जिला संभल में 4 विधानसभा सीटें हैं. गुन्नौर, असमौली, चंदौसी और संभल. जिनमें से 2 सीटें बीजेपी के पास हैं और 2 सीटें सपा के पास हैं. इस बार बीजेपी पूरे जिले में कमल खिलाने की कोशिश कर रही है तो सपा भी बीजेपी से दोनों सीटे छिनने की जुगत में है. संभल जिले में करीब 40 फीसदी मुसलमान वोटर है, बाकि हिंदू वोटर है. कुछ इलाकों में यादव भी प्रभावशाली है. इस बार का चुनाव बेहद ही खास है क्योंकि बीजेपी और सपा दोनों ही पार्टियां यहां जीत का दावा कर रही हैं. संभल जिले की चारों सीटों पर दूसरे चरण यानि 14 फरवरी को मतदान होगा.
विधानसभा- गुन्नौर
गन्नौर विधानसभा सीट कई वजहों से खास है. यहां से एक विधायक, एक पूर्व विधायक और एक ब्लॉक प्रमुख की हत्या हो चुकी है. गंगा किनारे बसा संभल जिले की गुन्नौर विधानसभा सीट से मुलायम सिंह यादव भी प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. 2003 में जब मुलायम सिंह यादव तीसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उस वक्त वो मैनपुरी से सांसद थे. मुलायम सिंह ने विधानसभा पहुंचने के लिए गुन्नौर सीट से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया. तब वहां के मौजूदा विधायक अजित कुमार यादव थे. अजीत ने मुलायम के लिए इस सीट को छोड़ दिया. और मुलायम सिंह ने भारी मतों से जीत हासिल की. अजित कुमार ने 2016 में सपा का दामन छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया. 2017 में बीजेपी के अजीत यादव ने यहां परचम लहराया था. और 2022 में भी बीजेपी ने अजीत यादव पर ही भरोसा जताया है. वहीं सपा ने राम खिलाड़ी सिंह को और बसपा ने फिरोज को चुनावी मैदान में उतारा है. हालांकि 2017 में सपा के राम खिलाड़ी सिंह दूसरे नंबर पर थे. 2012 में सपा के रामखिलाड़ी सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी और कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे अजीत कुमार को 53% वोटों के अंतर से हराया.
गुन्नौर ग्रामीण क्षेत्र है. यहां यादव, जाटव और मुस्लिम वोटरों की संख्या ज्यादा है. यहां की जनता मौजूदा विधायक से खासा नराज है. लेकिन योगी आदित्यनाथ के कामजाज से खुश हैं. मुख्य मुद्दे हैं सड़कों पर घूमते अवारा पशु, विकास, कम बिजली आना और खस्ताहाल सड़के. इस सीट पर सपा और भाजपा की कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है।
विधानसभा- चन्दौसी (एससी)
चंदौसी पुराने समय में चांदसी नगरी के नाम से जाना जाता था. यहां मिंट आयल का बड़ा काम होता है. साथ ही चावल, मक्का, सरसों जौ ताथ नमक का व्यापार होता है. चंदौसी का घी शुद्धता के लिए उत्तरी भारत में काफी प्रसिद्ध है. चन्दौसी विधानसभा सीट अनुसुचित जाति के लिए आरक्षित है. 2017 में बीजेपी की गुलाब देवी ने कांग्रेस के उम्मीदवार विमलेश कुमारी को करीब 45 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था. 2012 में सपा से लक्ष्मी गौतम ने जीत दर्ज की थी. और बीजेपी की गुलाब देवी को सिर्फ 4007 वोटों के अंतर से हराया था. 2022 में बीजेपी ने एकबार फिर गुलाबो देवी पर दांव चला है. कांग्रेस ने मिथलेश को अपना उम्मीदवार बनाया है. सपा ने विमलेश और बसपा ने रणविजय को चुनावी मैदान में उतारा है. 2022 में दोबारा गुलाबो देवी को बीजेपी का उम्मीदवार बनने पर यहां करीब 500 बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा दे दिया था. उसके अलावा यहां के लोग भी मौजूदा विधायक का विरोध करते नजर आए हैं.
