नई दिल्ली। आने वाले कुछ दिनों में लोकसभा के चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद देश एक बार फिर से चुनावी रंगों में रंग जाएगा। भले ही चुनाव की अधिकारीक घोषणा अभी बाकी हैं लेकिन तैयारीयां शुरू हो चुकी है। जनता को अपने पक्ष में करने के लिए राजनीतिक पार्टी अपने तरीके से प्रयास में जुट गई हैं। देश का सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाला राज्य उत्तर प्रदेश पर सभी राजनैतिक दलों की नजर होगी। लेकिन यह देखना बड़ा मजेदार होगा कि प्रदेश की 80 सीटों पर जनता का जनमत किसे मिलता है।
इस लेख में जानते हैं आंकड़ों में कैसी रहेगी प्रदेश की राजनीति…
प्रदेश की प्रमुख राजनीतिक पार्टी
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भारतीय जनता पार्टी
राज्य में अभी भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और केंद्र में भी पार्टी की सरकार है ऐसे में राज्य के सभी सीटों पर पार्टी और गठबंधन की जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी की रणनीति क्या रहने वाली है ये देखने वाली होगी। पिछले चुनाव में पार्टी गठबंधन को सबसे अधिक कुल 64 सीटों पर सफलता मिली थी। इसमें 62 सीटों पर अकेले बीजेपी के उम्मीदवार सफल हुए थे। इस बार प्रदेश में पार्टी की रणनीति क्या होगी? पार्टी कितने सीटों पर लड़ेगी? एनडीए गठबंधन में कितनी पार्टीयां रहेंगी आदि कई ऐसे सवाल जो आने वाले दिनों में साफ हो जाएंगे। लेकिन देखने वाला होगा की पार्टी को लोकसभा चुनाव में कितने सीटों पर सफलता मिलती हैं ।
पिछले लोकसभा चुनाव मे प्रदर्शन
दो लोकसभा चुनाव में पार्टी को बड़ी सफलता मिली थी। हालांकि सीटों के मामले में पार्टी को 2014 के लोकसभा चुनाव से 9 सीटें कम मिली लेकिन राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी ही रही। पार्टी को लोकसभा चुनाव 2014 में 71 सीटें मिली थी और लोकसभा चुनाव 2019 में 62 सीटें मिली थी। चुनाव को लेकर हुई अलग अलग सर्वे परिणाम में पार्टी लोकसभा चुनाव 2014 के प्रदर्शन को दोहरा सकती है। पार्टी को इस बार 70 सीटें मिलती हुई दिख रही हैं ।
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अपना दल (S)
पिछले दो चुनावों में एनडीए के साथ साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही पार्टी लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मिशन 80 की सफलता में बड़ी भूमिका निभा सकती है। हालांकि पार्टी अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने कहा था कि वो आगामी चुनाव में अधिक सीटों पर लड़ना चाहेंगी। जिसके लिए वो गठबंधन के घटक दलों से बात करेगी। वर्तमान में पार्टी से 2 सांसद लोकसभा में है। चुनावी सर्वे में पार्टी के दो सीट जीतने की बात भी कही गई है। लोकसभा चुनाव में पार्टी एनडीए गठबंधन के साथ ही चुनाव लड़ेंगी। पार्टी को 2 सीटों पर सफलता मिल सकती है। पिछले चुनाव में भी पार्टी को 2 सीटों पर सफलता मिली थी।
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निषाद पार्टी
यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद की पार्टी एनडीए की घटक दलों में से एक है। हालांकि अभी तक पार्टी ने लोकसभा में अपनी किस्मत नहीं आजमाई है। लेकिन इस बार लोकसभा में पार्टी चुनाव लड़ सकती है। पार्टी अध्यक्ष इस बात की घोषणा भी कर चूकें । उन्होंने कहा था की बीजेपी से उन्हें सम्मानजनक सीटों की उम्मीद है।
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सुभासपा
