(मोहसिन खान) मेरठ। इस बात में तो कोई दो राय नहीं है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में कोई भी भ्रष्ट अधिकारी बच पाएगा। भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे अधिकारियों के खिलाफ एक के बाद एक कार्रवाई हो रही है। ताजा मामला यूपी के मेरठ से जुड़ा है। 4 साल चली जांच के बाद अब कार्रवाई की आंच दौराला नगर पंचायत के तत्कालीन ईओ शैलेन्द्र कुमार सिंह के उपर आ गई है। नगर निकाय निदेशालय के निदेशक अजय कुमार झा की जांच में वो 15 करोड़ के भ्रष्टाचार के आरोपी पाए गए। इसके बाद उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति कर दी गई है। जबकि ईओ का चहेता ठेकेदार विकास कुमार जीएसटी की बडी चोरी में फंस गया।
ऐसे खेला गया भ्रष्टाचार का बड़ा खेल
अक्टूबर 2021 में रवि चौधरी नाम के युवक ने डीएम मेरठ से पूरे मामले में शिकायत की थी और उसमें भ्रष्टाचार के 14 बिन्दुओं को उठाया गया था। एडीएम सिटी मेरठ, डीएम मेरठ और कमिश्नर मेरठ मंडल के स्तर से की गई जांच के बाद रिपोर्ट को शासन को भेज दिया और फिर उसके बाद नगर निकाय निदेशालय के निदेशक अजय कुमार झा ने जांच की। जिसमें शिकायत के 14 बिन्दुओं में से 8 बिन्दुओं पर तत्कालीन दौराला ईओ शैलेन्द्र सिंह दोषी पाए गए। बता दें कि शिकायतकर्त्ता रवि ने अंत्येष्टि स्थल के सौंदर्यकरण से लेकर वाटर कूलर लगाने के अलावा हाई मास्ट लाइट और स्ट्रीट लाइट लगाने के एवज में फर्जी बिलों पर मोटा भुगतान कर दिया गया। इसको लेकर कई बार सवाल भी उठे।
नगर पंचायत द्वारा खसरा नं0 1010 पर गौषाला का निर्माण कराया जा रहा है। जो कि चारागाह (पषुचर) की भूमि है। इस भूमि पर 4320 घन मीटर मिट्टी भराव का फर्जी बिल बनाकर भुगतान कराया गया है। जिससे कि सक्षम अधिकारी द्वारा भुगतान कर सरकारी धन का दुरूपयोग करते हुए बंटवारा किया गया हैं चूंकि यह नगर पंचायत दौराला क्षे़त्र में सबसे ऊंचे क्षेत्र की चारागाह भूमि है जहां पर मिट्टी डालने की आवष्यकता नही है, बावजूद इसके इस निविदा के आधार पर अपर जिला अधिकारी (वित्त एवं राजस्व) फर्जी कागज लगाकर गुमराह करके खनन की स्वीकृति 06-01-2020 मे ली गयी है जिस भूमि से खनन की स्वीकृति ली है वह नगर पंचायत दौराला से लगभग 40 किमी0 दूरी मवाना रोड पर हैं।
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वहां से खनन की हुई तमाम मिट्टी को गौशाला निर्माण कार्य पर न डालकर प्लॉट भराव करने हेतू बाजार में उच्च दामां पर बेची गयी और इस भराव के फर्जी बिल बनाकर नगर पंचायत से भुगतान लिया। अधिषासी अधिकारी ने नगर पंचायत के आउटसोर्सिंग कर्मचारी टेंडर में लगभग 15 नाम अतिरिक्त लिख रखें है जिनकी तन्ख्वाह खुद लेकर वित्त को हानि पहु ंचा रहे है जबकि वो लोग मोके पर किसी भी कार्य में कार्यरत नही रहे।
चहेता ठेकेदार विकास करता रहा जीएसटी की चोरी
कमाल की बात तो ये है कि जब तक शैलेन्द्र कुमार सिंह दौराला नगर पंचायत में ईओ के पद पर तैनात रहे। तब तक किसी भी काम का टेंडर किसी दूसरे ठेकेदार को नहीं दिया। ऐसे में ये तो सवाल उठेगा कि निजी फायदे के लिए ईओ शैलेन्द्र कुमार सिंह ने ठेकेदार विकास कुमार को ठेके दिए। जबकि विकास कुमार लगातार जीएसटी की चोरी करके राज्य सरकार के राजस्व को चूना लगाता रहा।
नगर पंचायत दौराला में वर्ष 2018 से अब तक सभी कार्यो पर विकास कुमार कॉन्ट्रेक्टर काबिज है जबकि पी0डब्लू0डी0 के नियमानुसार ठेकेदारी करने हेतु पात्र नही है। इस फर्म के कागज फर्जी है इसने अपनी जी0एस0टी0 सर्टिफिकेट में अपने आपको प्रोपराइटर (इकलौता मालिक) दर्षाया है जबकि हैसियत अपने पिता के नाम का इस्तेमाल किया है। जो एक एफीडेविट पर फर्जी तरीके से पार्टनरषिप डीड लिखकर उन कागजों से बहुत से टेन्डर लिये हुए है।
जबकि यदि हैसियत पार्टनरषिप की हो तो जी0एस0टी0 सर्टिफिकेट भी पार्टनरषिप का होना चाहिए (दो या दो से आधिक मालिक) एवं करन्ट बैक अकान्उट भी पार्टनरषिप का होता है। चूंकि प्रोपराईटरषिप मे ं 1 प्रतिषत टी0डी0एस0 एवं पार्टनरषिप फर्म में 2 प्रतिषत टी0डी0एस काटने का प्राविधान है। इस तरह इस फर्म के बिलों से वर्षो से 1 प्रतिषत टी0डी0एस ही काटा जा रहा है इस तरह इस फर्म द्वारा वर्षो से कर की चोरी की जा रही थी।