फुलझड़ी जलाकर प्यारी मुस्कान के साथ देखी दिवाली की आतिश्बाजी, सामने आया प्रेमानंद जी महाराज का वीडियो

प्रेमानंद महाराज ने अपने अनुयायियों के साथ हर्षोल्लास से दिवाली का त्योहार मनाया। सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे मुस्कुराते हुए आतिशबाज़ी का आनंद लेते और फुलझड़ियां जलाते दिखाई दे रहे हैं। इस दौरान महाराज बेहद प्रसन्न नजर आए। हाल ही में उन्होंने अपनी पदयात्रा दोबारा आरंभ की है, जिससे उनके भक्तों में उत्साह और खुशी का माहौल है।

Premanand Maharaj

Premanand Maharaj : सोमवार को पूरे देश में दिवाली का त्योहार बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया। इसी बीच वृंदावन के प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिसमें वे दिवाली का आनंद लेते हुए दिखाई दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि महाराज ने इस शुभ अवसर पर राधा रानी के साथ दीपोत्सव मनाया। वीडियो में वे अपने शिष्यों और भक्तों के साथ मुस्कुराते हुए फुलझड़ियां जलाते और आतिशबाजी का आनंद उठाते नजर आ रहे हैं।

वीडियो में प्रेमानंद महाराज कभी आसमान में चमकती आतिशबाजी को देखते हैं तो कभी पास में जलते पटाखों का आनंद लेते हैं। उनके चेहरे की खुशी देखकर अनुयायी भी भावविभोर हो उठे हैं। इंस्टाग्राम पर साझा किए गए इस वीडियो पर भक्त लगातार कमेंट कर रहे हैं — कोई उन्हें दिवाली की शुभकामनाएं दे रहा है, तो कोई उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहा है। एक यूज़र ने लिखा, “महाराज जी खुश तो सब खुश।”

‘जब रोटी मांगने जाते थे…’ प्रेमानंज जी का पुराना वीडियो वायरल

इसी दौरान उनका एक पुराना वीडियो भी सामने आया है, जिसमें वे अपने जीवन के कठिन दिनों को याद करते हुए कहते हैं, “हमारी दीपावली तो भूखी होती थी। जब रोटी मांगने जाते थे तो कहते थे — आज दीपावली है, रोटी नहीं बनेगी। दिन में मंदिर जाते थे और शाम को लोग दीप जलाते थे, तब हम अंधेरे में बैठे रहते थे। न खाने को कुछ था, न पैसे थे — तब हमारी दीपावली हमारे आंसुओं से ही होती थी।”

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स्वास्थ्य में सुधार के बाद फिर से शुरू की पदयात्रा

पिछले कुछ समय से प्रेमानंद महाराज का स्वास्थ्य ठीक नहीं था और उन्हें हफ्ते में पांच दिन डायलिसिस करानी पड़ती है। इसी कारण उनकी रात्री पदयात्रा अस्थायी रूप से रोक दी गई थी। हालांकि, अब उन्होंने अपनी यात्रा दोबारा शुरू कर दी है। डॉक्टरों की सलाह पर वे अब अपने आवास से श्री राधा रति केलि कुंज आश्रम तक पैदल जाते हैं, जबकि वापसी के लिए वाहन का उपयोग करते हैं। पहले वे दोनों यात्राएं पैदल ही पूरी किया करते थे। धीरे-धीरे उनकी तबीयत में सुधार हो रहा है, और उनके अनुयायी इस बदलाव को लेकर बेहद प्रसन्न हैं।

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