कानपुर मेट्रो के कौन हैं वह 4 अदृश्य पहरी, जो अंधेरे में बना लेंगे वीडियो और कुछ इस तरह से पकड़ेंगे ‘विलेन’

भूमिगत kanpur मेट्रो स्टेशन में लगाए गए हैं अत्याधुनिक कैमरे, जो अंधेरे में भी बना लेंगे वीडियो, हर संदिग्धों पर रखेंगे नजर, लावारिस वस्तु देखते ही कंट्रोल रूम को देंगे जानकारी।

कानपुर। कानपुर में मेट्रो का जाल बिछाया जा रहा है। आईआईटी से लेकर मोतीझील तक छुक-छुक दौड़ रही है और अब इसका दायरा बढ़ने जा रहा है। आने वाले दिनों में कनपुरिए चुन्नीगंज, नवीन मार्केट, बड़ा चौराहा, नयागंज और सेंट्रल तक मेट्रो से सफर कर सकें। चार किलोमीटर लंबे चुन्नीगंज-नयागंज भूमिगत मेट्रो स्टेशनों के चप्पे-चप्पे पर वीडियो एनालिटिक्स सुविधा से लैस सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे संदिग्ध वस्तु या व्यक्ति को देख तत्काल स्टेशन कंट्रोलर सहित अन्य अधिकारियों को इसकी सूचना देंगे। इसके साथ ही अंधेर में ये वीडियो भी बना लेंगे और संदिग्ध की तस्वीर को कैद कर कंट्रोमरूम तक पहुंचाएंगे।

इंटलीजेंट कैमरों से लैस

कानपुर मेट्रो का काम बहुत तेजी से हो रहा है। मोतीझील से कानपुर सेंट्रल तक मेट्रो चलाने की तैयारी लगभग पूरी हो गई है। इस रास्ते में आने वाले पांच स्टेशन जमीन के नीचे हैं, चुन्नीगंज, नवीन मार्केट, बड़ा चौराहा, नयागंज और कानपुर सेंट्रल। इन स्टेशनों पर सारी मशीनें और सिस्टम लग चुके हैं। टिकट लेने की मशीन (एएफसी) भी चालू हो गई है। इसके अलावा मेट्रो स्टेशनों को चार तकनीकि के इंटलीजेंट कैमरों से लैस किया है। ये कैमरे स्टेशन पर देरतक पड़ी लावारिस और संदिग्ध वस्तुओं को सेंसर से पहचानेंगे और उसके हर एंगल से वीडियो बनाकर सीसीटीवी कैंट्रोलरूम को भेजेंगे। कंट्रोल रूम में जीपीएस लोकेशन के साथ फुटेज आने शुरू होंगे और सुरक्षा कंट्रोलरूम में अलार्म बजने पर तुरंत सुरक्षाकर्मी पहुंचेंगे।

क्लीयर फुटेज रिकार्ड करेगा

साफ्टवेयर और एआई की मदद से इन कैमरों के सेंसर काम करेंगे। हर स्टेशन पर 45 कैमरें इंस्ट्रॉल किए गए हैं। हर मेट्रो ट्रेन में 12 कैमरों से निगरानी की जा रही है। कैमरों के सेंसर को एआई साफ्टवेयर से प्र्रोग्राम किया गया है। मेट्रो स्टेशन के कॉनकोर्स, प्लेटफार्म समेत किसी भी जगह पर एक निर्धारित अवधि तक ज्यादा देर तक रखी लावारिस वस्तु को पहचान लेगा और स्क्रीन पर सूचित करता रहेगा। 360 डिग्री पर घूमने वाला कैमरा लोकेशन जूम करेगा। इन्फ्रारेड तकनीक से ये कैमरा अंधेरे के साथ ही कम रोशनी में क्लीयर फुटेज रिकार्ड करेगा। लावारिस बैग के पास कोई इंसान नहीं है तो उसे सेंसर सबसे पहले ट्रैक कर सिंग्नल कंट्रोलरूम को देगा।

