Twin Tower: उत्तर प्रदेश के नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टावरों (Supertech Twin Towers) को आखिरकार रविवार को ध्वस्त कर दिया गया. दरअसल इमारत के नियमों में गंभीर उल्लंघन के लिए जुड़वां टावरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, ये नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) और सुपरटेक की मिलीभगत का नतीजा है. साथ ही आदेश दिया कि कंपनी नोएडा प्राधिकरण और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान जैसे विशेषज्ञ निकायों की देखरेख में अपने खर्च पर टावरों को ध्वस्त करेगी.
इसी क्रम में नोएडा ट्विन टावर्स (Supertech Twin Towers) के मामले में प्राधिकरण के अधिकारियों, कर्मचारियों, बिल्डरों और आर्किटेक्ट सहित कई लोगों को अनियमितताओं के दोषी पाया गया है. इस मामले को लेकर प्रदेश के सीएम योगी ने इसकी जांच कराई थी, जिसमें तमाम अधिकारियों, कर्मचारियों, बिल्डरों समेत 26 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. नियमों के आधार पर बने इन गगनचुंबी इमारतों के निर्माण में नोएडा विकास प्राधिकरण के कर्मचारियों और बिल्डर की मिलीभगत बताई जा रही है.

सीएम योगी ने कराई मामले की जांच
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने डेढ़ दशक पुराने इस मामले की गहन जांच की थी. सितंबर 2021 में सीएम योगी के आदेश पर बुनियादी ढांचा एवं औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में 4 सदस्यों की कमेटी गठित की गई थी. इस जांच समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले में शामिल 26 अधिकारियों/कर्मचारियों, सुपरटेक लिमिटेड के निदेशकों और उनके वास्तुकारों के खिलाफ कार्रवाई की गई है.

टावर्स को आखिरकार ध्वस्त कर दिया गया
इस मामले में शामिल 4 ऐसे अधिकारियों को निलंबित करते हुए, जो वर्तमान में विभिन्न प्राधिकारियों में कार्यरत थे, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी सरकार की ओर से शुरू कर दी गई है. सुपरटेक के ट्विन टावरों को आज आखिरकार ध्वस्त कर दिया गया. एपेक्स (32-मंजिला) और केयेन (29-मंजिला) टावरों के विध्वंस से लगभग 35,000 क्यूबिक मीटर मलबा निकल जाएगा, जिसे साफ होने में तीन महीने या उससे ज्यादा समय लग सकता है. इन टावरों को 3,700 किलोग्राम विस्फोटक का उपयोग करके नियंत्रित विस्फोट के माध्यम से नीचे लाया गया है.
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