Varanasi accident: वाराणसी के मिर्जामुराद क्षेत्र के गुड़िया गांव में गुरुवार की शाम एक दर्दनाक हादसा हो गया। घर के सामने खेल रही चार साल की बच्ची माही अचानक पुराने कुएं में गिर गई। बच्ची को बचाने के प्रयास में उसका चाचा और एक रिश्तेदार बिना किसी सुरक्षा इंतजाम के कुएं में उतरे, लेकिन जहरीली गैस के कारण तीनों की मौत हो गई। यह हादसा उस वक्त हुआ जब गांव में एक तेरहवीं संस्कार के कारण लोग पहले से ही इकट्ठा थे। सूचना मिलने के बावजूद पुलिस और फायर ब्रिगेड मौके पर तो पहुंचे, लेकिन उचित संसाधनों के अभाव में मूकदर्शक बने रहे। एनडीआरएफ के पहुंचने से पहले ग्रामीणों ने शव बाहर निकाले। घटना के बाद गांव में मातम और आक्रोश दोनों देखने को मिले।
मासूम की चीख बनी काल
गांव निवासी प्रदीप बिंद की चार साल की बेटी माही शाम को अपने साथियों के साथ खेल रही थी। घर के पास स्थित खुले कुएं में वह अचानक गिर गई। बच्चों के शोर मचाने पर गांव में अफरा-तफरी मच गई। बच्ची को बचाने के लिए पास में मौजूद प्रमोद बिंद का बेटा ऋषिकेश (27) और उसका रिश्तेदार रामकेश (30) सबमर्सिबल पंप की पाइप के सहारे कुएं में उतरे। कुछ ही देर में कुएं के भीतर कोई हलचल न देख परिजन घबरा गए। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद ग्रामीणों ने तीनों शव बाहर निकाले।
प्रशासन बना मूकदर्शक, ग्रामीणों में रोष
ग्रामीणों ने बताया कि हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस और फायर ब्रिगेड मौके पर तो पहुंच गए, लेकिन उनके पास न तो ऑक्सीजन सिलेंडर था और न ही कुएं में उतरने का कोई उपकरण। स्थानीय लोगों का कहना था कि यदि प्रशासन तत्परता दिखाता और जरूरी उपकरण लेकर आता, तो शायद तीनों की जान बच सकती थी। एनडीआरएफ की टीम जब पहुंची, तब तक ग्रामीण अपने स्तर से शव निकाल चुके थे। इस लापरवाही को लेकर गांव में भारी गुस्सा रहा।
अधिकारियों ने पहुंचकर दिलाया भरोसा
घटना की जानकारी मिलते ही Varanasi भाजपा एमएलसी धर्मेंद्र राय, Varanasi डीसीपी गोमती जोन आकाश पटेल, Varanasi एडीएम बिपिन कुमार और अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने शोक संतप्त परिवार को ढांढ़स बंधाया और हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। एडीएम ने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की बात कही। डीसीपी ने बताया कि परिजनों की सहमति से तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।
खुले कुओं पर न लगे ढक्कन, तो हादसे बनेंगे आम
ग्रामीणों ने Varanasi प्रशासन से मांग की कि गांवों में अब भी खुले कुएं बड़ी संख्या में हैं, जो बच्चों और जानवरों के लिए खतरा बने हुए हैं। अगर इन पर सुरक्षा ढक्कन न लगाए गए, तो इस तरह की घटनाएं दोबारा हो सकती हैं। हादसे के बाद गांव में मातमी सन्नाटा पसरा है और लोग एक ही सवाल कर रहे हैं—क्या इन तीनों की मौत रोकी जा सकती थी?