Manmohan Singh Special: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में निधन हो गया। वे एक बड़े अर्थशास्त्री और सादगी भरे नेता के रूप में जाने जाते थे। उनका शांत स्वभाव और धीमे बोलने का अंदाज हर किसी को प्रभावित करता था। उनकी नीली पगड़ी उनके व्यक्तित्व का हिस्सा बन चुकी थी।
सिखों में पगड़ी के रंग का मतलब
सिख समुदाय में पगड़ी का कोई निश्चित रंग नहीं होता। लोग अपने पसंदीदा रंग या पहनावे के हिसाब से पगड़ी का चुनाव करते हैं। आमतौर पर पीले, बसंती, केसरिया और सफेद रंग की पगड़ी ज्यादा पहनी जाती है। हालांकि, मनमोहन सिंह हमेशा नीली पगड़ी पहनते थे।
मनमोहन सिंह और उनकी नीली पगड़ी
मनमोहन सिंह पर किसी रंग का दबाव नहीं था। वे न तो कट्टर सिख थे और न ही किसी खास विचारधारा से जुड़े थे। उन्होंने हमेशा नीली पगड़ी पहनने की वजह को अपनी व्यक्तिगत पसंद बताया। साल 2006 में, जब कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि दी थी, तब उन्होंने खुद इस राज को उजागर किया।
कैम्ब्रिज के समारोह में प्रिंस फिलिप ने उनकी पगड़ी का जिक्र करते हुए कहा, इनकी पगड़ी का रंग देखिए। यह सुनकर दर्शकों ने तालियां बजाईं। इस पर मनमोहन सिंह ने बताया कि यह रंग उन्हें पसंद है। उन्होंने कहा कि कैम्ब्रिज में पढ़ाई के दौरान उनके दोस्तों ने उन्हें ब्लू टर्बन कहकर बुलाना शुरू किया था। तभी से यह रंग उनके साथ जुड़ गया।
नीले रंग का कोई खास संदेश नहीं
कई लोग सोचते हैं कि उनकी नीली पगड़ी किसी विचारधारा का हिस्सा हो सकती है। भारत में नीला रंग बहुजन समाज पार्टी से जुड़ा माना जाता है, लेकिन मनमोहन सिंह ने स्पष्ट किया कि उनकी पगड़ी का रंग राजनीति या विचारधारा से नहीं जुड़ा है। यह सिर्फ उनकी व्यक्तिगत पसंद है।
उनके व्यक्तित्व की पहचान
मनमोहन सिंह की पगड़ी सिर्फ एक कपड़ा नहीं थी, यह उनके शांत और सरल व्यक्तित्व की पहचान बन गई थी। उनकी पगड़ी का रंग प्रेरणा और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। जिस तरह नीला रंग शांति और ज्ञान का संदेश देता है, उसी तरह मनमोहन सिंह भी भारत में प्रगति और समावेशिता के प्रतीक बने। उनका जीवन हमारे लिए हमेशा प्रेरणा और प्रगति का प्रतीक बना रहेगा।