Indian female poets who fought for change: कविता केवल कुछ पंक्तियों में गहरी भावनाओं को व्यक्त करने का सबसे असरदार जरिया होती है। साहित्य में कविता की अपनी एक अहम जगह है, जिसे कोई और लेखन विधा नहीं ले सकती। यह देखने में भले ही सरल लगे, लेकिन इसे लिखने के लिए शब्दों की अच्छी पकड़ होना जरूरी है।
अमृता प्रीतम: भावनाओं की सशक्त अभिव्यक्ति
अमृता प्रीतम का जन्म 31 अगस्त 1919 को पंजाब के गुजरांवाला में हुआ था। वह केवल कवयित्री ही नहीं, बल्कि उपन्यासकार और निबंधकार भी थीं, जिन्होंने हिंदी और पंजाबी भाषा में लिखा। उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता “अज्ज आखां वारिस शाह नू” 1947 के विभाजन के दर्द को दर्शाती है। इस कविता में उन्होंने वारिस शाह से प्रार्थना की कि वह अपनी लेखनी से उस पीड़ा को बयान करें, जिससे लोग गुज़र रहे थे। उनकी अन्य चर्चित कविताएँ हैं। “मैं तुम्हें फिर मिलूँगी”, “मुलाकात”, “मेरी खता” आदि। उन्हें 1983 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
महादेवी वर्मा: छायावादी युग की पहचान
महादेवी वर्मा का जन्म 1907 में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुआ था। वह स्वतंत्रता सेनानी भी थीं और उन्हें छायावादी युग की प्रमुख कवयित्रियों में गिना जाता है। उन्होंने अपनी कविताओं में महिलाओं के दुख-दर्द और उनके संघर्ष को बहुत संवेदनशीलता से प्रस्तुत किया। उन्हें “आधुनिक मीरा” भी कहा जाता है, क्योंकि उनकी रचनाओं में भक्ति और करुणा का गहरा प्रभाव दिखता है।
ज़ेब-उन-निसा: मुगल राजकुमारी और कवयित्री
ज़ेब-उन-निसा, जो कि मुगल बादशाह औरंगजेब की बेटी थीं, 1638 में जन्मी थीं। वह न केवल एक राजकुमारी थीं, बल्कि एक प्रतिभाशाली कवयित्री भी थीं।उन्होंने “मख़फ़ी” (Makhfi) उपनाम से कविताएँ लिखीं, जिसका अर्थ है “गुप्त” या “छिपी हुई”। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना “दीवान-ए-मख़फ़ी” है, जिसमें लगभग 5,000 छंद शामिल हैं।
सरोजिनी नायडू: भारत की कोकिला
सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था। वह कवयित्री, स्वतंत्रता सेनानी और उत्तर प्रदेश की पहली महिला गवर्नर थीं।उन्हें “भारत की कोकिला” कहा जाता है। उन्होंने महिला शिक्षा और अधिकारों के लिए भी काम किया। 1917 में Women’s Indian Association के गठन में उनका महत्वपूर्ण योगदान था।
सुभद्रा कुमारी चौहान: आज़ादी की कवयित्री
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रमुख कवयित्री और लेखिका थीं। उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता “झाँसी की रानी” है, जिसमें उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई की वीरता का ज़िक्र किया। उनकी अन्य चर्चित रचनाएँ – “बिखरे मोती”, “मुकुल” और “यह कदंब का पेड़” हैं।