Historic legacy of Kanpur’s old Ganga bridge – कानपुर में मंगलवार सुबह गंगा नदी पर बना 150 साल पुराना पुल का एक हिस्सा गिर गया। यह पुल अंग्रेजों के जमाने में बना था और आजादी की लड़ाई का गवाह रहा है। चार साल पहले इसे बंद कर दिया गया था, लेकिन इसका ऐतिहासिक महत्व इसे खास बनाता है।
पुल का ऐतिहासिक महत्व
इस पुल का निर्माण 1875 में ईस्ट इंडिया कंपनी के इंजीनियरों द्वारा किया गया था। इसे बनने में 7 साल 4 महीने लगे। यह पुल कानपुर को लखनऊ और उन्नाव से जोड़ने के लिए बनाया गया था। उस समय यातायात के लिए यह एकमात्र मार्ग था। पुल पर ऊपर वाहनों का आवागमन होता था और नीचे पैदल और साइकिल सवार चलते थे।
क्रांतिकारियों पर फायरिंग का गवाह
यह पुल भारत की स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा रहा है। एक घटना में क्रांतिकारी गंगा नदी पार कर रहे थे, तभी अंग्रेजों ने पुल के ऊपर से उन पर गोलीबारी की थी। इस घटना ने इसे ऐतिहासिक रूप से और भी महत्वपूर्ण बना दिया।
पुल गिरने की वजह
पिछले कुछ सालों से पुल की स्थिति खराब हो रही थी। कानपुर आईआईटी ने अपनी जांच में इसे जर्जर घोषित कर दिया था और इसे खतरनाक बताया था। प्रशासन ने इसे बंद कर दिया था और दोनों छोर पर दीवारें खड़ी कर दी थीं। मंगलवार सुबह इसका 80 फीट लंबा हिस्सा गिरकर गंगा नदी में समा गया।
लाखों लोगों पर असर
पुल बंद होने से उन्नाव के शुक्लागंज में रहने वाले करीब 10 लाख लोग प्रभावित हुए। इस पुल को चालू करवाने के लिए कई प्रयास हुए, लेकिन पुल की कमजोर स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने इसे चालू कर पाना असंभव बताया।
सुरक्षा के लिए पूरी तरह बंद
पुल का निचला हिस्सा लोहे का और ऊपरी हिस्सा सीमेंटेड था। पुलिस और प्रशासन ने इसे पूरी तरह बंद कर दिया है। इसके आसपास घूमने-फिरने वालों को भी रोका जा रहा है। पुल पर मौजूद बाकी दरारों की भी जांच की जा रही है।
एक गौरवशाली इतिहास
1875 में बने इस पुल ने एक सदी से अधिक समय तक लोगों की सेवा की। कभी रोजाना 1.25 लाख लोग इस पुल से गुजरते थे। आज यह पुल भले ही गिर गया हो, लेकिन इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व हमेशा याद रखा जाएगा।