कानपुर। कहते हैं कि इस दुनिया में पति-पत्नी रिश्ते को सबसे पवित्र और भरोसे का रिश्ता माना जाता है। भारत में तो पत्नियां अपने पतियों की दीघार्यु के लिए व्रत रखती हैं। सुहाग की सलामति के लिए वह कुछ भी कर गुजरने को हरवक्त तैयार रहती हैं। लेकिन बिते कईसालों से कुछ ऐसे मामले सामने आए, जिन्हें सुनकर लोग हैरान हैं। मेरठ की मुस्कान, इंदौर की सोनम के साथ ही शबनम समेत ऐसी दर्जनों महिलाओं के केस सामने आए, जिनमें इन्होंने प्यार के चलते खुद अपने हाथों से अपना सुहाग उजाड़ा। कुछ ऐसी ही वारदात कानपुर में भी सामने आई। यहां पत्नी ने भांजे के साथ शादी करने के लिए पति की हत्या कर दी। शव को जमीन पर दफ्न कर दिया। मृतक युवक की मां और बेटों के कारण बेवफा औरत की लव स्टोरी का राज खुला और 311 दिन बाद लाश भी कब्र से बाहर आई।
ये खूनी कहानी है कानपुर के सचेंडी थानाक्षेत्र की है। यहां के लालपुर गांव निवासी शिवबीर सिंह अपनी पत्नी लक्ष्मी, बच्चों और बूढ़ी मां के साथ रहते थे। शिवबीर सिंह की बहन का बेटा अमित अक्सर घर आया करता था। मामा भी भांजे को दुलार करते। जेब खर्च के लिए पैसे दिया करते थे। लेकिन भांजे की नजर मामा की पत्नी पर थी। वह अपनी मामी को दिल दे बैठा था। मामी भी भांजे के प्यार में पागल थी। धीरे-धीरे दोनों का प्यार परवान चढ़ा तो मामी-भांजे के रिश्ते ने सारी हदें पार कर दी। लक्ष्मी और अमित के बीच ऐसा अवैध संबंध बना, जिसने समाज और परिवार दोनों को कलंकित कर दिया। इस अवैध रिश्ते और प्यार ने उन दोनों को अंधा कर दिया और उन्होंने मिलकर लक्ष्मी के पति शिवबीर सिंह को रास्ते से हटाने की ठान ली। लक्ष्मी हरहाल में अमित को पाना चाह रही थी। उसके साथ शादी करना चाह रही थी।
तभी लक्ष्मी और अमित ने शिवबीर सिंह को रास्ते से हटाने के मिशन में जुट गए। 30 अक्टूबर 2024, छोटी दिवाली की रात थी। जब पूरा देश दीपों से जगमगा रहा था और यमराज की पूजा कर रहा था। ठीक उसी वक्त लक्ष्मी ने अपने ही घर में मौत का दीपक जला दिया। उसने अपने पति को चाय में नशीली दवा पिलाई। जैसे ही उसका पति शिवबीर बेसुध हुआ, अमित और लक्ष्मी ने मिलकर लोहे की रॉड से उसके सिर पर ताबड़तोड़ वार किए। नतीजा ये हुआ कि कुछ ही पलों में शिवबीर की सांसें थम चुकी थीं। उसका जिस्म ठंड़ा पड़ चुका था। अब वो इस दुनिया में नहीं था। शिवबीर की हत्या के बाद दोनों ने घर के पास बगीचे में ही एक गहरा गड्ढा खोदा। हर तरफ रोशनी तो थी, लेकिन आधी रात का सन्नाटा पसर चुका था। इसी का फाएदा दोनों ने उठाया और लाश को लेकर पहुंचे।
अमित और लक्ष्मी ने मिलकर लाश को गड्ढे में डाल दिया। लाश पर 12 किलो नमक डाल दिया, ताकि शिवबीर की लाश जल्दी सड़-गल जाए और ये खूनी राज हमेशा के लिए दफन रह जाए। फिर उन दोनों मिट्टी डालकर उस गड्ढे को पाट दिया, जैसे वहां कुछ हुआ ही न हो। अलगे दिन शिवबीर को घर में ना पाकर उसकी मां सावित्री देवी परेशान हो गई। उसे शुरू से ही अपनी बहू और उसके भांजे के रिश्ते पर शक था। जब बेटा अचानक गायब हो गया और उसका फोन बंद हो गया, तो उस बूढ़ी मां ने पुलिस के दरवाजे खटखटाए। लेकिन हर जगह से वही जवाब मिला गुजरात चला गया होगा। थाने से लेकर दफ्तर तक वो बुजुर्ग महिला पुलिसवालों के चक्कर लगाती रही, लेकिन बेटे की गुमशुदगी दर्ज तक नहीं हुई। सावित्री देवी की आंखों से आंसू बहते रहे, लेकिन उनकी गुहार कानून और पुलिस के लिए अनसुनी रही।
