मुज़फ़्फ़रपुर। जिले के बंदरा प्रखंड के बरियारपुर, मोहनपुर के मध्य शिव शक्ति धाम में स्थित बाबा बुद्धेश्वरनाथ महादेव का मंदिर काफी प्रसिद्ध है। सावन, महाशिवरात्रि व बसंत पंचमी पर शिवभक्त यहां दूर दराज से आकर पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि सच्चे मन जो भी बाबा से मांगता है उसकी मुराद पूरी होती है। श्मशान में स्थित बाबा बुद्धेश्वरनाथ स्वयं अंकुरित महादेव है।
ऐसी मान्यता है कि 12वीं सदी में राजा माधव सिंह (मध्यप्रदेश) ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। बाबा बुद्धेश्वरनाथ महादेव का प्रथम पुजारी नाथ बाबा बने, जो गोरखनाथ संप्रदाय के थे. मंदिर प्रांगण से करीब पांच सौ मीटर की दूरी पर उन्होंने सशरीर समाधी ले ली थी। आज भी उनके स्थान पर लोग झूठे कसम खाने से डरते हैं। लोग बताते हैं कि बाबा के प्रभाव से बरियारपुर गांव में आज भी अघोरी और किन्नर प्रवेश नहीं करते हैं, इसका जिक्र मुजफ्फरपुर गजट में भी है। बाद में यहां बरियारपुर और मोहनपुर के लोगों द्वारा धर्मादा कमिटी का गठन कर सामाजिक सहयोग से मां पार्वती मंदिर का निर्माण कराया गया.ग्रामीणों के सहयोग व धर्मादा कमिटी के सौजन्य से शिवशक्ति धाम में सभी कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। न्यास बोर्ड पटना की ओर से बुधेश्वरनाथ महादेव मंदिर को 1967 में मान्यता दिया गया था लेकिन आज तक बोर्ड ने कोई विकास राशि नहीं दी है।
धर्मादा कमिटी के अध्यक्ष विमल कुमार सिंह का कहना है कि मंदिर को मान्यता तो मिला लेकिन इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी किसी प्रकार की सहयोग राशि नहीं मिली। जनसहयोग से विभिन्न अवसरों पर कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
शिवशक्ति धाम स्तिथ बुद्धेश्वरनाथ मंदिर के प्रांगण मे प्रत्येक वर्ष सावन माह में जलाभिषेक के लिए कावरियों का जत्था पहलेजा घाट, सिमरिया घाट एवं आथर घाट से गंगाजल बोझकर बाबा को जलाभिषेक करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि मन्नत पूरी होने पर सत्यनारायण भगवान का पूजन, मुंडन, उपनयन संस्कार, रुद्राभिषेक एवं विवाह कार्यक्रम यहां आयोजित होते हैं। 35 वर्षों से महाशिवरात्रि पर संगीत सम्मेलन, श्रीमद्भागवत कथा, राम कथा, शिवमहापुराण कथा एवं अनेक धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन होता आ रहा है। सरस्वती पूजा, अनंत पूजा समेत विभिन्न अवसरों पर भक्तों द्वारा जलाभिषेक व पूजा-अर्चना की जाती है। बाबा बुद्धेश्वरनाथ महादेव मनोकामना महादेव है। जो भी भक्त बाबा को सच्चे मन से जल, फूल, बेलपत्र, अक्षत अर्पित करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आज भी मंदिर के प्रथम पुजारी नाथ बाबा आधी रात्रि मे मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।