Bharat Bandh 2025: 9 जुलाई 2025 को भारत बंद के आह्वान पर उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में व्यापक प्रभाव देखने को मिल रहा है। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की अगुवाई में हो रही यह राष्ट्रव्यापी हड़ताल केंद्र सरकार की “मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और कॉरपोरेटपरस्त” नीतियों के विरोध में आयोजित की गई है। बैंकिंग, परिवहन, और बिजली जैसी जरूरी सेवाओं पर खासा असर पड़ा है। यूपी के कई शहरों में चक्का जाम, रैलियां और विरोध प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं। संयुक्त किसान मोर्चा, विपक्षी दलों और कर्मचारियों के संगठनों ने बंद को समर्थन दिया है। प्रशासन ने हाई अलर्ट घोषित कर सुरक्षा बढ़ा दी है और लोगों से अनावश्यक यात्रा से बचने की अपील की है।
सेवाओं पर असर: बैंक, बिजली और परिवहन ठप
Bharat Bandh 2025 के चलते उत्तर प्रदेश में बैंकिंग सेवाएं लगभग पूरी तरह बंद हैं। अधिकतर सरकारी और निजी बैंक शाखाओं में कामकाज नहीं हो रहा, जिससे ग्राहकों को नकद निकासी और अन्य बैंकिंग सेवाओं में परेशानी हो रही है। हालांकि UPI और नेट बैंकिंग जैसे डिजिटल विकल्प सक्रिय हैं।
बिजली क्षेत्र में भी बड़ा असर देखा गया। प्रदेश की दो प्रमुख वितरण कंपनियों PVVNL और DVVNL के निजीकरण के खिलाफ 27 लाख से अधिक बिजली कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए हैं, जिससे कई इलाकों में बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है। परिवहन पर भी बंद का असर पड़ा है। कुछ शहरों में राज्य परिवहन की बसें नहीं चल रही हैं और निजी वाहनों की संख्या भी कम देखी जा रही है।
रेलवे पर सीधा असर नहीं पड़ा है, लेकिन ट्रेनों की लेटलतीफी और स्टेशनों पर प्रदर्शन की खबरें सामने आई हैं।
संगठनों और राजनीतिक दलों की भागीदारी
इस Bharat Bandh 2025 में AITUC, CITU, INTUC, HMS, TUCC, AIUTUC, SEWA, AICCTU, LPF और UTUC जैसी 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनें शामिल हैं। इन संगठनों ने सरकार पर श्रमिक और किसान विरोधी नीतियों का आरोप लगाया है। साथ ही, संयुक्त किसान मोर्चा और कृषि श्रमिक यूनियनों ने भी खुलकर समर्थन दिया है। ग्रामीण इलाकों में किसान और मजदूर सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
राजनीतिक मोर्चे पर कांग्रेस, राजद, वाम दलों सहित इंडिया गठबंधन के अधिकतर दलों ने बंद को समर्थन दिया है। लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, और प्रयागराज जैसे शहरों में विरोध रैलियां और चक्का जाम किए जा रहे हैं।
17 सूत्रीय मांगें और विरोध के कारण
ट्रेड यूनियनों ने श्रम मंत्री मनसुख मांडविया को बीते वर्ष 17 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा था, लेकिन बातचीत आगे नहीं बढ़ी। प्रमुख मांगों में राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन का आयोजन, श्रम कानूनों में बदलाव का विरोध, और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण पर रोक शामिल हैं।
संघों का कहना है कि सरकार कॉरपोरेट हितों को प्राथमिकता दे रही है, जिससे मजदूरों और किसानों की अनदेखी हो रही है। कोयला खनन, निर्माण क्षेत्र, और सरकारी कार्यालयों में भी कामकाज प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है।
बिहार, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में भी असर
बिहार में सांसद पप्पू यादव ने मतदाता सूची में संशोधन को लेकर अलग बंद का ऐलान किया है। वे इसे “मतदाता अधिकारों के खिलाफ साजिश” बता रहे हैं और हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने की बात कह चुके हैं। खगड़िया में नुक्कड़ सभाएं और मार्च निकाले जा रहे हैं।
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण कुछ स्कूल बंद हैं, जिससे बंद का असर शिक्षा पर भी देखने को मिला है।
प्रशासन की तैयारी और नागरिकों के लिए सलाह
लखनऊ और कानपुर जैसे शहरों में धारा 144 लागू की गई है। पुलिस और प्रशासन ने चौराहों और सार्वजनिक स्थलों पर अतिरिक्त बल तैनात किया है। बंद के दौरान किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन मुस्तैद है। नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे आवश्यक यात्रा से बचें और बैंकिंग व अन्य जरूरी कार्य पहले ही निपटा लें।
Bharat Bandh 2025 का असर उत्तर प्रदेश में व्यापक रूप से महसूस किया जा रहा है। ट्रेड यूनियनों, किसानों, और विपक्षी दलों की संयुक्त भागीदारी ने इस आंदोलन को ताकत दी है। सरकार के रुख और यूनियनों के अगले कदम पर देशभर की निगाहें टिकी हुई हैं। प्रशासनिक सतर्कता के बावजूद हालात सामान्य बनाए रखने की चुनौती बनी हुई है।