व उपभोक्ता संगठनों ने इस पर सवाल उठाए हैं।
कौन है सबसे मजबूत दावेदार
जब बिजली वितरण के निजीकरण के लिए फाइनेंशियल बिड खोली गई, तो मूल्यांकन समिति ने अर्न्स्ट एंड यंग को 91, डेलाइट को 84 और ग्रांट थॉर्नटन को 83 अंक दिए। लेकिन असली अंतर इन कंपनियों की बिड राशि में था।
ग्रांट थॉर्नटन की बोली केवल ढाई करोड़ रुपये से कम रही, जबकि अर्न्स्ट एंड यंग और डेलाइट की बिड 10 करोड़ रुपये से भी अधिक थी। इतनी कम बोली लगाने के कारण ग्रांट थॉर्नटन को यह टेंडर मिलने की पूरी संभावना जताई जा रही है।
टेंडर प्रक्रिया पर उठे सवाल
इस प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि यह पूरी प्रक्रिया पहले से तय थी और सिर्फ औपचारिकता के लिए की गई थी। उनका दावा है कि दो कंपनियों को सिर्फ इसलिए टेंडर प्रक्रिया में बनाए रखा गया, ताकि तीन कंपनियों का मानक पूरा हो सके। अगर यह आरोप सही साबित होते हैं, तो इससे निजीकरण की पूरी प्रक्रिया पर सवालिया निशान लग सकता है।
निजीकरण के फायदे और नुकसान
बिजली वितरण के निजीकरण को लेकर पक्ष और विपक्ष दोनों के तर्क सामने आ रहे हैं।
फायदे
निजी कंपनियाँ अधिक कुशलता से काम करती हैं और बिजली आपूर्ति में सुधार कर सकती हैं।
निजीकरण से बिजली की लागत कम हो सकती है, जिससे उपभोक्ताओं को फायदा हो सकता है।
सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ सकती है।
नुकसान
निजी कंपनियाँ मुख्य रूप से मुनाफा कमाने पर ध्यान देती हैं, जिससे उपभोक्ताओं की जरूरतें नजरअंदाज हो सकती हैं।
सरकारी उपक्रमों में कर्मचारियों की सुरक्षा अधिक होती है, जबकि निजीकरण से नौकरियों पर असर पड़ सकता है।
अगर निजी कंपनियों को मनमानी करने की छूट मिली, तो बिजली दरें बढ़ सकती हैं।
अब इसमें आगे क्या हो सकता हैं
अब देखना यह है कि सरकार इस निजीकरण योजना को किस तरह आगे बढ़ाती है और कर्मचारियों व उपभोक्ताओं की चिंताओं को कैसे दूर करती है। अगर यह प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से पूरी होती है, तो इससे बिजली सेवाओं में सुधार आ सकता है। लेकिन अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो यह विवाद और गहरा सकता है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने 42 जिलों में बिजली वितरण के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू की है। ग्रांट थॉर्नटन को यह टेंडर मिलने की संभावना है, लेकिन इसकी पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार इस प्रक्रिया को कितना निष्पक्ष बनाती है और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा कैसे करती है।