पिछले दिनों ही पार्टी ने एक बार फिर से एनडीए का दामन थाम लिया। ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के साथ आई थी। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वो गठबंधन से बाहर हो गई। लेकिन इस बार फिर से वो एनडीए में शामिल हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा है कि भाजपा सुभासपा को भी गठबंधन के तहत कुछ सीट दे सकती है। लेकिन संख्या पार्टी के हिसाब से नहीं होंगे।
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सपा
विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A.में शामिल राज्य की सबसे बड़ी पार्टीयों में एक समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव में उतरेगी। पार्टी पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक फ्रंट के जरिए गठबंधन के साथ साथ प्रदेश मे बड़ी दबेदारी पेश कर रही है। सामाजिक समीकरण साधते हुए पार्टी गठबंधन में बड़ी भूमिका की पेश कर रही है।पार्टी द्वारा गठबंधन में 40-45 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने की बात कही जा रही है। पार्टी राज्य में 55 से 60 फीसदी वोट शेयर की दावेदारी कर रही है।
उम्मीदवारों की घोषणा
लोकसभा के लिए अपने 16 उम्मीदवारों की घोषणा करके पार्टी एक कदम आगे बढ़ चुकी है। लेकिन पार्टी के इस फैसले से गठबंधन के सहयोगी दल खुश नहीं हैं। हालांकि पिछले दो लोकसभा चुनावों में पार्टी को सिर्फ 5 सीटों पर जीत मिली थी। ऐसे मे देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि पार्टी कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगी? पार्टी को पिछले चुनाव में 5 सीटों पर सफलता मिली थी। और सर्वे के अनुसार 2024 के चुनाव में सपा को एक सीट का नुकसान होते दिख रहा है। पार्टी को चार सीटों पर सफलता मिल सकती हैं ।
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कांग्रेस
देश की सबसे बड़ी पार्टियों मे एक कांग्रेस उत्तर प्रदेश के 80 सीटों में ज्यादा से ज्यादा सीटें जितना चाहेंगी। हालांकि पार्टी के गठबंधन में सामंजस्य बैठाना सबसे बड़ी चुनौती होगी। जहां सीटों को लेकर गठबंधन में सामंजस्य नहीं बैठ रही है। एक ओर जहां पार्टी 25 सीटों से कम पर मानने को तैयार नहीं है।वहीं उनके सहयोगी दलों द्वारा पार्टी को 11 सीटें दी गई हैं। हालांकि पार्टी चाहेगी की वो इससे अधिक सीटों पर चुनाव लड़े। पिछले चुनाव में पार्टी को सिर्फ 1 सीट पर सफलता मिली थी। इस चुनाव में पार्टी के सीटों में 1 सीट का इजाफ़ा हो सकता है। पार्टी इस चुनाव में 2 सीट जीत सकती हैं ।
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बसपा
मायावती के नेतृत्व में बहुजन समाज पार्टी लोकसभा में अकेले दम पर उतरेगी। पिछले चुनाव में पार्टी को 10 सीटों पर सफलता मिली थी। चुनाव में सीटों की संख्या के हिसाब पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी। लेकिन इस बार पार्टी के लिए खाता खोलना भी मुश्किल लग रहा है। सर्वे में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिल रही है।
यूपी में सीटों के हिसाब से जातिगत समीकरण
प्रदेश में कुल 80 लोकसभा की सीटें हैं। अब जानकारों की माने तो जिसने यूपी जीता, उसने दिल्ली जीता। राज्य की लोकसभा सीटें को अगर चार हिस्सों में बांटे तो इसमें पश्चिमी यूपी,पूर्वांचल,अवध और बुंदेलखंड।
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पश्चिमी यूपी
राज्य के इस भाग की राजनीति निर्धारित होती है जाट, मुस्लिम, और दलित समुदाय से। इस इलाके में पार्टी वही करती हैं,जो ये जातियां चाहतीं हैं।इलाके में मुस्लिम मतदाता 32 %, जाट 17% और दलित 26 % है। लिहाजा प्रदेश में सबसे ज्यादा जातिवाद की राजनीति इसी क्षेत्र में होती है।
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पूर्वांचल
