Uttarakhand News: उत्तराखंड की धामी सरकार ने एक बार फिर ट्रिपल तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में ऐतिहासिक लड़ाई लड़ने वाली सायरा बानो को राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को इसकी घोषणा की और सायरा बानो को राज्यमंत्री का दर्जा भी प्रदान किया गया है। इससे पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने भी साल 2020 में उन्हें इस पद पर नियुक्त किया था। सायरा बानो की इस नियुक्ति के बाद से उन्हें शुभकामनाएं देने वालों का तांता लगा हुआ है।
ट्रिपल तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लड़ी थी लड़ाई
उधम सिंह नगर के काशीपुर (Uttarakhand News) की रहने वाली सायरा बानो उस समय सुर्खियों में आई थीं जब उन्होंने साल 2016 में ट्रिपल तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। उनकी इस कानूनी लड़ाई का नतीजा साल 2017 में सामने आया जब सुप्रीम कोर्ट ने उनके हक में फैसला सुनाते हुए ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया।
इस फैसले के बाद साल 2018 में केंद्र की मोदी सरकार ने ट्रिपल तलाक को लेकर कानून बनाया जिसमें इस प्रथा को अपराध मानते हुए दोषियों को जेल की सजा का प्रावधान किया गया। सायरा बानो की इस लड़ाई ने न केवल उन्हें राष्ट्रीय पहचान दी बल्कि देशभर की मुस्लिम महिलाओं के लिए एक मिसाल भी कायम की।
बहुविवाह और निकाह हलाला को भी दी थी चुनौती
सायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट में केवल ट्रिपल तलाक को ही नहीं बल्कि निकाह हलाला और मुस्लिम समुदाय में प्रचलित बहुविवाह प्रथा को भी चुनौती दी थी। उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि ये प्रथाएं गलत हैं और इन्हें खत्म किया जाना चाहिए। सायरा बानो ने बहुविवाह प्रथा को समाप्त करने की मांग करते हुए कहा था कि यह प्रथा मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन करती है। उनकी इस मांग ने सामाजिक और कानूनी बहस को जन्म दिया जिसके बाद ट्रिपल तलाक पर कानून बनाया गया।
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कौन हैं सायरा बानो?
सायरा बानो काशीपुर, उधम सिंह नगर की निवासी हैं। उनका निकाह साल 2002 में प्रयागराज के एक प्रॉपर्टी डीलर रिजवान अहमद से हुआ था। लेकिन साल 2015 में रिजवान ने उन्हें ट्रिपल तलाक दे दिया जिसके बाद सायरा ने इस प्रथा के खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू की। साल 2016 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और 2017 में कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया।
इस फैसले ने न केवल सायरा की जिंदगी बदली बल्कि देशभर की उन तमाम मुस्लिम महिलाओं को राहत दी जो इस प्रथा से पीड़ित थीं। सायरा की इस साहसिक लड़ाई के बाद साल 2020 में त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने उन्हें उत्तराखंड महिला आयोग की उपाध्यक्ष नियुक्त किया था। अब धामी सरकार ने भी उन्हें इस महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी सौंपकर उनके योगदान को सम्मानित किया है।
धामी सरकार का अहम फैसला
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सायरा बानो की नियुक्ति को लेकर कहा कि उनकी यह नियुक्ति राज्य में महिलाओं के सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सायरा बानो को राज्यमंत्री का दर्जा देते हुए सरकार ने उनके अनुभव और सामाजिक कार्यों को महत्व दिया है। धामी सरकार का यह कदम सायरा बानो के उस साहस को सम्मान देने का एक प्रयास है, जिसके जरिए उन्होंने न केवल अपनी जिंदगी में बदलाव लाया, बल्कि देशभर की मुस्लिम महिलाओं के लिए एक नई राह खोली।
सायरा बानो (Uttarakhand News) की इस नियुक्ति के बाद से उन्हें बधाई देने वालों का सिलसिला शुरू हो गया है। सामाजिक संगठनों, महिला कार्यकर्ताओं और आम लोगों ने उनके इस नए दायित्व के लिए शुभकामनाएं दी हैं। सायरा बानो ने भी इस नियुक्ति के लिए धामी सरकार का आभार जताया और कहा कि वे इस पद के जरिए राज्य की महिलाओं के हित में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उत्तराखंड महिला आयोग की भूमिका
उत्तराखंड महिला आयोग (Uttarakhand News) एक वैधानिक संस्था है जो राज्य में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों और भेदभाव के मुद्दों को संबोधित करती है। यह आयोग महिलाओं के अधिकारों की रक्षा, हिंसा और उत्पीड़न के मामलों में हस्तक्षेप, और सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के लिए काम करता है।
सायरा बानो की नियुक्ति से उम्मीद की जा रही है कि आयोग और प्रभावी ढंग से महिलाओं के मुद्दों पर काम करेगा। सायरा बानो की यह नियुक्ति न केवल उनके साहस और संघर्ष की कहानी को सम्मान देती है बल्कि उत्तराखंड में महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक नया कदम भी साबित हो सकती है।