work quality over hours : आनंद महिंद्रा, जो महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन हैं, ने हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ‘विकासशील भारत युवा नेता संवाद 2025’ को संबोधित करते हुए काम के घंटों पर चल रही बहस को गलत बताया। उन्होंने कहा कि इस बहस में काम के घंटों पर जोर दिया जा रहा है, जबकि असली फोकस काम की गुणवत्ता पर होना चाहिए।
काम की मात्रा नहीं, गुणवत्ता जरूरी
महिंद्रा ने कहा, मैं नारायण मूर्ति और अन्य लोगों का बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन मुझे लगता है कि बहस गलत दिशा में जा रही है। हमें यह देखना चाहिए कि हम कितने घंटे काम करते हैं, इसके बजाय यह देखना चाहिए कि हमारा काम कितना बेहतर है। चाहे आप 48 घंटे काम करें या 90 घंटे, असल बात जो देखने वाली है, यह है कि आपका काम कितना प्रभावशाली है।
जब उनसे पूछा गया कि वे खुद कितने घंटे काम करते हैं, तो उन्होंने सीधे जवाब देने से बचते हुए कहा, मेरा मानना है कि घंटों के बजाय हमें गुणवत्ता पर बात करनी चाहिए। मुझसे यह मत पूछिए कि मैं कितने घंटे काम करता हूं, बल्कि पूछिए कि मेरे काम का स्तर कैसा है।
सोशल मीडिया एक बिजनेस टूल
महिंद्रा, जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर काफी सक्रिय रहते हैं, से यह भी पूछा गया कि वे इस पर कितना समय बिताते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया, मैं सोशल मीडिया पर दोस्त बनाने के लिए नहीं हूं। यह एक अद्भुत बिजनेस टूल है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनकी निजी जिंदगी में उनकी पत्नी के साथ बिताया समय उनके लिए बेहद खास है। इस पर दर्शकों ने तालियां बजाईं।
90 घंटे काम करने वाले बयान पर बवाल
एलएंडटी के चेयरमैन ए.एम. नाइक ने पहले एक वीडियो में कहा था कि सफल होने के लिए 90 घंटे काम करना जरूरी है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। उन्होंने मजाक में कहा, घर पर रहकर आप क्या करते हैं आप अपनी पत्नी को कितनी देर घूर सकते हैं। उनके इस बयान ने काफी आलोचना बटोरी।
काम के घंटे बनाम काम की गुणवत्ता
महिंद्रा और नाइक की सोच में स्पष्ट अंतर है। जहां महिंद्रा काम के घंटों की बजाय गुणवत्ता पर जोर देते हैं, वहीं नाइक का मानना है कि कड़ी
मेहनत और ज्यादा काम करने के घंटे सफलता का रास्ता हो सकते हैं। ये बहस काम की अहमियत और जिंदगी में सही तालमेल बिठाने पर नई सोच को सामने लाती है।