Nehal Modi Arrested : पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में लंबे समय से फरार चल रहे नीरव मोदी के भाई नेहल मोदी को अमेरिका में गिरफ्तार कर लिया गया है। अमेरिकी न्याय विभाग ने इस गिरफ्तारी की जानकारी भारत को दी है। यह कार्रवाई भारत की प्रमुख जांच एजेंसियों – प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) – द्वारा भेजे गए प्रत्यर्पण अनुरोध के आधार पर की गई है। ये दोनों एजेंसियां पिछले कई वर्षों से नेहल मोदी को भारत वापस लाने के प्रयास में लगी हुई थीं।
नेहल मोदी के खिलाफ भारत में दो बड़े मामलों में कानूनी कार्यवाही की मांग की गई है। पहला मामला मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है, जो प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की धारा 3 के तहत आता है। दूसरा मामला भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं 120-B (आपराधिक साजिश) और 201 (सबूतों को नष्ट करने) से संबंधित है। जांच एजेंसियों के मुताबिक, नेहल मोदी ने अपने भाई नीरव मोदी द्वारा की गई धोखाधड़ी में सहयोग किया और अवैध धन को छिपाने व ट्रांसफर करने में अहम भूमिका निभाई।
शेल कंपनियों के जरिए फंड ट्रांसफर
ED और CBI की जांच में यह बात सामने आई है कि नेहल मोदी ने कई शेल कंपनियों के माध्यम से फर्जी विदेशी लेनदेन दिखाए और घोटाले की भारी-भरकम रकम को इधर-उधर किया। इस मामले में अगली सुनवाई 17 जुलाई 2025 को तय है, जिसमें नेहल मोदी जमानत के लिए याचिका दायर कर सकता है। हालांकि, अमेरिकी अभियोजकों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वे उसकी जमानत का विरोध करेंगे। इस गिरफ्तारी को भारत में नेहल मोदी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
कैसे दिया घोटाले को अंजाम ?
हीरा व्यापारी नीरव मोदी ने लगभग 14,000 करोड़ रुपये का यह घोटाला पंजाब नेशनल बैंक के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मदद से अंजाम दिया था। इस घोटाले में लेटर ऑफ अंडरस्टैंडिंग (LoU) का इस्तेमाल किया गया था, जो एक प्रकार की बैंक गारंटी होती है। नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी ने पीएनबी अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी LoU हासिल किए थे। इन LoUs की एंट्री जानबूझकर बैंक के कोर बैंकिंग सिस्टम (CBS) में नहीं की गई, जिससे बैंक के शीर्ष अधिकारियों को इन लेनदेन की जानकारी नहीं हो पाई।
यह भी पढ़ें : करोल बाग के विशाल मेगा मार्ट में लगी भीषण आग! एक की मौत…
2011 से 2017 तक चलता रहा फर्जीवाड़ा
इन LoUs को सीधे SWIFT नामक अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग सिस्टम के जरिये विदेशी बैंकों को भेजा जाता था। इसके आधार पर नीरव मोदी की कंपनियों ने विदेशी शाखाओं — जैसे इलाहाबाद बैंक और यूनियन बैंक — से आसानी से ऋण उठाया। यह सिलसिला 2011 से 2017 तक चलता रहा। पुराने कर्ज को चुकाने के लिए नए LoUs जारी किए जाते थे, जिससे घोटाले की राशि लगातार बढ़ती रही। यह गिरफ्तारी भारत के लिए एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है, जिससे न केवल नेहल मोदी को जवाबदेह ठहराया जा सकेगा, बल्कि पूरे घोटाले के ताने-बाने को भी सख्ती से सुलझाया जा सकेगा।