World Suicide Prevention Day 2022: जब कोई बहुत ज्यादा बुरी मानसिक स्थिति से गुजरता है तो एकदम अवसाद में चला जाता है इसी अवसाद की वजह से ज्यादातर युवा आत्यमत्या कर लेते हैं। जिससे उनके परिवार पर बहुत नकारात्मक असर पड़ता है। हर साल 10 सितंबर को वर्ल्ज सुसाइड प्रिवेंशन डे (विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस) मनाया जाता है। इसे लोगों में मानसिक स्वास्थ के प्रति जागरुकता फैलाने और आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत 10 सितंबर 2003 को इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (IASP) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मिलकर एक बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश ‘आत्महत्याओं को रोका जा सकता है’ देने के लिए की थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है।
हर साल लगभग 8 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या कर लेते हैं। जबकि इससे भी अधिक संख्या में लोग आत्महत्या की कोशिश करते हैं। यह स्थिति बहुत डराने वाली है। इससे पता चलता है कि आज के टाइम में लोगों में कितना ज्यादा मानसिक तनाव है। इस डेटा के मुताबिक दुनियाभर में 80 फीसदी आत्महत्या निम्न और मध्यवर्ग वाले देशों के लोग करते हैं। इस दिवस को स्वास्थ्य संगठन और मानसिक स्वास्थ्य फेडरेशन द्वारा को-स्पॉन्सर किया जाता है।
युवा वर्ग के लोग आत्महत्या जैसे घातक कदम ज्यादा उठाते हैं। इसकी कई वजह होती है जैसे पढ़ाई का प्रेशर, करियर प्रॉब्लम्स और खराब होते रिश्तें भी इसकी एक मुख्य वजह हैं। समाज में महिलाओं द्वारा आत्महत्या का प्रयास ज्यादा किया जाता है, जिसमें दहेज जैसी कुप्रथा भी एक बड़ी वजह है।
सुसाइड कमिट करने की दर पुरुषों की ज्यादा है। बच्चे भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। इसको रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। लोगों में जागरुकता मानसिक स्वास्थ के प्रति जागरुकता फैलाकर आत्महत्या जैसे मामलों को काफी हद तक रोका जा सकता है। मानसिक अवसाद होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
वहीं, 2021 में वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे की थीम “कार्रवाई के माध्यम से आशा बनाना” था, जो आत्महत्या की रोकथाम की दिशा में एक सामूहिक पहल का वादा करता है।
डिप्रेशन जैसे शारीरिक और विशेष रूप से मानसिक स्वास्थ्य को अक्षम करने वाले कारक इस बड़ी लिस्ट में सबसे आम है। इसके अलावा फाइनेंशियल कंडीशन से उपजी चिड़चिड़ाहट, आक्रामकता, शोषण और दुर्व्यवहार के अनुभव तक परस्पर संबंधित कारक हैं, जो आत्महत्या के लिए उकसाने वाली दर्द और निराशा की भावनाओं को बढ़ावा दे सकते हैं। आत्महत्या के रोकथाम और इसके खिलाफ बनाई गई रणनीतियां आमतौर पर इस आत्मघाती व्यवहार के बारे में जन जागरूकता पर जोर देती हैं।
अवसादग्रस्त लोगों को सुसाइड कमिट करने से बचाने के लिए हमें बराबर उनके साथ बातचीत करनी चाहिए और उनसे सीधे उनके लक्षणों के बारे में बात करने के बजाए, संवेदनशील और गैर-निर्णयात्मक तरीके से बात करना महत्वपूर्ण है। अवसादग्रस्त शख्स के साथ अच्छा श्रोता बनना भी महत्वपूर्ण है। उनको धैयपूर्वक सुनना बहुत आश्वस्त हो सकता है। आम मान्यता के विपरीत खुदकुशी के बारे में बात जोखिम को नहीं बढ़ाती है और वास्तव में भावनात्मक स्थिति पर चर्चा करना फायदेमंद हो सकता है।