सेंट्रल सिक्योरिटी रूम में प्रसारित होगा

उत्तर प्रदेश मेट्रो के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने बताया कि मोतीझील से कानपुर सेंट्रल तक मेट्रो चलाने की पूरी तैयारी हो चुकी है। इस रास्ते पर हवा और तापमान को नियंत्रित करने वाले सिस्टम, बिजली की तीसरी रेल, आग से बचाव के उपकरण, लिफ्ट और एस्केलेटर जैसी सभी ज़रूरी सुविधाएं लगा दी गई हैं। कुछ दिन पहले ही मेट्रो रेल सुरक्षा आयुक्त की टीम ने इस रास्ते का मुआयना किया था। अब उनकी तरफ से मंज़ूरी मिलते ही मोतीझील से कानपुर सेंट्रल तक मेट्रो सेवा शुरू कर दी जाएगी। बताया, मेट्रो की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आधुनिक कैमरे लगाए गए हैं। इन कैमरों का रियल टाइम फुटेज सीधे सभी स्टेशनों के कंट्रोल रूम, ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर और मेट्रो डिपो स्थित सेंट्रल सिक्योरिटी रूम में प्रसारित होगा।

लगाया गया फिक्स्ड डोम कैमरा

भूमिगत मेट्रो स्टेशन में फिक्स्ड डोम कैमरे लगाए हैं। फिक्स्ड डोम कैमरे में लैंस स्थिर व छिपा होता है। डोम कवर की वजह से छिपे लैंस से ये पता लगाना मुश्किल होता है कि कैमरा किस तरफ देख रहा है। संदिग्ध व्यक्ति आसानी से इसका फोकस नहीं समझ पाते। ये एक निर्धारित क्षेत्र को कवर करता है। इस कैमरे का इस्तेमाल वाइड एंगल फुटेज के लिए होता है।

इंफ्रारेड कैमरा से लैस मेट्रो

कानपुर मेट्रो की सुरक्षा में इंफ्रारेड कैमरे लगाए गए हैं नाइट विजन इं््फ्रारेड कैमरे में एलईडी होती है। इससे इंफ्रारेड लाइट निकलती है, जो इंसानी आंखों से नहीं दिखती है। कैमरे के सेंसर अंधेरे और बहुत कम रोशनी में भी वीडियो रिकार्ड कर लेते हैं। 1080पी और 4के से अधिक रिजोल्यूसन पर फुटेज रिकार्ड कर लेते हैं। इंफ्रारेड किरणों के आंखों से न दिखने पर ये कैमरे लोगों को आकर्षित नहीं करते हैं।

पीटीजेट कैमरा भी लगाए गए

पीटीजेट कैमरा भी कानपुर मेट्रो की सुरक्षा में लगाए गए हैं। पैन, टिल्ट जूम कैमरा उन्नत और महंगा होता है। गतिशीलता और लचीलेपन के लिए खास होता है। रिमोट की मदद से यह 360 डिग्री पर घूम-घूम कर फुटेज भेजता है। दूर से किसी संदिग्ध व्यक्ति, घटना और चलती हुई मेट्रो को चिन्हित कर हाई रिजोल्यूशन में जूम कर वीडियो रिकार्ड करता है।

बॉक्स कैमरा भी लगाया गया

मेट्रो स्टेशन में बॉक्स कैमरा लगाया गया है। ये मजबूत बॉक्स आकार के कैमरे बहुत लंबी दूरी की रिकार्डिंग के लिए इस्तेमाल होते हैं। विनिमेय लैंस को जरूरत के हिसाब से बदला जा सकता है। रिमोट के हिसाब इन्हीं कंट्रोल किया जा सकता है। मेट्रो स्टेशन के लंबे कॉरिडोर की रिकार्डिंग के अलावा मेट्रो के भीतर भी इन कैमरों से रिकार्डिंग होती है।

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