प्रदेश का यह पिछड़ा इलाका है जहां प्रदेश की लगभग 32% आबादी देश की 26 लोकसभा सीटें पर राजनीति निर्धारित करती हैं। यहाँ किसान निर्णायक की भूमिका निभाते हैं। इस क्षेत्र में राजभर, निषाद और चौहान जाती के लोगों की संख्या ज्यादा है।
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अवध
पूर्वांचल के बाद अवध प्रदेश का सबसे बड़ा इलाका है। पिछले कई चुनाव परिणाम के आधार पर ऐसा कहा जाता है कि इस इलाके में जिसका प्रदर्शन अच्छा होता है उसे पूर्वांचल में भी अच्छी जीत मिलती है। इस क्षेत्र में ब्राह्मणों की आबादी 12 %, ठाकुर 7%, बनिया 5%, यादव 7% और कुर्मी 7% है। प्रदेश के इस इलाके में 43 % लोग ओबीसी समाज से आते हैं। इस क्षेत्र में कुल 18 लोकसभा सीट हैं ।
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बुंदेलखंड
प्रदेश के इस इलाके से लोकसभा की कुल 5 सीटें आती हैं। ये इलाका ओबीसी और दलित बहुल है।इस इलाके में सामान्य वर्ग के कुल 22% वोट है, जबकि ओबीसी 43% और दलित 26% है।
प्रदेश मे अगर जाती समीकरण की बात करें तो प्रदेश की राजनीति मुख्य रूप से ओबीसी, मुस्लिम और ब्राह्मण तय करते हैं। प्रदेश में करीब 52% ओबीसी है जो यादव वोटों को साधता है और सपा का वोट बैंक है। इसमें करीब 43% गैर यादव वोट भी शामिल है। जो बीजेपी का वोट बैंक है। प्रदेश में मुस्लिम की आबादी करीब 20% है। जो सपा और बसपा दोनों का मिलाजुला वोट बैंक है। राज्य की 36 लोकसभा सीटों पर मुस्लिम आबादी 20 % तो 6 सीटें ऐसी है जिस पर ये संख्या 50% से भी अधिक है।जहां कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहता है।इसके आलवा प्रदेश में करीब 8 से 10 % आबादी ब्राह्मणों की है।जो बीजेपी की वोट बैंक है। राज्य के1 दर्जन से अधिक सीटों पर इनके वोटों से हार और जीत तय होती है।
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लोकसभा चुनाव परिणाम 2019
प्रदेश के कुल 80 सीटों पर हुए लोकसभा चुनाव 2019 में एनडीए (बीजेपी 62 और अपना दल (S)के 2 सीटें) 64 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि विपक्षी पार्टियों में बीएसपी 10, सपा 5 और कांग्रेस को 1 सीट पर सफलता मिली थी। चुनाव में एनडीए का 51.19 प्रतिशत वोट शेयर रहा था। वहीं विपक्षी गठबंधन को करीब 39.23 % वोट शेयर मिले थे।अगर पार्टी के अनुसार देखें तो
- बीजेपी – 49.98 % वोट शेयर
- सपा- 18.11 % वोट शेयर
- कांग्रेस – 6.36 % वोट शेयर
- अपना दल एस- 1.21 % वोट शेयर
- बसपा – 19.43 % वोट शेयर
- रालोद – 1.69 % वोट शेयर
लोकसभा में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद उप चुनाव में भी बजेपी को ही फायदा हुआ।राज्य में हुए तीन सीटों पर उप चुनाव में दो सीटों पर बीजेपी और एक पर सपा को सफलता मिली। बीजेपी को रामपुर ,और आजमगढ़ में जीत मिली तो मैनपुरी से सपा सांसद डिंपल यादव ने जीत हासिल किया।
अभी चुनाव हुए तो किस पार्टी को कितनी सीटें मिल सकती है
जहां एक तरफ प्रदेश की समाजवादी पार्टी ने अपने प्रत्यासीयों की घोषणा कर अपने तरफ से लड़ाई की शुरुआत कर दी है।वहीं राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब ये कहा की आगामी लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी 370 और उनका गठबंधन 400 पार करने वाला है। तो उनकी नजर देश के सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाला राज्य उत्तरप्रदेश पर भी टीकी होगी। लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का क्या रुख रहने वाला है। यह फिलहाल तय नहीं है।
- भाजपा-70 सीटें / 52 प्रतिशत
- सपा -4 सीटें / 23 प्रतिशत
- कांग्रेस -2 सीटें / 4प्रतिशत
- बसपा -0 सीटें / 12 प्रतिशत
- अन्य- 4 सीटें / 9 प्रतिशत