VIP treatment: भारत में 23 अप्रैल, 2025 को अमेरिकी उपराष्ट्रपति के स्वागत के दौरान एक तस्वीर ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी। इस तस्वीर में स्कूली बच्चे चिलचिलाती धूप में खड़े हैं, भारतीय और अमेरिकी झंडे लहराते हुए, जबकि उनके आस-पास सुरक्षा काफिला दिख रहा है। यह घटना राष्ट्रीय शोक की अवधि के बीच हुई, और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने इसे असंवेदनशीलता और बच्चों के शोषण के रूप में देखा। कुछ ने यह भी सवाल उठाया कि क्यों बच्चों को खराब मौसम में खड़ा किया गया जबकि पार्टी के कार्यकर्ता या अधिकारी इसमें शामिल हो सकते थे। इस घटना ने VIP treatment की संस्कृति और इसके प्रभाव पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या घटियापना है ये.
धूप में झंडा लेकर बच्चे खड़े नहीं होंगे तो अमेरिका से रिश्ते नहीं खत्म हो जाएंगे https://t.co/atgp24XjTZ
— Gaurav Shyama Pandey (@Gauraw2297) April 23, 2025
तस्वीर, जो एएनआई द्वारा साझा की गई थी, में स्कूली बच्चों को जबरन मुस्कुराते हुए देखा जा सकता है, जबकि वे अमेरिकी उपराष्ट्रपति का स्वागत कर रहे हैं। तस्वीर पर कैप्शन था, “देश शोक में डूबा हुआ है, तो इन बच्चों को क्यों खड़ा किया जा रहा है? यह कूटनीतिक यात्रा है, इसे शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित किया जा सकता था।” इस कैप्शन के साथ ही सोशल मीडिया पर आलोचनाओं की लहर दौड़ पड़ी। उपयोगकर्ताओं ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन केवल एक तमाशा बन जाते हैं, जो बच्चों की भलाई पर असर डालते हैं।
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भारत में लंबे समय से VIP treatment की संस्कृति ने इस तरह की घटनाओं को सामान्य बना दिया है। सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, केवल राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विदेशी गणमान्य व्यक्तियों के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत यातायात रोका जा सकता है। हालांकि, इस व्यवस्था के बावजूद, आम जनता के लिए यातायात के ऐसे व्यवधान अक्सर नाराजगी का कारण बनते हैं, खासकर जब इसमें बच्चों की भागीदारी होती है। यह घटना विशेष रूप से इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारत में वीआईपी संस्कृति के अंधेरे पहलुओं को उजागर करती है।
भारत में आतिथ्य और कूटनीतिक स्वागत के लिए जाने जाने वाले इस देश में, वीआईपी ट्रीटमेंट के चलते आम नागरिकों की जीवनशैली में बार-बार व्यवधान आता है। उदाहरण के लिए, जम्मू और कश्मीर का पहलगाम क्षेत्र, जो पर्यटकों और गणमान्य व्यक्तियों का प्रमुख स्थल है, वहां भी इसी तरह के प्रदर्शनों से स्थानीय जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
इस तस्वीर और उसके साथ जुड़े विवाद ने सार्वजनिक कल्याण और नागरिकों की भलाई की ओर सरकारों से अधिक संवेदनशीलता की मांग उठाई है, खासकर जब बच्चों की सुरक्षा और आराम दांव पर हो।