नस्लीय नफरत का खूनी तांडव: देवभूमि में त्रिपुरा के छात्र की हत्या, मुख्यमंत्री ने दी कड़ी चेतावनी

देहरादून में त्रिपुरा के छात्र एंजेल चकमा की नस्लीय टिप्पणियों के बाद की गई हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है। मुख्यमंत्री धामी ने दोषियों के खिलाफ सख्त अल्टीमेटम देते हुए इसे राज्य की शांति पर हमला करार दिया है।

Dehradun

Dehradun Tripura student murder: उत्तराखंड की शांत वादियों में नस्लीय भेदभाव और हिंसा का जो नग्न नाच देखने को मिला है, वह मानवता पर कलंक है। त्रिपुरा के होनहार छात्र एंजेल चकमा को ‘चीनी’ कहकर अपमानित करना और फिर चाकू से गोदकर उसकी हत्या कर देना, हमारी सामाजिक मानसिकता की सड़न को दर्शाता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस जघन्य अपराध पर गहरा आक्रोश व्यक्त करते हुए Dehradun पुलिस को अपराधियों को पाताल से भी ढूंढ निकालने का अल्टीमेटम दिया है। अब तक पांच गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, लेकिन मुख्य आरोपी अभी भी फरार है। यह घटना केवल एक हत्या नहीं, बल्कि भारत की ‘विविधता में एकता’ की भावना पर कड़ा प्रहार है। समय आ गया है कि नस्लीय नफरत फैलाने वालों के खिलाफ कानून का ऐसा हंटर चले कि भविष्य में कोई ऐसी हिमाकत न कर सके।

नस्लवाद: समाज का वो जहर जिसे अब उखाड़ फेंकना होगा

यह Dehradun अत्यंत शर्मनाक है कि 21वीं सदी के भारत में भी हमारे उत्तर-पूर्वी भाई-बहनों को अपनी राष्ट्रीयता साबित करने के लिए अपमान सहना पड़ता है। एंजेल चकमा का यह कहना कि “हम भारतीय हैं, हमें इसे साबित करने के लिए कौन सा सर्टिफिकेट दिखाना होगा?” हर उस भारतीय के गाल पर तमाचा है जो चेहरे की बनावट के आधार पर देशभक्ति तय करता है।

  • जघन्य अपराध: महज़ ‘चीनी’ बुलाने का विरोध करने पर गर्दन और रीढ़ की हड्डी पर चाकू से हमला करना कायरता की पराकाष्ठा है।

  • नफरत की हार: उत्तर-पूर्वी राज्यों के छात्रों में फैला गुस्सा और शोक जायज है। जब तक समाज से यह नस्लीय सोच खत्म नहीं होगी, तब तक हम खुद को सभ्य नहीं कह सकते।

  • कठोर कार्रवाई की मांग: फरार आरोपी पर 25 हजार का इनाम और नेपाल तक छापेमारी यह बताती है कि सरकार दबाव में है, लेकिन न्याय तभी होगा जब सजा ऐसी मिले जो मिसाल बन जाए।

देवभूमि Dehradun में नफरत के ऐसे बीज बोने वालों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। नस्लवाद एक मानसिक बीमारी है, और इसका इलाज सिर्फ जेल की सलाखें हैं।

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