कानपुर। त्योहार आते ही मिलावटखोरों की टोली एक्टिव हो जाती है और अपनी तिजोरी भरने की चाहत में लाखों इंसानों को बीमार कर देती है। होली पर कानपुर में खाद्य विभाग की 6 टीमें लगातार ऑपरेशन चलाए हुए हैं और जानलेवा खोया-रंगीन कचरी की बिक्री करने वालों पर शिकंजा कस रही हैं। बावजूद होली की गुझियां की मिठास को कम करने वाले बाज नहीं आ रहे। पर क्या आप जानते हैं कि यह मिलावट सेहत के लिए गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है। डॉक्टर्स का दावा है कि कैमिकलयुक्त मिठाईयां लीवर, किडनी के अलावा पेट को रोग ग्रसित करती हैं। ऐसे में होली पर्व पर लोग सावधानी बरतें।
विशेष सावधानी बरतने की सलाह
होली पर्व आते ही मिलावटखोरों के गैंग सक्रिय हैं। शातिर ज्यादा कमाई की चाहते में लोगों के सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। मिलावट पर नकेस कसने के लिए पुलिस-प्रशासन अलर्ट मोड़ पर है। खाद्य विभाग की छह टीमों लगातार ऑपरेशन चलाए हुए हैं। अकेले कानपुर में तीन हजार से क्विंटल से अधिक का मावा पकड़ा है और उसे नष्ट किया है। कुछ माह पहले एक रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि, कई शहरों में मावे में डिटर्जेंट और कई अन्य हानिकारक मिलावट पाए गए हैं, अगर इनका सेवन कर लिया जाए तो इससे पाचन सहित कई अन्य अंगों को गंभीर नुकसान हो सकता है। यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को मिठाइयां खरीदते समय विशेष सावधानी बरतने की सलाह देते हैं।
सिंथेटिक दूध, यूरिया मिलाया जाता है
डॉक्टर्स का कहना है कि त्योहारों में अक्सर मिठाइयों में मिलावट की खबरें सुनने को मिलती रहती हैं। खपत को पूरा करने के लिए मावे में घटिया किस्म के मिल्क पाउडर और वनस्पति घी मिलाए जाते हैं। डॉक्टर्स बताते हैं कि नकली खोया में सिंथेटिक दूध, यूरिया मिलाया जाता है, इसके सेवन से उल्टी, डायरिया, फूड प्वाइजनिंग और पाचन की कई समस्याएं हो सकती हैं। मिलावट के लिए इस्तेमाल होने वाली हानिकारक चीजों का पाचन तंत्र के साथ सेहत पर और भी कई प्रकार से नकारात्मक प्रभाव हो सकता है, कुछ मामलों में इसे किडनी-लिवर की समस्याओं को बढ़ाने वाला भी पाया गया है।
मिठाई और खोया की पहचान करें
डॉक्टर्स बताते हैं,, नकली खोया खाने से किडनी और लिवर जैसे अंगों की समस्याओं के बढ़ने का भी खतरा हो सकता है। जिस तरह से मावा बनाने के लिए डिटर्जेंट और सिंथेटिक दूध के इस्तेमाल की खबरें सामने आई हैं ऐसे में इससे लिवर को गंभीर नुकसान होने का खतरा हो सकता है। हमारा शरीर इन हानिकारक तत्वों को आसानी से फिल्टर नहीं कर पाता है जिसके कारण इनसे किडनी और लिवर की बीमारियों का जोखिम हो सकता है। डॉक्टर्स का कहना है कि ऐसे में लोग होली पर सावधानी बरतें। मिठाई और खोया की पहचान करें। अगर मिलावट दिखे तो इनका सेवन नहीं करें।
घर पर तैयार की गई मिठाइयों की ही सेवन करें
डॉक्टर्स कहते हैं, होली पर्व पर बाजार के बजाय घर पर तैयार की गई मिठाइयों की ही सेवन करें। ऐसा करके मिलावटी चीजों से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने में मदद मिल सकती है। हमेशा पैक्ड मिठाइयां ही खरीदें। खुले में बिकने वाली मिठाइयों के सेवन से फूड पॉइजनिंग होने का खतरा रहता है। त्योहारों के इस सीजन में सेहत पर विशेष ध्यान देते रहने की आवश्यकता होती है। आपकी जरा सी भी लापरवाही कई तरह की समस्याओं का कारण बन सकती है। डॉक्टर्स का कहना है कि रंगीन कचरी से पापर तैयार किए जा रहे हैं। ऐसे में पापड़ भी देखकर खरीदें। बाजार के बजाए घर की बनी गुझियां ही खाएं।
ऐसे करें असली.नकली की पहचान
खाद्य मानक और सुरक्षा प्राधिकरण ने मिलावटी/नकली मावे या खोया की पहचान करने के कुछ तरीकों के बारे में बताया है, जिसकी मदद से आसानी से असली-नकली की पहचान की जा सकती है। असली मावा की हल्की सी मीठी और ताज़ी खुशबू होती है, जबकि नकली मावा में तेज गंध आ सकती है या फिर उसमें कोई खास खुशबू नहीं होगी। अगर मावा तेल जैसा या चिपचिपा लगे, तो समझ जाइए कि उसमें मिलावट हो सकती है। इसके अलावा आप थोड़ा सा मावा लें और उंगलियों से दबाएं। असली मावा थोड़ा दानेदार और हल्का चिकना होगा, जबकि नकली मावा जरूरत से ज्यादा मुलायम और चिपचिपा महसूस होगा।
तो समझिए कि मावे में स्टार्च मिला हुआ है
अगर आप पक्की जांच करना चाहते हैं, तो आयोडीन से टेस्ट करें। एक चम्मच मावा लें, उसमें कुछ बूंदें आयोडीन टिंचर डालें। अगर रंग नीला पड़ जाता है, तो समझिए कि मावे में स्टार्च मिला हुआ है। जबकि असली मावे का रंग नहीं बदलता। इसके अलावा थोड़ा सा मावा लेकर उसे गर्म करें। असली मावा गर्म करने पर हल्का ब्राउन होने लगता है और उसमें से देसी घी जैसी खुशबू आती है। वहीं, नकली मावा ज्यादा जल्दी जल जाता है और उसमें से अजीब सी गंध आती है।एक गिलास पानी लें और उसमें मावा का छोटा टुकड़ा डालें। अगर मावा पानी में घुलने लगे, तो उसमें मिलावट है। असली मावा पानी में नहीं घुलता, बल्कि टुकड़ों में टूटकर नीचे बैठ जाता है।
अपने डॉक्टर से परामर्श लें
बता दें, न्यूज वन इंडिया हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को ेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। न्यूज वन इंडिया लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।