करीब 10 महीने बाद, 19 अगस्त 2025 को सावित्री देवी ने हार मानने से इंकार कर दिया। उस मजबूर लाचार बूढ़ी मां ने अपने बेटे की खातिर सीधे पुलिस कमिश्नर से मुलाकात की। इसके बाद पुलिस हरकत में आई। मामला दर्ज हुआ और जांच शुरू हुई। पुलिस ने सबसे पहले लक्ष्मी के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल यानी सीडीआर निकाली। उसमें खुलासा हुआ कि उसके पति शिवबीर के गायब होने के बाद से वह लगातार अपने भांजे अमित से बात कर रही थी। यही धागा पुलिस को इस खूनी साजिश के पूरे जाल तक ले गया। इसके फौरन बाद पुलिस ने लक्ष्मी के भांजे अमित को उठा लिया। जैसे ही पुलिस ने अमित को उठाया और पूछताछ शुरू की, उसका चेहरा सब बयां कर गया। पुलिस ने जब सख्ती से पूछताछ की तो उसने सच्चाई कुबूल कर ली।
अमित की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने लक्ष्मी को थाने बुलाया। पुलिस ने पूछताछ शुरू की तो थोड़ी ही देर में उसका झूठ भी ढह गया। उसने अपना गुनाह मान लिया। लक्ष्मी और अमित ने हत्या के साथ शिवबीर सिंह की लाश कहां पर दफनाई है, उसकी भी जानकारी दी। पुलिस लाश बरामद करने के लिए लक्ष्मी को लेकर मौका-ए-वारदात पर पहुंची और उसकी निशानदेही पर बगीचे की खुदाई कराई। जैसे-जैसे मिट्टी हटती गई वैसे वैसे इंसानी हड्डियां, कपड़े और दूसरा सामान मिलने लगा। इस तरह करीब 311 दिन बाद, जमीन में दफन किया गया सच बाहर आ गया। मृतक के कपड़ों की पहचान बेटे ने की और फॉरेंसिक जांच के लिए अवशेष भेजे गए। इस खुलासे के बाद पूरे गांव में खामोशी छा गई, हर कोई दंग था कि इतनी बड़ी साजिश इतने दिनों तक दबाकर कैसे रखी गई थी। मृतक की मां का कहना था कि अगर पुलिस पहले ही मेरी शिकायत पर कार्रवाई करती तो शाएद मेरे बेटे की लाश मिल जाती है।
बूढ़ी मां का कहना था कि अगर पुलिस मुकदमा दर्ज करती तो मेरे बेटे के कंकाल के बजाए सही सलामत शव मिल जाता। मामले पर पनकी के एसीपी शेखर कुमार ने बताया कि लक्ष्मी और उसके भांजे अमित को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। वहीं मृतक की शादीशुदा बहन ने बताया कि लक्ष्मी से जब उसके बच्चे पूछते की मां, पापा कहां गए हैं तो हर बार उन्हें एक ही जवाब सुनने को मिलता। तुम्हारे पापा गुजरात काम पर गए हैं। बहन ने बताया कि भैया की पत्नी का अमित से प्रेम प्रसंग चल रहा था। इसकी जानकारी परिवार के किसी सदस्य को नहीं थी। लक्ष्मी अक्सर सामान लेने के नाम पर अमित के साथ बाइक पर बैठकर शहर जाया करती थी। तब भी दोनों के प्रेम प्रसंग की जानकारी भैया को नहीं हुई। भाभी ने बेरहमी से भैया की हत्या कर दी। हम कोर्ट के जरिए दोनों को फांसी की सजा दिलवाने के लिए पैरवी करेंगे।