नई दिल्ली: यूक्रेन पर रूस के हमलों से दुनिया भर के देशों में भारी नाराजगी है। बूचा में हुए नरसंहार की तस्वीरें आने के बाद रूस के खिलाफ आज शाम करीब सात बजे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से उसे बेदखल करने प्रस्ताव पर वोटिंग होनी है। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में विशेष बैठक बुलाई गई है। रूस के खिलाफ यह प्रस्ताव अमेरिका ने रखा है। यह बैठक रूस के साथ-साथ भारत के लिए भी बहुत अहम है क्योंकि इस बार रूस के खिलाफ वोटिंग में भारत पर सभी की निगाहें टिकी होंगी कि वह इस बार प्रस्ताव का साथ देगा या फिर मतदान से खुद को दूर रहेगा। इस बार वोट ना देना रूस के खिलाफ ही माना जाएगा।
यूक्रेन में हुए नरसंहार ने पूरी दुनिया को दो हिस्सों में बांट दिया है। बड़ा हिस्सा रूस के खिलाफ है और एक छोटा हिस्सा उसके साथ। दुनिया के ज्यादातर देश कई तरह की प्रतिबंध लगाकर रूस को अलग-थलग करने के अभियान में जुटे हैं। कीव के उपनगर बूचा से सामने आई नागरिकों के शवों की भयावह तस्वीरों और वीडियो के बाद संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने रूस को मानवाधिकार परिषद से हटाने का आह्वान किया था।इससे पहले अमेरिका के साथ ब्रिटेन भी परिषद से रूस को बाहर करने की बात कह चुका है।
एनएचआरसी में वोटिंग भारत के लिए एक बड़ा इम्तिहान है क्योंकि 4 मार्च के प्रस्ताव पर भारत वोटिंग से दूर रहा था। इससे रूस को मजबूती मिली थी। इस बार भारत ने अगर वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया तो इससे रूस को कोई मदद नहीं मिलेगी क्योंकि प्रस्ताव पारित होने के लिए कुल मतों के दो-तिहाई की ही जरूरत होगी। अगर भारत ने रूस के हक में मतदान किया तो अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय देश भारत की विदेश नीति पर आक्रामक रुख अख्तियार कर सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ अगर रूस के खिलाफ भारत ने वोट किया तो रूस के साथ उसके संबंधों पर असर पड़ना लाजमी है। इधर, रूस पहले ही यह चेतावनी दे चुका है कि जो देश वोटिंग में शिरकत नहीं करेगा, उसे रूस का दोस्त नहीं माना जाएगा। इससे भारत की चिंता और बढ़ गई है। अगर भारत ने वोटिंग न की तो रूस के खिलाफ अभियान में जुटे अमेरिका और यूरोपीय देश और मजबूत होंगे।