चन्दौसी शहरी क्षेत्र है. इस क्षेत्र में 70% एससी जाति के वोटर हैं. यहां मुख्य मुद्दा है कारोबार, विकास और खस्ताहाल सड़कें. इस सीट पर सीधा मुकाबला सपा से प्रत्याशी विमलेश औऱ बीजेपी प्रत्याशी गुलाबो सिंह में हैं।
विधानसभा- असमोली
असमोली विधानसभा सीट का नाम असमोली गांव के नाम पर रखा गया है. 2008 में परिसीमन के बाद ये सीट अस्तित्व में आई थी. 2012 में पहली बार इस सीट पर चुनाव हुए और सपा की पिंकी यादव ने बसपा के अकील उर रहमान खान का 26 हजार के ज्यादा वोटों के अंतर से हराकर जीत हासिल की. 2017 में भी सपा की पिंकी यादव ने ही जीत दर्ज की. पिंकी यादव ने बीजेपी के नरेन्द्र सिंह को करीब 21 हजार वोटों के अंतर से हराया. बसपा के अकीलुर्रहमान 2017 में तीसरे स्थान पर रहे. 2022 के लिए सपा ने एक बार फिर पिंकी सिंह को मैदान में उतारा है. बीजेपी ने हरेन्द्र सिंह को, बसपा ने रफातुल्ला उर्फ नेता छिद्दा और कांग्रेस ने हाजी मरघूब आलम को प्रत्याशी बनाया है.
यहां करीब 3लाख से ज्यादा मतदाता है. जिसमें मुस्लिम मतदाता सबसे ज्यादा हैं. यादव, सैनी और जाट मतदाता यहां निर्णायक भूमिका में हैं. इसके अलावा दलित मतदाता भी यहां अच्छी तादाद में हैं. यहां की जनता के लिए प्रमुख मुद्दें हैं खस्ताहाल सड़के, बिजली ना आना और स्वास्थ्य सेवाएं. देखना होगा की सपा की पिंकी इस सीट पर जीत की हैट्रिक ला पाएंगीं या इस बार यहां कमल खिलेगा।
विधानसभा- सम्भल
संभल विधानसभा सीट की बाद करें तो ये सीट सपा गढ़ रही है. इस सीट से शफीकुर्रहमान बर्क चार बार तो इकबाल महमूद छह बार विधायक बने. 2017 में सपा ने निर्वतमान विधायक इकबाल महमूद को टिकट दिया तो शफीकुर्रहमान ने अपने बेटे जियाउर्रहमान को एआईएमआईएम से चुनावी मैदान में उतार दिया. 2017 में इस सीट से इकबाल महमूद ने एआईएमआईएम के जियाउर्रहमान को 18822 वोटों के अंतर से हराया था. इकबाल महमूद सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं. 2012 में सपा के इकबाल महमूद ने बीजेपी के राजेश सिंघल को करीब 30 हजार वोटों के अंतर से हराया था. 2022 विधानसभा चुनाव में सपा ने एक बार फिर मौजूदा विधायक इकबाल महमूद पर भरोसा जताया है. बीजेपी ने राजेश सिंघल, कांग्रेस ने निदा अहमद और बसपा ने शकील अहमद कुरैशी को चुनावी मैदान में उतारा है.
संभल सीट शहरी क्षेत्र है, जहां 70% मुस्लिम मतदाता हैं. यहां का मुख्य मुद्दा विकास है. यहां का मतदाता खासा नाराज है. उनका कहना है कि जब चुनाव आता है तभी विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य का मुद्दा उठता है, चुनाव खत्म मुद्दा खत्म. यहां सड़को का हाल भी बुरा है. संभल का किला फतह कर रहे सपा विधायक इकबाल महमूद का विजय रथ रोकने के लिए इस बार बीजेपी, बसपा और कांग्रेस मजबूत घेराबंदी कर रही है. इससे मुकाबला कांटे का होने के आसार हैं. जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा ये आने वाला वक्त तय करेगा.